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Thursday, June 5, 2025

डॉ. सौरभ मालवीय बने लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभागाध्यक्ष


लखनऊ। डॉ. सौरभ मालवीय को लखनऊ विश्वविद्यालय के पत्रकारिता विभाग का अध्यक्ष नियुक्त किया गया है, जिनका कार्यकाल तीन वर्षों का होगा। उन्होंने माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय, भोपाल से ब्रॉडकास्ट जर्नलिज्म में स्नातकोत्तर की डिग्री प्राप्त की है और ‘सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और मीडिया’ विषय पर अपनी पीएचडी पूरी की है।
देवरिया के पटनेजी गांव से संबंध रखने वाले डॉ. मालवीय पत्रकारिता के क्षेत्र में एक ज्ञानी विद्वान और साहित्यिक योद्धा के रूप में विख्यात हैं। वे अखबारों, पत्रिकाओं के साथ-साथ टीवी चैनलों पर बहसों में भी अपनी सशक्त और गहन सोच के साथ सक्रिय रूप से हिस्सा लेते हैं।
उनकी प्रमुख प्रकाशित रचनाओं में ‘अटल बिहारी वाजपेयी’, ‘विकास के पथ पर भारत’, ‘राष्ट्रवाद और मीडिया’, ‘भारत बोध’, ‘अंत्योदय को साकार करता उत्तर प्रदेश’, तथा ‘भारतीय राजनीति के महानायक नरेंद्र मोदी’ शामिल हैं, जो उनके लेखन की प्रखरता और देश के प्रति समर्पण को दर्शाती हैं।
डॉ. मालवीय को विष्णु प्रभाकर सम्मान, अटल संवाद सम्मान, लखनऊ रत्न, राधाकृष्णन शिक्षक सम्मान सहित कई राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया जा चुका है।
उनके नेतृत्व में लखनऊ विश्वविद्यालय का पत्रकारिता विभाग नई ऊर्जा और दिशा के साथ उन्नति करेगा, जिससे भविष्य के पत्रकारों में नैतिकता, जिम्मेदारी और देशभक्ति के गुण सशक्त होंगे।

Wednesday, April 30, 2025

बधाई !


बधाई !
सृष्टि मालवीय
आईसीएसई बोर्ड से 10वी प्रथम श्रेणी में पास

Sunday, June 12, 2022

परिवार

गांव से बाबाजी आए! 
स्नेह+ प्यार+ आशीर्वाद+ मार्गदर्शन+ सानिध्य = परिवार






Sunday, May 26, 2019

शोध उपाधि

 

विषय - 'सांस्कृतिक राष्ट्रवाद और मीडिया'
मा. वेंकैया नायडू जी (उपराष्ट्रपति, भारत सरकार)
श्री शिवराज सिंह चौहान (मख्यमंत्री, मध्यप्रदेश)

Tuesday, May 21, 2019

Sunday, July 2, 2017

मेरे आँखों के तारें


प्रस्थान
मेरे आँखों के तारें
365 दिन में सिर्फ 30 दिन (जून की छुट्टी)इनके लिए होता है वो भी ईमानदारी से नही दे पाता हूँ। बालपन को समझना और उन पर मोहित हो जाना, इसके लिए जितना भी समय दिया जाए कम है, सृष्टि छोटी थी तब भोपाल में था। अब श्रीन्द्र की शरारत शुरू हुई है तो नोएडा। आज अपनी कर्मस्थली के लिए प्रस्थान कर रहा हूँ। श्रीन्द्र पूछ रहे क्यों जा रहे है पापा? सबके पापा साथ रहते हैं, मेरा भी मन हो रहा है कि किसी ज्योतिषी मित्र से पूछूं कि श्रीन्द्र के प्रश्न का उत्तर मेरी कुंडली में है क्या?

Tuesday, June 20, 2017

सरोकार की दुनिया


यहां प्रेम, स्नेह, मार्गदर्शन एवं जीवन की दिशा सहज ही मिलती है। गोरखपुर विश्वविद्यालय से स्नातक अंतिम वर्ष की परीक्षा जैसे ही खत्म हुई उसके बाद आजमगढ़ एक वर्ग में गया वर्ग के अंतिम दिन प्रान्त प्रचारक जी मुझे बुलाये और पूछे कि स्नातक के बाद आगे की क्या योजना है ? M.A हिंदी से करने की बात मैंने कही फिर क्या वहां के विभाग प्रचारक श्री मिथिलेश नारायण जी से पूछे कि शिवली कालेज में M.A हिंदी से है. उन्होंने बताया है।

मेरे लिए निर्णय लेना कठिन आजमगढ़ में रहना होगा पढ़ाई के साथ संगठन कार्य, श्री मिथिलेश जी के स्नेह में कुछ दिन वहा रुका परंतु नियति द्वारा सब कुछ पहले से तय पत्रकारिता की पढ़ाई के लिए भोपाल आगया। पूर्णकालिक संगठन कार्य मेरे मुकद्दर में नही था।
सुखद यह है कि सामाजिक ऋषियों का स्नेह और सानिध्य सदा मिलता है। आदरणीय मिथिलेश जी वर्तमान में क्षेत्र बौद्धिक प्रमुख है केंद्र लखनऊ है।

