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Tuesday, June 24, 2025

किशोरियों के लिए कौशल विकास की नई पहल ‘नव्या’ का प्रारंभ

 

किशोर युवतियों को सशक्त बनाने और विकसित भारत@2047 के विज़न को आगे बढ़ाते हुए, महिला एवं बाल विकास मंत्रालय (एमडब्ल्यूसीडी) ने कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय (एमएसडीई) के साथ मिलकर आज उत्तर प्रदेश के सोनभद्र में ‘नव्या’ (युवा किशोरियों के लिए व्यावसायिक प्रशिक्षण के ज़रिए आकांक्षाओं का पोषण) का शुभारंभ किया।

कौशल विकास एवं उद्यमिता मंत्रालय के राज्य मंत्री (स्वतंत्र प्रभार) श्री जयंत चौधरी और महिला एवं बाल विकास मंत्रालय की राज्य मंत्री श्रीमती सावित्री ठाकुर द्वारा संयुक्त रूप से शुरू किए गए, नव्या कार्यक्रम का मकसद 16-18 वर्ष की किशोरियों को मुख्य रूप से गैर-पारंपरिक और उभरते हुए क्षेत्रों में रोज़गार की भूमिकाओं को लेकर व्यावसायिक प्रशिक्षण प्रदान करना है। देश भर से किशोरियों ने वेबकास्ट के ज़रिए कार्यक्रम में वर्चुअल रूप से भाग लिया, जिससे भारत के हर हिस्से से उनकी उत्साहपूर्ण उपस्थिति दर्ज हुई।

इस पहल की शुरूआत करते हुए, श्री जयंत चौधरी ने कहा कि नव्या, महज़ रोजगार के बारे में ही नहीं है, बल्कि यह युवा किशोरियों, खासकर सोनभद्र जैसे आकांक्षी और आदिवासी जिलों में आत्मविश्वास, आर्थिक स्वतंत्रता और उद्यमशीलता की भावना पैदा करने के बारे में है। एमडब्ल्यूसीडी द्वारा चिन्हित किशोरियों को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना (पीएमकेवीवाई) के तहत अल्पकालिक कौशल विकास पाठ्यक्रमों के ज़रिए प्रशिक्षित किया जाएगा, ताकि वे अपने छोटे व्यवसाय स्थापित करने के काबिल बन सकें।

इस मौके पर श्रीमती सावित्री ठाकुर ने कहा कि नव्या, किशोरियों को सशक्त बनाने के हमारे साझा मिशन में एक मील का पत्थर है। व्यावसायिक प्रशिक्षण के ज़रिए, हमारा लक्ष्य उन्हें आत्मनिर्भर और आत्मविश्वासी नागरिक बनने में मदद करना है। यह पहल न केवल उन्हें ज़रुरी  कौशल प्रदान करेगी बल्कि उन्हें सम्मान, स्वतंत्रता और आत्म-विश्वास का जीवन जीने में मददगार साबित होगी।

अपने पायलट चरण में, नव्या को 19 राज्यों के 27 पूर्वोत्तर और आकांक्षी जिलों में शुरू किया जा रहा है। प्रत्येक भागीदार जिले में किशोरियों की ज़रूरतों के हिसाब से नौकरी-भूमिका-विशिष्ट व्यावसायिक पाठ्यक्रम प्रदान करने वाले प्रशिक्षण केंद्र बनाए गए हैं।

नव्या कार्यक्रम के तहत, किशोरियों को ग्राफ़िक डिज़ाइन, दूरसंचार और वित्तीय सेवाएँ, स्मार्टफ़ोन और ड्रोन असेंबली, सोलर पीवी और सीसीटीवी इंस्टॉलेशन और हाथ की कढ़ाई जैसे कौशल में प्रशिक्षित किया जा रहा है, ताकि वे तेज़ी से विकसित हो रहे नौकरी बाज़ार में उभरते अवसरों के लिए सशक्त बन सकें।
पीएमकेवीवाई और पीएम विश्वकर्मा योजनाओं जैसी एमएसडीई की प्रमुख योजनाओं से मौजूदा संसाधनों का उपयोग करके, नव्या के तहत प्रशिक्षण दिया जाएगा।

इस कार्यक्रम में पीएमकेवीवाई और पीएम विश्वकर्मा के तहत सफल प्रशिक्षुओं को प्रमाण पत्र भी दिए गए। साथ ही लाभार्थियों के साथ संवादात्मक सत्र का भी आयोजन किया गया, जिसमें, उन्होंने कौशल विकास के ज़रिए बदलाव की अपनी यात्रा को साझा किया।

इस अनूठी पहल नव्या के साथ, भारत सरकार समावेशी विकास के प्रति अपनी प्रतिबद्धता की पुष्टि करती है, ताकि हर लड़की, चाहे वह किसी भी भौगोलिक या पृष्ठभूमि की हो, देश के विकास के सफर में अहम योगदान देने के लिए कौशल, अवसर और आत्मविश्वास से लैस हो।

Friday, April 18, 2025

अहिल्यबाई होलकर भारतीयता की प्रतीक थी : डॉ.सौरभ मालवीय





शिक्षा का क्षेत्र ही सामाजिक परिवर्तन का सबसे सशक्त माध्यम माध्यम होता है। उसमें साहित्य की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। साहित्य ही ज्ञान को संरक्षित करता है। संस्कारयुक्त शिक्षा हमारा उद्देश्य है। विद्या भारती अनेक वर्षों से समाज में भारतीयता पूर्ण शिक्षा एवं आध्यात्मिक मूल्यों से जुड़े रहने का लक्ष्य लेकर काम कर रही है।

 उक्त बातें विद्या भारती के क्षेत्रीय मंत्री डॉ.सौरभ मालवीय ने भारतीय शिक्षा समिति कानपुर प्रांत द्वारा प्रकाशित  'लोकमाता अहिल्याबाई होल्कर' विशेषांक के विमोचन करते हुए कही।

