Thursday, September 15, 2016

गाय तितिक्षा की मूर्ति होती है

यहां गाय को पंक्ति में भोजन कराया जाता है
बिप्र धेनु सूर संत हित, लिन्ह मनुज अवतार।
निज इच्छा निर्मित तनु माया गुन गोपार॥
अर्थात ब्राम्हण (प्रबुध्द जन) धेनु (गाय) सूर(देवता) संत (सभ्य लोग) इनके लिए ही परमात्मा अवतरित होते हैं. वह परमात्मा स्वयं के इच्छा से निर्मित होते हैं और मायातीत, गुणातीत एवम् इन्द्रीयातीत इसमें गाय तत्व इतना महत्वपूर्ण हैं कि वह सबका आश्रय है. गाय में 33 कोटि देवी-देवताओं का वास रहता है. इस लिए गाय का प्रत्येक अंग पूज्यनीय माना जाता है. गो सेवा करने से एक साथ 33 करोड़ देवता प्रसन्न होते हैं. गाय सरलता शुध्दता और सात्विकता की मूर्ति है. गऊ माता की पीट में ब्रह्म, गले में विष्णु और मुख में रूद्र निवास करते हैं, मध्य भाग में सभी देवगण और रोम-रोम में सभी महार्षि बसते हैं. सभी दानों में गो दान सर्वधिक महत्वपूर्ण माना जाता है.
गाय को भारतीय मनीषा में माता केवल इसीलिए नहीं कहा कि हम उसका दूध पीते हैं. मां इसलिए भी नहीं कहा कि उसके बछड़े हमारे लिए कृषि कार्य में श्रेष्ठ रहते हैं, अपितु हमने मां इसलिए कहा है कि गाय की आंख का वात्सल्य सृष्टि के सभी प्राणियों की आंखों से अधिक आकर्षक होता है. अब तो मनोवैज्ञानिक भी इस गाय की आंखों और उसके वात्सल्य संवेदनाओं की महत्ता स्वीकारने लगे हैं. ऋषियों का ऐसा मनतव्य है कि गाय की आंखों में प्रीति पूर्ण ढंग से आंख डालकर देखने से सहज ध्यान फलित होता है. श्रीकृष्ण भगवान को भगवान बनाने में सर्वाधिक महत्वपूर्ण भूमिका गायों की ही थी. स्वयं ऋषियों का यह अनुभव है कि गाय की संगति में रहने से तितिक्षा की प्राप्ति होती है. गाय तितिक्षा की मूर्ति होती है. इसी कारण गाय को धर्म की जननी कहते हैं.

Wednesday, September 14, 2016

विश्व विजय दिवस


स्वामी विवेकानंद के शिकागो भाषण प्रसंग पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता विश्वविध्यालय-भोपाल द्वारा आयोजित "विश्व विजय दिवस" के मुख्य वक्ता श्री हेमंत जी मुक्तिबोध.

Sunday, September 11, 2016

लेखन, चिन्तन बैठक

लेखन, चिन्तन बैठक - लखनऊ
नन्दकुमार जी, संस्कृति स्कॉलर प्रसन्ना जी देशपांडे साथ में संजीव सिन्हा, Prathak Batohi 

स्तंभ लेखक गोष्ठी



राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ, प्रचार विभाग द्वारा लखनऊ में आयोजित दो दिवसीय स्तम्भ लेखक संगोष्ठी के दौरान।

Friday, September 9, 2016

औंढा नागनाथ ज्योतिर्लिंग- महाराष्ट्र


भगवान शिव यहां अपने लिंग रूप में मौजूद हैं. यह मंदिर, देश के 12 ज्योतिर्लिंगों में से एक है.
पौराणिक कथा के अनुसार, यह मंदिर युधिष्ठिर (ज्येष्ठ पांडव) द्वारा अपने 14 साल के वनवास (वन यात्रा) के दौरान बनाया गया है. मंदिर यादव वंश के शासन के तहत 13वीं सदी में निर्मित हुआ है. मूल रूप में यह एक सात मंजिला इमारत थी, लेकिन औरंगजेब के शासन के दौरान मुगल सेना के हमलों से इस मंदिर के ज्यादातर हिस्सों को नष्ट कर दिया गया था.
इस मंदिर की वास्तुशैली हेमदपंती है. पथरीली दीवारों और छत पर हिन्दू देवी-देवताओं के विभिन्न नक्काशिया हैं. प्रवेश द्वार और शिखर को पुनर्निर्मित करने के उपरांत सफेद रंग में रंगा गया है.
मुख्य गर्भगृह एक संकरी गुफा के अंदर है. यह गुफा लगभग तहखाने में है और बहुत कम लोग एक समय में अंदर जा सकते हैं. इस तरह के एक संकीर्णकक्ष में, मंत्र और भजन की आवाज़ पत्थरो से टकरा कर गूंजती है और एक रहस्यमय वातावरण निर्माण करती है.

Thursday, September 8, 2016

एलोरा

एलोरा भारतीय पाषाण शिल्प स्थापत्य कला का सार है. यहां 34 गुफ़ाएं हैं, जो असल में एक ऊर्ध्वाधर खड़ी चरणाद्रि पर्वत का एक फ़लक है. इसमें हिन्दू, बौद्ध और जैन गुफ़ा मन्दिर बने हैं. ये पांचवीं और दसवीं शताब्दी में बने थे. यहां 12 बौद्ध गुफ़ाएं (1-12), 17 हिन्दू गुफ़ाएं (13-29) और 5 जैन गुफ़ाएं (30-34) हैं. ये सभी आसपास बनीं हैं और अपने निर्माण काल की धार्मिक सौहार्द को दर्शाती हैं.

Monday, September 5, 2016

हुजूर साहिब गुरुद्वारा


हुजूर साहिब गुरुद्वारा सिख धर्म के पाँच सत्ता के सिंहासन में से एक का घर है. नांदेड़ में गोदावरी नदी के तट पर स्थित, यह अच्छी तरह से संरक्षित मंदिर सिख वास्तुकला और धार्मिक प्रथाओं का सर्वश्रेष्ठ वैशिष्ट्य दर्शाता है.

अल्पसंख्यकवाद से मुक्ति पर विचार हो

  - डॉ. सौरभ मालवीय      भारत एक विशाल देश है। यहां विभिन्न समुदाय के लोग निवास करते हैं। उनकी भिन्न-भिन्न संस्कृतियां हैं , परन्तु सबकी...