फिर आया वसंत धरती पर

डॊ. सौरभ मालवीय आओ आओ कहे वसंत धरती पर, लाओ कुछ गान प्रेमतान लाओ नवयौवन की उमंग नवप्राण, उत्फुल्ल नई कामनाएं घरती पर कालजयी रचनाकार रवींद्रनाथ टैगोर की उक्त पंक्तियां वसंत ऋतु के महत्व को दर्शाती हैं. प्राचीन काल से ही भारतीय संस्कृति में ऋतुओं का विशेष महत्व रहा है. इन ऋतुओं ने विभिन्न प्रकार से हमारे जीवन को प्रभावित किया है. ये हमारे जन-जीवन से गहरे से जुड़ी हुई हैं. इनका अपना धार्मिक और पौराणिक महत्व है. वसंत ऋतु का भी अपना ही महत्व है. भारत की संस्कृति प्रेममय रही है. इसका सबसे बड़ा उदाहरण वसंत पंचमी का पावन पर्व है. वसंत पंचमी को वसंतोत्सव और मदनोत्सव भी कहा जाता है. प्राचीन काल में स्त्रियां इस दिन अपने पति की कामदेव के रूप में पूजा करती थीं, क्योंकि इसी दिन कामदेव और रति ने सर्वप्रथम मानव हृदय में प्रेम और आकर्षण का संचार किया था. यही प्रेम और आकर्षण दोनों के अटूट संबंध का आधार बना, संतानोत्पत्ति का माध्यम बना. वसंत पंचमी का पर्व माघ मास में शुक्ल पक्ष की पंचमी के दिन मनाया जाता है, इसलिए इसे वसंत पंचमी कहा जाता है. माघ माह की अनेक विशेषताएं हैं. इस माह को भगवान विष्णु