सरस्वती  विद्या मंदिर इंटर कॉलेज दामोदर नगर कानपुर में भारतीय शिक्षा समिति कानपुर प्रांत द्वारा तीन दिवसीय प्रधानाचार्य समीक्षा एवं कार्य योजना बैठक आयोजित की गई जिसमें सभी संकुल से प्रधानाचार्य ने सहभाग किया। कार्यक्रम का शुभारंभ श्री भवानी जी प्रांत संघ चालक , डॉ. सौरभ मालवीय क्षेत्रीय  मंत्री पूर्वी उत्तर प्रदेश, श्री रजनीश जी प्रांत संगठन मंत्री कानपुर प्रांत  ने दीप  प्रज्ज्वलित किया। डॉक्टर सौरभ मालवीय, भवानी जी प्रांत संघ चालक जी ने श्री रजनीश जी ने अनुभव पत्रिका का विमोचन संकुल प्रमुख व प्रांत प्रमुख श्री रामकृष्ण बाजपेई जी के साथ किया इसके बाद मा सौरभ मालवीय जी ने  कानपुर प्रांत की बेवसाइट का लोकार्पण किया इसके बाद डॉ.मालवीय ने कहा कि हम योजना बनाकर कार्य  करते हैं हमारी प्रमुख भूमिका विद्यालय को श्रेष्ठ बनाना है विद्यालय जीवंत है इसके हम प्रेरक हैं  तब विद्यालय समाज केंद्रित होता है। छात्रों के सर्वांगीड़ और समग्र विकास को ध्यान में रखते हुए बहुत सारे कार्यक्रम और गतिविधियों की योजना भी हम विद्यालय स्तर पर करते है।

भवानी जी ने कहा कि हम राष्ट्र निर्माण में महत्वपूर्ण भूमिका का कार्य करते हैं अतः हमको अपने कार्य के प्रति समर्पित होकर कार्य करना चाहिए इस कार्यक्रम में मा ,डॉक्टर  राकेश निरंजन जी अध्यक्ष, श्री अयोध्या प्रसाद जी मिश्र प्रदेश निरीक्षक, श्री आर के सिंह जी सह मंत्री जी  श्री अजय जी ,श्री शिवकरण जी संभाग निरीक्षक श्री शिव सिंह जी सेवा प्रमुख,विद्यालय के प्रबंधक श्री ओम  प्रकाश अग्रवाल जी तथा समस्त प्रधानाचार्य बंधु एवं भगिनी उपस्थित रहे।

Sunday, March 30, 2025

नवरात्रि का संदेश : नारी सशक्तीकरण

 

डॉ. सौरभ मालवीय 
भारतीय पर्व हमारी सांस्कृतिक विरासत के प्रतीक हैं। इनसे हमें ज्ञात होता है कि हमारी प्राचीन संस्कृति कितनी विशाल, संपन्न एवं समृद्ध है। यदि नवरात्रि की बात करें तो यह पर्व भी भारतीय संस्कृति की महानता को दर्शाता है। विगत कुछ दशकों से देश में महिला सशक्तीकरण की बात हो रही है। कुछ लोग विदेशों के उदाहरण देते हैं कि वहां की महिलाएं सशक्त हैं तथा उन्हें बहुत से अधिकार प्राप्त हैं। किंतु ये लोग अपने देश के इतिहास पर चिंतन एवं मनन नहीं करते हैं। वास्तव में भारत विश्व का एकमात्र ऐसा देश है, जहां महिलाओं को पुरुषों के समान माना गया है। उदाहरण के लिए भारत में देवियों की पूजा-अर्चना की जाती है। यहां पर उन्हें भी देवताओं के समान ही पूजा जाता है, अपितु देवियों का स्थान देवता से पहले आता है जैसे राधा कृष्ण, सीता राम आदि। भगवान शिव के साथ देवी पार्वती की भी पूजा की जाती है। भगवान राम के साथ देवी सीता की पूजा की जाती है तथा भगवान श्रीकृष्ण के साथ राधा की पूजा-अर्चना करने का विधान प्राचीन काल से ही चला आ रहा है। हमारी मान्यता के अनुसार शक्ति की देवी दुर्गा है। धन एवं समृद्धि की देवी लक्ष्मी है तथा ज्ञान की देवी सरस्वती है। कहने का अभिप्राय यह है कि मनुष्य को जीवन में जिन वस्तुओं की आवश्यकता होती है, वह सब उन्हें इन देवियों से ही तो प्राप्त होती हैं।    
नवरात्रि देवी दुर्गा को समर्पित एक महत्वपूर्ण पर्व है। नवरात्रि का पर्व वर्ष में चार बार आता है अर्थात चैत्र, आषाढ़, अश्विन, माघ। इनमें से चैत्र एवं आश्विन माह में आने वाली नवरात्रि अत्यंत महत्वपूर्ण मानी जाती है। माघ एवं आषाढ़ माह में आने वाली नवरात्रि को गुप्त नवरात्रि कहा जाता है, क्योंकि इनमें कोई सार्वजनिक उत्सव का आयोजन नहीं किया जाता है। आश्विन माह में आने वाली नवरात्रि को शारदीय नवरात्रि कहा जाता है। इसका  आरंभ अश्विन मास के शुक्ल पक्ष की प्रथम तिथि से होता है। इस दिवस पर शुभ मुहूर्त में कलश की स्थापना की जाती है। नवरात्रि में नौ दिन देवी दुर्गा के नौ रूपों की पूजा-अर्चना की जाती है।
प्रथमं शैलपुत्री च द्वितीयं ब्रह्मचारिणी।
तृतीयं चन्द्रघण्टेति कूष्माण्डेति चतुर्थकम्।।
पंचमं स्कन्दमातेति षष्ठं कात्यायनीति च।
सप्तमं कालरात्रीति महागौरीति चाष्टमम्।।
नवमं सिद्धिदात्री च नवदुर्गा: प्रकीर्तिता:।
उक्तान्येतानि नामानि ब्रह्मणैव महात्मना:।।
अर्थात देवी पहली शैलपुत्री, दूसरी ब्रह्मचारिणी, तीसरी चंद्रघंटा, चौथी कूष्मांडा, पांचवी स्कंध माता, छठी कात्यायिनी, सातवीं कालरात्रि, आठवीं महागौरी एवं नौवीं देवी सिद्धिदात्री है।

शैलपुत्री
नवरात्रि के प्रथम दिन देवी दुर्गा के प्रथम स्वरूप मां शैलपुत्री की पूजा-अर्चना की जाती है। मां शैलपुत्री को सफेद वस्तुएं अत्यंत प्रिय हैं, इसलिए उन्हें सफेद मिष्ठान का भोग लगाया जाता है। यह प्रसाद गाय के शुद्ध घी से बनाया जाता है। सफेद रंग पवित्रता एवं शांति का प्रतीक माना जाता है। जीवन में सर्वाधिक पवित्रता एवं शांति का ही महत्व है। इनके बिना सब व्यर्थ है। देवी की साधना से सुख एवं समृद्धि में वृद्धि होती है।

