‘भारत की ज्ञान परंपरा’ विषय पर दो दिवसीय राष्ट्रीय संविमर्श का समापन

पटना। भारतीय परंपरा के अनुसार हमारे चिंतन में कई धाराएँ हैं, लेकिन पश्चिम ने केवल एक ही धारा को समझा और फैलाया। विदेशी ताकतों ने हमेशा से ही हमारी ज्ञान परंपरा को दबाकर रखने की कोशिश की है। हमारे विज्ञान और सेवा भाव को हमेशा नीचा दिखाने की कोशिश की गयी है, जिसके कारण हमने अपनी समृद्ध ज्ञान परंपरा को बहुत हद तक खो दिया है। आज फिर से हमें अपनी ज्ञान परंपरा और सामाजिक व्यवस्था को समझने और अपने तरीके से परिभाषित करने की ज़रूरत है। यह विचार पूर्व केंद्रीय मंत्री संजय पासवान ने ‘भारतीय की ज्ञान परंपरा’ विषय पर आयोजित दो दिवसीय राष्ट्रीय संविमर्श में व्यक्त किये। यह कार्यक्रम माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल द्वारा पटना में आयोजित किया गया। विश्वविद्यालय ने अपने रजत जयंती वर्ष के उपलक्ष्य में देश के अलग-अलग राज्यों और शहरों में विमर्शों का आयोजन कर रहा है।
श्री पासवान ने कहा की आज हमें अपनी ज्ञान परंपरा, सामाजिक व्यवस्था और जीवनशैली को बाजारवाद से बचने की ज़रूरत है। हमें पश्चिमी सभ्यताओं और विदेशी ज्ञान-विज्ञान को दरकिनार कर अपनी परम्पराओं और मान्यताओं का …
श्री पासवान ने कहा की आज हमें अपनी ज्ञान परंपरा, सामाजिक व्यवस्था और जीवनशैली को बाजारवाद से बचने की ज़रूरत है। हमें पश्चिमी सभ्यताओं और विदेशी ज्ञान-विज्ञान को दरकिनार कर अपनी परम्पराओं और मान्यताओं का …