भारतीय संस्कृति में पर्यावरण का महत्व

डॊ. सौरभ मालवीय भारतीय संस्कृति में प्रकृति को महत्वपूर्ण स्थान प्राप्त है। इसी कारण भारत में प्रकृति के विभिन्न अंगों को देवता तुल्य मानकर उनकी पूजा-अर्चना की जाती है। भूमि को माता माना जाता है। आकाश को भी उच्च स्थान प्राप्त है। वृक्षों की पूजा की जाती है। पीपल को पूजा जाता है। पंचवटी की पूजा होती है। घरों में तुलसी को पूजने की परंपरा प्राचीन काल से चली आ रही है। नदियों को माता मानकर पूजा जाता है। कुंआ पूजन होता है। अग्नि और वायु के प्रति भी लोगों के मन में श्रद्धा है। वेदों के अनुसार ब्रह्मांड का निर्माण पंचतत्व के योग से हुआ है, जिनमें पृथ्वी, वायु, आकाश, जल एवं अग्नि सम्मिलित है। इमानि पंचमहाभूतानि पृथिवीं, वायुः, आकाशः, आपज्योतिषि पृथ्वी ही वह ग्रह है, जहां पर जीवन है। वेदों में पृथ्वी को माता और आकाश को पिता कहा गया है। ऋग्वेद के अनुसार- द्यौर्मे पिता जनिता नाभिरत्र बन्धुर्मे माता पृथिवी महीयम् अर्थात् आकाश मेरे पिता हैं, बंधु वातावरण मेरी नाभि है, और यह महान पृथ्वी मेरी माता है। अथर्ववेद में भी पृथ्वी को माता के रूप में पूजने की बात कही गई है। अथर्ववेद के अनुसार-