ब्रह्मचारिणी
नवरात्रि के दूसरे दिन देवी देवी दुर्गा के द्वितीय स्वरूप मां ब्रह्मचारिणी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां ब्रह्मचारिणी को शक्कर एवं पंचामृत का भोग लगाया जाता है। शक्कर जीवन में मिठास का प्रतीक है। जिस प्रकार भोजन में मिष्ठान का महत्व है, उसी प्रकार जीवन में मधुर वाणी का महत्व है। मृदु भाषी व्यक्ति सबका मन मोह लेते हैं। देवी की साधना से भाग्य में वृद्धि होती है तथा आयु भी लम्बी होती है।  

चंद्रघंटा
नवरात्रि के तीसरे दिन देवी दुर्गा के तृतीय स्वरूप मां चंद्रघंटा की पूजा-अर्चना की जाती है। मां चंद्रघंटा को दुग्ध से बने मिष्ठान एवं खीर का भोग लगाया जाता है। खीर भी दुग्ध से बनाई जाती है। दुग्ध समृद्धि एवं अच्छे स्वास्थ्य का प्रतीक है। देवी की साधना से व्यक्ति बुरी शक्तियों से सुरक्षित रहता है।

कुष्मांडा
नवरात्रि के चौथे दिन देवी दुर्गा के चतुर्थ स्वरूप मां कुष्मांडा की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कुष्मांडा को मालपुये का भोग लगाया जाता है। देवी की साधना से मनुष्य की समस्त इच्छाएं पूर्ण होती हैं।

स्कंदमाता
नवरात्रि के पांचवे दिन देवी दुर्गा के पांचवे स्वरूप स्कंदमाता की पूजा-अर्चना की जाती है। स्कंदमाता को फल विशेषकर केला अत्यंत प्रिय है, इसलिए उन्हें केले का भोग लगाया जाता है। देवी की साधना से सुख एवं एश्वर्य में वृद्धि होती है। 

कात्यायनी
नवरात्रि के छठे दिन देवी दुर्गा के छठे स्वरूप मां कात्यायनी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कात्यायनी को मीठे पान एवं मधु का भोग लगाया जाता है। देवी की साधना से दुखों का नाश होता है तथा जीवन में सुख का आगमन होता है।

कालरात्रि
नवरात्रि के सातवें दिन देवी दुर्गा के सातवे स्वरूप मां कालरात्रि की पूजा-अर्चना की जाती है। मां कालरात्रि को गुड़ अत्यंत प्रिय है, इसलिए उन्हें गुड़ से बने व्यंजन का भोग लगाया जाता है। देवी की साधना से समस्त नकारात्मक शक्तियों का नाश होता है तथा सकारात्मकता में वृद्धि होती है। जीवन सुखी हो जाता है। 

महागौरी
नवरात्रि के आठवें दिन देवी दुर्गा के आठवे स्वरूप मां महागौरी की पूजा-अर्चना की जाती है। मां महागौरी को नारियल अत्यंत प्रिय है, इसलिए उन्हें नारियल का भोग लगाया जाता है अर्थात नारियल अर्पित किया जाता है। देवी की साधना से व्यक्ति के रुके हुए कार्य पूर्ण होते हैं। 

सिद्धिदात्री
नवरात्रि के अंतिम दिन देवी दुर्गा के नौवें स्वरूप मां सिद्धिदात्री की पूजा-अर्चना की जाती है। इस दिन कन्या पूजन का विधान है। कन्याओं की पूजा की जाती है। उन्हें भोजन ग्रहण कराया जाता है। इसके पश्चात उनके चरण स्पर्श कर उनसे आशीर्वाद लिया जाता है। कन्याओं को प्रसाद के साथ उपहार भेंट किए जाते हैं। तदुपरांत देवी को काले चने, हलवा पूड़ी एवं खीर का भोग लगाया जाता है। देवी की साधना से व्यक्ति के समस्त पापों का नाश होता है तथा उसे मोक्ष की प्राप्ति होती है।

वास्तव में नवरात्रि का पर्व नारी शक्ति का उत्सव है। प्राचीन काल से ही यह पर्व भारतीय संस्कृति में नारी शक्ति का प्रतीक रहा है। कन्या पूजन इस बात को सिद्ध करता है कि भारतीय समाज में कन्या का महत्वपूर्ण स्थान रहा है। कन्या भ्रूण हत्या तथा नवजात कन्याओं का वध कर देने जैसी बुराइयां हमारे समाज में कब और कैसे सम्मिलित हो गईं, ज्ञात ही नहीं हो पाया। निरंतर घटता लिंगानुपात अत्यंत चिंता का विषय बना हुआ है। विदेशों में भारत की जिन बुराइयों का उल्लेख कुछ लोग बड़े गर्व के साथ करते हैं, वे बुराइयों तो हमारे समाज में कभी नहीं थीं। जिस समय विश्व के अधिकांश देश अशिक्षित एवं असभ्य थे, उस समय हमारा देश शिक्षा के क्षेत्र में अग्रणी था। पुरुष ही नहीं, अपितु महिलाएं भी शिक्षित थीं। वे शास्त्रार्थ करती थीं, अस्त्र-शस्त्र चलाती थीं। देवियों ने कितने ही राक्षसों का अकेले वध किया है।

नारी को ईश्वर ने श्रेष्ठ बनाया है। अनेक मामलों में वह पुरुष से उच्च स्थान पर है। वह जन्मदात्री है। जिस प्रकार एक स्त्री अपने बालकों का पालन-पोषण कर लेती है, उस प्रकार एक पुरुष उनका पालन-पोषण नहीं कर पाता। उदाहरण के लिए यदि किसी की पत्नी की मृत्यु हो जाए, तो वह न चाहते हुए भी इसलिए विवाह कर लेगा कि बच्चों का पालन-पोषण ठीक से हो जाएगा। यदि किसी के पति की मृत्यु हो जाए, तो महिला जीविकोपार्जन के साथ-साथ बच्चों का पालन-पोषण भी कर लेती है। यदि दृष्टि डालें तो आसपास ऐसे बहुत से उदाहरण मिल जाएंगे। कहने का तात्पर्य यह है कि ईश्वर ने नारी को अत्यंत सबल बनाया है। नारी प्रत्येक क्षेत्र में अपनी योग्यता एवं प्रतिभा का सफल प्रदर्शन कर रही है।