Sunday, June 18, 2017

वात्सल्य स्नेह



धन्यवाद-इलाहाबाद
भारतीय समाज में ऐसी मान्यता है कि माँ की छाया मौसी को और पिता का स्वरूप मामा का होता है।
मामा अवधेश मालवीय औऱ मधुलिका मालवीय मामी का वात्सल्य स्नेह से अभिभूत हूँ। इस प्रवास में। परंपराएं और मान्यताएं बनी रहें इसी कामना के साथ नमस्कार।

Wednesday, May 17, 2017

स्मृतियों के संसार से

बात 1996-97 की है मैं गोरखपुर में विद्यार्थी था संघ कार्यालय में रहता था. एक नगर सायं शाखा की जिम्मेदारी थी. वर्तमान का मुहद्दीपुर जिसे (विश्वविद्यालय नगर) संघ की योजना में कहते थे. नगर में शिशु विद्यार्थी से लेकर तरुण विद्यार्थी तक संपर्क करना शाखा एवं अनेक प्रकार के कार्यक्रमों से जोड़ने का प्रयास वास्तव में यह रोमांचपूर्ण कार्य बहुत ही आनंद आता था, उसी क्रम में क्लास ६ से १० तक के छात्रों के साथ एक दिन का वनविहार (कुसमी जंगल) करना तय हुआ. मेरे नगर प्रचारक युगल जी थे. उनके सहयोग से आयोजन सम्पन्न हुआ. उस शिविर में शिशु विद्यार्थी रणवीर सिंह भी थे. वक्त का पहिया अपने गति से चलता रहता है. लम्बे अन्तराल के बाद रणवीर से मिलकर अच्छा लगा. आप के उज्जवल भविष्य की शुभकामनाएं.
(टीवी पत्रकार है Ranveer Singh )

Wednesday, May 4, 2016

सदगुरु का सानिध्य


मैं कभी मेधावी छात्र नहीं रहा जबकि बारहवी तक विज्ञान संकाय का विद्यार्थी था फिर स्नातक हिन्दी साहित्य में, स्नातकोत्तर प्रसारण पत्रकारिता में और PhD भी मीडिया में ही पूर्ण की. उन दिनों उदंडता, कुतर्क और विवाद यह मेरे स्वभाव का अंग था. प्रायः किसी न किसी से बहसबाजी हो ही जाती और उसका अंत विवाद के साथ होता. इस कारण मेरी छवि ठीक नहीं बन रही थी. इसी बीच मुझे संघ कार्यालय पर रहने का अवसर मिला. यहां यह बताना चाहूँगा कि संघ कार्यालय अर्थात संघ के पूर्णकालिक प्रचारक का निवास (प्रचारक वह होता है, जो अपना पूरा जीवन संघ कार्य के लिए देता है) कार्यालय की दिनचर्या सुनिश्चित है. प्रातः जागरण मंत्र से प्रारम्भ होकर जलपान, भोजन, संध्या और रात्रि भोजन, विश्राम तक सब कुछ समयबद्ध रहता. अनुशासन और आध्यात्मिक वातावरण के कारण लगता की कार्यालय एक मन्दिर है.
कार्यालय पर रहते हुए मेरे श्रद्धा के केन्द्र में अनेक ऋषितुल्य प्रचारक हैं, जिनका जिक्र अभी और करूँगा. इसी क्रम में उस समय देवरिया के जिला प्रचारक श्री बालमुकुन्द जी से परिचय हुआ. बालमुकुंद जी इतिहास में स्नातकोत्तर, बीएड और PhD हैं. स्वभावतया मिलनसार, मृदुभाषी, सरल-सहज हैं, जो प्रचारक वृत्ति होती ही है. मैं अपने गाँव देवरिया जाता रहता था. इस कारण इनसे आत्मीयता बढ़ती गई. पहली यात्रा वैष्णव देवी 1999 में बालमुकुंद जी के साथ हुई. समय की गति बढ़ती रही और अपने जीवन की यात्रा होती रही. इनके साथ कुशीनगर, मऊ, आजमगढ़ आदि जिलों मे मोटरसाइकिल से खूब घूमा.
एक घटना का जिक्र करना चाहूँगा. बालमुकुंद जी बस्ती में विभाग प्रचारक थे. नगर के एक कार्यकर्ता के पुत्र का विवाह सम्पन्न हुआ. पुत्र भी स्वयंसेवक है. दोनों लोग कार्यालय आए और इस खुशी के अवसर पर भाई साहब को एक घड़ी दी. अगले दिन जब मैं वापस आने लगा, तो बालमुकुंद जी ने वह घड़ी मुझे दी. मैं हतप्रभ था. भाई साहब बोले "आप विश्विद्यालय में पढ़ते हैं, समय को समझें." इसी मंत्र ने मुझे स्वयं को और समय को समझने की शक्ति विकसित की. और आज भी मैं समझने का सार्थक प्रयास कर रहा हूँ.
ऐसे सदगुरु का आज आशीर्वाद भोपाल में प्राप्त है. माननीय डॉ.बालमुकुन्द जी वर्तमान में इतिहास संकलन योजना के राष्ट्रीय संगठन मंत्री हैं, केंद्र दिल्ली है.

 


Saturday, June 20, 2015

संस्कार और संस्कृति का केंद्र गाँव


संस्कार और संस्कृति का केंद्र गाँव
मेरे घर की शोभा गाय और घर के सामने मंदिर।