Wednesday, March 5, 2025

भारतीय संस्कृति में नारी कल, आज और कल


डॉ. सौरभ मालवीय
‘नारी’ इस शब्द में इतनी ऊर्जा है कि इसका उच्चारण ही मन-मस्तक को झंकृत कर देता है, इसके पर्यायी शब्द स्त्री, भामिनी, कान्ता आदि है, इसका पूर्ण स्वरूप मातृत्व में विलसित होता है। नारी, मानव की ही नहीं अपितु मानवता की भी जन्मदात्री है, क्योंकि मानवता के आधार रूप में प्रतिष्ठित सम्पूर्ण गुणों की वही जननी है। जो इस ब्रह्माण्ड को संचालित करने वाला विधाता है, उसकी प्रतिनिधि है नारी। अर्थात समग्र सृष्टि ही नारी है इसके इतर कुछ भी नही है। इस सृष्टि में मनुष्य ने जब बोध पाया और उस अप्रतिम ऊर्जा के प्रति अपना आभार प्रकट करने का प्रयास किया तो वरवश मानव के मुख से निकला कि –
त्वमेव माता च पिता त्वमेव
त्वमेव बन्धुश्च सखा त्वमेव।
त्वमेव विधा द्रविणं त्वमेव
त्वमेव सर्वं मम देव देव॥
अर्थात हे प्रभु तुम माँ हो ............।
अक्सर यह होता है कि जब इस सांसारिक आवरण मैं फंस जाते या मानव की किसी चेष्टा से आहत हो जाते हैं तो बरबस हमें एक ही व्यक्ति की याद आती है और वह है माँ । अत्यंत दुःख की घड़ी में भी हमारे मुख से जो ध्वनी उच्चरित होती है वह सिर्फ माँ ही होती है। क्योंकि माँ की ध्वनि आत्मा से ही गुंजायमान होती है ।  और शब्द हमारे कंठ से निकलते हैं लेकिन माँ ही एक ऐसा शब्द है जो हमारी रूह से निकलता है। मातृत्वरूप में ही उस परम शक्ति को मानव ने पहली बार देखा और बाद में उसे पिता भी माना। बन्धु, मित्र आदि भी माना। इसी की अभिव्यक्ति कालिदास करते है कि-
वागार्थविव संप्रक्तौ वागर्थ प्रतिपत्तये।
जगतः पीतरौ वन्दे पार्वती परमेश्वरौ ॥ (कुमार सम्भवम)
जगत के माता-पिता (पीतर) भवानी शंकर, वाणी और अर्थ के सदृश एकीभूत है उन्हें वंदन।
इसी क्रम में गोस्वामी तुलसीदास भी यही कहते  हैं –
जगत मातु पितु संभु-भवानी। (बालकाण्ड मानस)
अतएव नारी से उत्पन्न सब नारी ही होते है, शारीरिक आकार-प्रकार में भेद हो सकता है परन्तु, वस्तुतः और तत्वतः सब नारी ही होते है। सन्त ज्ञानेश्वर ने तो स्वयं को“माऊली’’ (मातृत्व,स्त्रीवत) कहा है।
कबीर ने तो स्वयं समेत सभी शिष्यों को भी स्त्री रूप में ही संबोधित किया है वे कहते है –
दुलहिनी गावहु मंगलाचार
रामचन्द्र मोरे पाहुन आये धनि धनि भाग हमार
दुलहिनी गावहु मंगलाचार । - (रमैनी )
घूँघट के पट खोल रे तुझे पीव मिलेंगे
अनहद में मत डोल रे तुझे पीव मिलेंगे । -(सबद )
सूली ऊपर सेज पिया कि केहि बिधि मिलना होय । - (रमैनी )
जीव को सन्त कबीर स्त्री मानते है और शिव (ब्रह्म) को पुरुष यह स्त्री–पुरुष का मिलना ही कल्याण है मोक्ष और सुगति है ।
भारतीय संस्कृति में तो स्त्री ही सृष्टि की समग्र अधिष्ठात्री है, पूरी सृष्टि ही स्त्री है क्योंकि इस सृष्टि में बुद्दि ,निद्रा, सुधा, छाया, शक्ति, तृष्णा, जाति, लज्जा, शान्ति, श्रद्धा, चेतना और लक्ष्मी आदि अनेक रूपों में स्त्री ही व्याप्त है। इसी पूर्णता से स्त्रियाँ भाव-प्रधान होती हैं, सच कहिये तो उनके शरीर में केवल हृदय ही होता है,बुद्दि में भी ह्रदय ही प्रभावी रहता है, तभी तो गर्भधारण से पालन पोषण तक असीम कष्ट में भी आनंद की अनुभूति करती रहती।कोई भी हिसाबी चतुर यह कार्य एक पल भी नही कर सकता। भावप्रधान नारी चित्त ही पति, पुत्र और परिजनों द्वारा वृद्दावस्था में भी अनेकविध कष्ट दिए जाने के बावजूद उनके प्रति शुभशंसा रखती है उनका बुरा नहीं करती,जबकि पुरुष तो ऐसा कभी कर ही नही सकता क्योंकि नर विवेक प्रधान है, हिसाबी है, विवेक हिसाब करता है घाटा लाभ जोड़ता है, और हृदय हिसाब नही करता। जयशंकर प्रसाद ने कामायनी में लिखा है-
यह आज समझ मैं पायी हूँ कि
दुर्बलता में नारी हूँ।
अवयन की सुन्दर कोमलता
लेकर में सबसे हारी हूँ ।।
भावप्रधान नारी का यह चित्त जिसे प्रसाद जी कहते है-
नारी जीवन का चित्र यही
क्या विकल रंग भर देती है।
स्फुट रेखा की सीमा में
आकार कला को देती है।।
परिवार व्यवस्था हमारी सामाजिक व्यवस्था का आधार स्तंभ है,इसके दो स्तम्भ है- स्त्री और पुरुष।परिवार को सुचारू रूप देने में दोनों की भूमिका अत्यंत महतवपूर्ण है,समय के साथ मानवीय विचारों में बदलाव आया है|कई पुरानी परम्पराओं,रूढ़िवादिता एवं अज्ञान का समापन हुआ।महिलाएँ अब घर से बाहर आने लगी है कदम से कदम मिलाकर सभी क्षेत्रों में अपनी धमाकेदार उपस्थिति दे रही है,अपनी इच्छा शक्ति के कारण सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहरा रही है अंतरिक्ष हो या प्रशासनिक सेवा,शिक्षा,राजनीति,खेल,मिडिया सहित विविध विधावों में अपनी गुणवत्ता सिद्ध कर कुशलता से प्रत्येक जिम्मेदारी के पद को सँभालने लगी है, आज आवश्यकता है यह समझने की  कि नारी विकास की केन्द्र है और भविष्य भी उसी का है, स्त्री के सुव्यवस्थित एवं सुप्रतिष्ठित जीवन के अभाव में सुव्यवस्थित समाज की रचना नहीं हो सकती। अतः मानव और मानवता दोनों को बनाये रखने के लिए नारी के गौरव को समझना होगा।


Saturday, March 19, 2022

हिजाब प्रकरण : अलग दिखने की जिद क्यों ?


डॉ. सौरभ मालवीय
भारत एक लोकतांत्रिक देश है. यहां सभी धर्मों और संप्रदायों के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं. सभी को अपने-अपने धर्म के अनुसार धार्मिक कार्य करने एवं जीवन यापन करने का अधिकार प्राप्त है. परन्तु कुछ अलगाववादी शक्तियों के कारण देश में किसी न किसी बात को लेकर प्राय: विवाद होते रहते हैं. इन विवादों के कारण जहां शान्ति का वातावरण अशांत हो जाता है, वहीं लोगों में मनमुटाव भी बढ़ जाता है. ताजा उदाहरण है हिजाब प्रकरण. कर्नाटक के उडुपी से प्रारंभ हुआ हिजाब प्रकरण थमने का नाम ही नहीं ले रहा है.

मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज कर दिए जाने के पश्चात यह मामला अब सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है. कर्नाटक उच्च न्यायालय का कहना है कि छात्रों को स्कूलों में हिजाब नहीं, यूनिफॉर्म पहननी होगी. न्यायालय का कहना है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है. हिजाब मामले में राज्य के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवादगी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ के सामने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं है और इसके उपयोग पर रोक लगाना संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने कहा कि हिजाब धर्म के पालन के अधिकार के अंतर्गत दिखावे का भाग है. पूर्ण पीठ में न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, न्यायाधीश जेएम काजी एवं न्यायाधीश कृष्णा एम दीक्षित सम्मिलित हैं. एडवोकेट जनरल ने कहा कि सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन भी नहीं करता. यह अनुच्छेद भारतीय नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है. उन्होंने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म के बारे में सरकार का आदेश पूरी तरह शिक्षा के अधिकार कानून के अनुरूप है और इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. उन्होंने कहा कि उडुपी के सरकारी प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में यूनिफॉर्म का नियम वर्ष 2018 से लागू है, परन्तु समस्या तब प्रारंभ हुई जब विगत दिसंबर में कुछ छात्राओं ने प्राचार्य से हिजाब पहनकर कक्षा में जाने की अनुमति मांगी. इस पर उनके अभिभावकों को कॉलेज में बुलाया गया और यूनिफॉर्म लागू होने की बात कही गई, परन्तु छात्राएं नहीं मानीं और उन्होंने विरोध आरंभ कर दिया. जब मामला सरकार के संज्ञान में आया, तो उसने मामले को तूल न देने की अपील करते हुए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने की बात कही. किन्तु छात्राओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं हुआ. जब मामला बढ़ गया, तो सरकार ने 5 फरवरी को आदेश देकर ऐसे किसी भी वस्त्र को पहनने से मना कर दिया, जिससे शांति, सौहार्द्र एवं कानून व्यवस्था प्रभावित हो रही हो.

विशेष बात यह भी है कि उच्च न्यायालय ने पर्दा प्रथा पर भीमराव आंबेडकर की टिप्पणी का भी का उल्लेख करते हुए कहा- "पर्दा, हिजाब जैसी चीजें किसी भी समुदाय में हों तो उस पर बहस हो सकती है. इससे महिलाओं की आजादी प्रभावित होती है. यह संविधान की उस भावना के विरुद्ध है, जो सभी को समान अवसर प्रदान करने, सार्वजनिक जीवन में हिस्सा लेने और पॉजिटिव सेक्युलरिज्म की बात करती है.“

भारत में व्याप्त अनेक कुप्रथाओं ने महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखा है. पर्दा प्रथा भी उनमें से एक है. इस प्रथा के कारण महिलाओं को अनेक समस्याओं से जूझना पड़ा. उन्हें घर की चारदीवारी तक सीमित कर दिया गया. पुनर्जागरण के युग में समाज सुधारकों ने इन कुप्रथाओं के विरोध में जनजागरण आन्दोलन चलाया. इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले. समय के साथ-साथ समाज में परिवर्तन आया. हिन्दू व अन्य समुदायों के साथ-साथ मुसलमान भी अपनी बच्चियों को स्कूल भेजने लगे, परन्तु उनका अनुपात अन्य समुदायों की तुलना में बहुत ही कम है, जो चिंता का विषय है. देश में सबको समान रूप से अधिकार दिए गए हैं. शिक्षण संस्थानों में भी सबके साथ समानता का व्यवहार किया जाता है. प्रश्न यह है कि कुछ लोग स्वयं को दूसरों से पृथक क्यों रखना चाहते हैं?   

वास्तव में हिजाब प्रकरण मुस्लिम समाज की लड़कियों को शिक्षा से दूर रखने का एक षड्यंत्र है. चूंकि शिक्षा ही मनुष्य को अज्ञानता के अंधकार से निकाल कर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाती है, इसलिए रूढ़िवादी मानसिकता के लोग महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखने के लिए ऐसे षड्यंत्र रचते रहते हैं, ताकि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज न उठा सकें. मुस्लिम समाज में महिलाओं की जो स्थिति है, वह किसी से छिपी नहीं है. जब मुस्लिम बहन-बेटियों के हक में भाजपा सरकार ‘तीन तलाक’ पर रोक लगाने का कानून लाई थी, तो शिक्षित और जागरूक मुस्लिम महिलाओं ने इसका खुले दिल से स्वागत किया था. उस समय भी रूढ़िवादी लोगों ने जमकर इसका विरोध किया था, परन्तु उनकी एक न चली. इस कानून ने मुस्लिम महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने का कार्य किया. अब कोई भी व्यक्ति ‘तीन तलाक’ कहकर अपनी पत्नी को घर से नहीं निकाल सकता. ऐसा करने पर उसे दंड दिए जाने का प्रावधान है.

उल्लेखनीय है कि यूरोप के अनेक देशों ने हिजाब अर्थात बुर्का पहनने पर आंशिक या पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया हुआ है, जिसमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड एवं स्विट्जरलैंड आदि सम्मिलित हैं। इटली और श्रीलंका में भी बुर्का पहनने पर प्रतिबंध है. इन सभी देशों में आदेश का उल्लंघन करने पर भारी आर्थिक दंड दिए जाने का प्रावधान है.

कुछ लोग हिजाब के मामले में कुरआन की दुहाई देते हुए कहते हैं कि इसमें कई स्थान पर हिजाब का उल्लेख किया गया है, परन्तु वे इस बात पर चुप्पी साध लेते हैं कि ड्रेस कोड के संदर्भ में ऐसा कुछ नहीं कहा गया. इस्लाम के पांच मूलभूत सिद्धांतों में भी हिजाब सम्मिलित नहीं है. वास्तव में धर्म का संबंध आस्था एवं विश्वास से होता है, जबकि वस्त्रों का संबंध क्षेत्र विशेष एवं आवश्यकताओं से होता है. उदाहरण के लिए किसी भी ठंडे स्थान पर रहने वाले लोग जो भारी भरकम गर्म वस्त्र पहनते हैं, वे किसी गर्म क्षेत्र में रहने वाले लोग नहीं पहन सकते. ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि भारत में कहीं भी हिजाब अथवा बुर्का पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, परन्तु जिन संस्थानों में ड्रेस कोड लागू है, वहां हिजाब पहनने की जिद क्यों की जा रही है ?

Wednesday, March 2, 2022

उत्तर प्रदेश चुनाव में महिला मतदाता निभाएंगी अहम भूमिका


डॉ. सौरभ मालवीय    
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का चौथा चरण संपन्न हो चुका है। आगामी 10 मार्च को यह तय हो जाएगा कि इस बार उत्तर प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी? क्या योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा फिर से पांच साल जनता की सेवा करेगी या सपा के नेतृत्व में अखिलेश यादव कुर्सी संभालेंगे?  उत्तर प्रदेश में चित्र साफ नजर आ रहा है कि इस बार चुनाव एकपक्षीय नहीं है। यह चुनाव विकास के मुद्दों पर एवं आरोप-प्रत्यारोप से घिरे हुए तमाम राजनीतिक उतार-चढ़ाव में अपना वजूद तलाश रहा है। पिछले पांच वर्षों से भाजपा नीत सरकार में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ का दावा है कि पुनः भाजपा की सरकार बनेगी। विकास ही भाजपा के लिए चुनावी मुद्दा है। चौथे चरण के मतदान के बाद बीजेपी द्वारा अपने विकास के कार्यों में महिला सुरक्षा को सबसे बड़ा विषय बनाकर प्रचार किया जा रहा है।

नि:संदेह महिलाओं के प्रति निरंतर बढ़ते अपराध समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। महिलाओं को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हरसंभव प्रयास किया है। महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए राज्य में सेफ सिटी परियोजना को लागू किया गया। महिलाओं एवं बालिकाओं के साथ छेड़छाड़ रोकने के लिए एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किया गया। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की सेफ सिटी योजना में अभी तक राज्य का केवल लखनऊ शहर ही सम्मिलित है। राज्य सरकार ने इसे राज्य के 17 अन्य शहरों में लागू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए बजट में 97 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। इस योजना में राज्य के सभी नगर निगम वाले शहरों को महिलाओं के लिए सेफ सिटी बनाने की व्यवस्था की जाएगी। सेफ सिटी परियोजना में केंद्र सरकार 40 प्रतिशत और राज्य सरकार 60 प्रतिशत धनराशि व्यय करेगी। केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की 62 करोड़ 89 लाख रुपये की धनराशि जारी कर दी है। अब कानपुर, प्रयागराज, मेरठ, अलीगढ़, बनारस, अयोध्या, मथुरा, शाहजहांपुर, सहारनपुर, गाजियाबाद, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, आगरा, गोरखपुर, झांसी एवं बरेली भी सेफ सिटी बनाए जाएंगे।

सेफ सिटी में महिलाओं की सुरक्षा का दायित्व भी महिला पुलिस कर्मियों पर ही होगा। उनके पास गुलाबी रंग के स्कूटर और एसयूवी वाहन होंगे, जिससे वे अपराधिक तत्वों पर दृष्टि रखेंगी। महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट भी बनाए जाएंगे। ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित किया जाएगा, जहां महिलाओं का आवागमन रहता है और वहां स्ट्रीट लाईट की कोई व्यवस्था नहीं है। वहां पर्याप्त प्रकाश और सुरक्षा की व्यवस्था की जाएगी। बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन की भी व्यवस्था की जाएगी। यह एक ऐसा बटन है, जिसके माध्यम से संकट की स्थिति में आसानी से इमरजेंसी कॉल की जा सकेगी। इन शहरों में जगह-जगह महिला पुलिस कियोस्क बनाए जाएंगे, जहां महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा। परियोजना पर निगाह रखने के लिए वूमेन पॉवर लाइन 1090 की क्षमता दोगुनी कर दी जाएगी। महिला पुलिस कर्मियों को लाने ले एवं ले जाने के लिए बस और एसयूवी की व्यवस्था की जाएगी। महिला पुलिस कर्मियों को सादे कपड़ों में स्कूल, कॉलेज, अन्य शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों आदि के पास भी तैनात किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि पिछले चार वर्ष की समयावधि में स्क्वायड द्वारा 98 लाख 55 हजार 867 व्यक्तियों की चेकिंग करते हुए नौ हजार 948 अभियोग पंजीकृत किए गए तथा 14 हजार 958 व्यक्तियों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की गई, जबकि 41 लाख 21 हजार 745 व्यक्तियों को चेतावनी दी गई।
 
महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य के सभी 1535 थानों में महिला हेल्प डेस्क स्थापित किए गए। बेहतर पुलिसिंग के लिए लखनऊ एवं नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई। पहली पुलिस फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए बजट की व्यवस्था की गई। पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में भी एफआईआर काउंटर की स्थापना की गई। महिलाओं की सुरक्षा के लिए वूमेन पावर लाइन 1090 संचालित की गई। यूपी-112 नम्बर का रिस्पॉन्स टाइम अब 10-40 मिनट का हो गया है। इससे छह लाख 46 हजार लोगों की सहायता की गई।
 
उच्च न्यायालय, जनपदीय न्यायालय, मेट्रो स्टेशन तथा महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश सिक्योरिटी फोर्स का गठन किया गया। एक लाख 337 हजार से अधिक पुलिस कर्मियों की भर्ती की गई तथा 32 हजार 861 अराजपत्रित पुलिस कर्मियों को पदोन्नत किया गया। आतंकी गतिविधियों पर अंकुश के लिए स्पेशल पुलिस ऑपरेशन टीम का गठन किया गया। राज्य में 18 विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के निर्माण का कार्य जारी है। लखनऊ, वाराणसी, आगरा एवं मुरादाबाद में क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला के भवन निर्मित किए गए तथा यूनिट क्रियाशील है। मोबाइल कम्युनिकेशन प्लान का सृजन किया गया।
राज्य में 213 नये थानों की स्थापना की गई, जिनमें 75 विद्युत थाने, पांच महिला थाने, 10 सतर्कता थाने, चार आर्थिक अपराध इकाई पुलिस थाने, 36 घोषणा से आच्छादित थाने, 27 अन्य स्थापित नवीन थाने तथा 40  मानव तस्करी रोधक इकाई को पुलिस थाने का दर्जा दिया गया। लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में साइबर थाने क्रियाशील हैं, जबकि 16 अन्य परिक्षेत्रीय मुख्यालयों में साइबर क्राइम थानों की स्थापना की गई, जिनमें बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, कानपुर, प्रयागराज, चित्रकूट, गोरखपुर, देवीपाटन, बस्ती, वाराणसी, आजमपुर, मिर्जापुर एवं अयोध्या सम्मिलित है। राज्य के प्रत्येक जिले में साइबर सेल का गठन किया गया। महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की स्थापना की गई।
उल्लेखनीय यह भी है कि उत्तर प्रदेश महिला आयोग द्वारा समय-समय पर कार्यशालाओं का आयोजन कर महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी दी जाती है।

महिलाओं एवं बालिकाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए पृथक 81 मजिस्ट्रेट स्तरीय न्यायालय एवं 81 अपर सत्र न्यायालय क्रियाशील हैं। पॉक्सो एक्ट में त्वरित न्याय दिलाने के लिए 218 नये फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित किए गए। इसके अतिरक्त महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्रदान करने के उद्देश्य से राजस्व संहिता में पौत्री, भतीजी और भांजी को भी भौमिक अधिकार दिए जाने का प्रावधान किया गया है।   
 
प्रयागराज में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया गया है। जनपदों में न्यायालयों के भवन निर्माण के लिए 450 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। माननीय न्यायमूर्तिगण के लिए आवासीय भवनों के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ के लिए नये भवनों के निर्माण कार्य हेतु 150 करोड़ रुपये तथा इलाहाबाद पीठ के भवन के निर्माण के लिए 450 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। अधिवक्ता कल्याण निधि हेतु न्यासी समिति को अंतकरण के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
          
योगी सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए किए गये कार्यों की सफलता ही है कि आज महिलाएं आत्मविश्वास के साथ निर्भीक होकर घर से बाहर निकल रही हैं। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में महिला मतदाता साइलेंट वोटर के रूप में जानी जाती हैं। महिला मतदाता जिस पार्टी को अपना समर्थन देती हैं, सरकार भी उसी की बनती है। पिछले विधानसभा चुनाव में तीन तलाक के नाम पर भाजपा को मुस्लिम महिलाओं का भी भारी समर्थन मिला था। इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि महिलाएं किसे अपना समर्थन देती हैं। 

Tuesday, March 6, 2018

महिला सशक्तीकरण की प्रतिबद्धता

डॊ. सौरभ मालवीय
आज हर क्षेत्र में महिलाएं आगे बढ़ रही हैं। कोई भी क्षेत्र ऐसा नहीं है, जहां महिलाओं ने अपनी उपस्थिति दर्ज न कराई हो। महिलाएं समाज की प्रथम इकाई परिवार का आभार स्तंभ हैं। एक महिला सशक्त होती है, तो वह दो परिवारों को सशक्त बनाती है। प्राचीन काल में भी महिलाएं सशक्तीकरण का उदाहरण थीं। वे ज्ञान का भंडार थीं। किन्तु एक समय ऐसा आया कि महिलाओं को घर की चारदीवारी तक सीमित कर दिया गया। किन्तु ये समय भी अधिक समय तक नहीं टिका। एक बार फिर से महिलाएं घर की चौखट से बाहर आने लगी हैं। आज महिलाएं सभी क्षेत्रों में अपना परचम लहरा रही हैं। शिक्षा हो या खेलकूद,  अंतरिक्ष हो या प्रशासनिक सेवा, व्यवसाय हो या राजनीति वे हर क्षेत्र में अपनी कुशलता सिद्ध कर रही हैं। महिला सशक्तीकरण के बिना देश व समाज का विकास अधूरा है।

 प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी की सरकार महिला सशक्तीकरण को लेकर प्रतिबद्ध है। प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी का कहना है कि नारी सशक्तीकरण के बिना मानवता का विकास अधूरा है। आज मुद्दा महिलाओं के विकास का नहीं, बल्कि महिलाओं के नेतृत्व वाले विकास का है। यह जरूरी है कि हम स्वयं को और अपनी शक्तियों को समझें। जब कई कार्य एक समय पर करने की बात आती है तो महिलाओं को कोई नहीं पछाड़ सकता। यह उनकी शक्ति है और हमें इस पर गर्व होना चाहिए। हम लड़कियों के जन्म होने पर खुशियां मनाएं। हमें अपनी बेटियों पर समान रूप से गर्व होना चाहिए। हमें समाज में ही नहीं, बल्कि परिवार के भीतर भी महिलाओं और पुरुषों के बीच भेदभाव को रोकना होगा। महिलाओं को खुद से जुड़े फैसले लेने की स्वतंत्रता होनी चाहिए। सही मायने में हम तभी नारी सशक्तीकरण को सार्थक कर सकते हैं। नारी सशक्तीकरण में आर्थिक स्वतंत्रता की महत्वपूर्ण भूमिका होती है। चाहे वो शोध से जुड़ी गतिविधियां हों या फिर शिक्षा क्षेत्र, महिलाएं काफी अच्छा काम कर रही हैं। कृषि के क्षेत्र में भी महिलाओं का महत्वपूर्ण योगदान है।

सरकार महिलाओं के सामाजिक, शैक्षणिक और आर्थिक उत्थान के लिए अनेक योजनाएं चला रही है। किन्तु अधिकतर महिलाओं को इनके बारे में जानकारी नहीं है। ऐसे में महिलाएं इन योजनाओं का लाभ नहीं ले पा रही हैं। सरकार का प्रयास है कि महिलाएं इन योजनाओं का अधिक से अधिक लाभ उठाएं। इसीलिए महिलाओं को इस बारे में जानकारी उपलब्ध कराने के लिए सरकार ने एक नारी नामक एक पोर्टल भी बनवाया है। केन्दीय महिला एवं बाल विकास मंत्री मेनका गांधी ने 2 जनवरी, 2017 को नई दिल्ली में इसका शुभारंभ किया था। इस पोर्टल को महिला एवं बाल विकास मंत्रालय ने विकसित किया है। इस पोर्टल में केंद्र तथा राज्य सरकारों द्वारा चलाई जा रही योजनाओं की पूरी जानकारी दी गई है।  इस पोर्टल में महिलाओं के कल्याण के लिए 350 सरकारी योजनाओं से संबंधित व अन्य महत्वपूर्ण जानकारियां उपलब्ध कराई गई हैं, जिससे महिलाओं को लाभ होगा। सरकार महिलाओं की सुरक्षा को लेकर गंभीर है।  विकट परिस्थितियों में महिलाओं की सहायता के लिए 168 जिलों में वन स्टॉप सेंटर उपलब्ध हैं। संकट के समय महिलाएं इन केन्दों में जाकर अपने लिए सहायता की माघ कर सकती हैं।  प्रधानमंत्री आवास योजना के अंतर्गत पंजीयन में महिलाओं को प्राथमिकता दी जाती है।

सरकार कन्या भ्रूण हत्या रोकने और महिला शिक्षा के लिए बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना चला रही है। यह अभियान महिला एवं बाल विकास मंत्रालय, परिवार कल्याण मंत्रालय और मानव संसाधन मंत्रालय के समन्वित प्रयासों से चलाया जा रहा है। इसके सकारात्मक परिणाम भी सामने आने लगे हैं। कामकाजी महिलाओं के लिए नया मातृत्व लाभ संशोधित अधिनियम एक अप्रैल, 2017 से लागू कर दिया है। इसके अंतर्गत कामकाजी महिलाओं के लिए वैतनिक मातृत्व अवकाश की अवधि 12 सप्ताह से बढ़ाकर 26 सप्ताह कर दी गई है। इसके साथ ही 50 या उससे अधिक कर्मचारियों वाले संस्थान में एक निश्चित दूरी पर क्रेच सुविधा उपलब्ध कराना भी अनिवार्य कर दिया गया है, ताकि महिलाएं अपने छोटे बच्चों को वहां छोड़ सकें। महिलाओं को मातृत्व अवकाश के समय घर से भी काम करने की छूट दी गई है। मातृत्व लाभ कार्यक्रम के 1 जनवरी, 2017 से लागू है। इसके अंतर्गत गर्भवती और स्तनपान कराने वाली माताओं को पहले दो जीवित शिशुओं के जन्म के लिए तीन किस्तों में 6000 रुपये की नकद प्रोत्साहन राशि भी प्रदान की जाती है।
सरकार गरीब परिवारों की महिलाओं को चूल्हे के धुएं से मुक्ति दिलाने और स्वच्छ ईंधन के उपयोग को बढ़ावा देने के लिए प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना चला रही है। इसके अंतर्गत गरीबी रेखा से नीचे के परिवारों की महिलाओं को एलपीजी गैस कनेक्शन और चूल्हा निशुल्क प्रदान किया जाता है। सरकार सुकन्या समृद्धि योजना के माध्यम से बालिकाओं के भविष्य को सुरक्षित करने का कार्य भी कर रही है। इस योजना के अंतर्गत 0-10 साल की कन्याओं के खाते डाकघर में खोले जाते हैं। इन खातों में जमा राशि पर 8।1 प्रतिशत की दर से वार्षिक ब्याज देने का प्रावधान है। बेटियों की शिक्षा और समृद्धि की यह योजना अभिभावकों के लिए वरदान सिद्ध हो रही है। इतना ही नहीं, सरकार ने स्टैंड-अप इंडिया के अंतर्गत अपना व्यवसाय प्रारंभ करने के लिए एक महिला को 10 लाख से लेकर 1 करोड़ तक का ऋण उपलब्ध कराने का नियम बनाया गया है। हर बैंक शाखा को महिलाओं को ऋण देना होगा। प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत महिलाओं को रोजगार योग्य बनाने के लिए 11 लाख से अधिक महिलाओं को अलग-अलग तरह के कौशल्य में प्रशिक्षित किया गया है। सरकार महिलाओं को यौन उत्पीड़न से महिलाओं को बचाने के लिए भी कार्य कर रही है। कार्य स्थल पर महिलाओं के यौन उत्पीड़न की घटनाएं रोकने के लिए ई-प्लेटफॉर्म उपलब्ध कराया गया है। इस ई-प्लेटफॉर्म की सुविधा के माध्यम से केंद्र सरकार की महिला कर्मचारी ऐसे मामलों में ऑनलाइन ही शिकायत दर्ज करा सकेंगी।
सरकार द्वारा चलाई जा रही ये योजनाएं महिला सशक्तीकरण के लिए बहुत ही महत्वपूर्ण मानी जा रही हैं।