भारत की राष्ट्रीयता हिन्दुत्व है

डॉ. सौरभ मालवीय हिन्दू शब्द का प्रयोग कब प्रारम्भ हुआ यह बताना कठिन है। परन्तु यह सत्य है कि हिन्दू शब्द अत्यंत प्राचीन वैदिक वाङ्मय के ग्रन्थों मे साक्षात् नहीं पाया जाता है। परन्तु यह भी निर्विवाद है कि हिन्दू शब्द का मूल निश्चित रूप से वेदादि प्राचीन ग्रन्थों में विद्यमान है। भारत में हिन्दू नाम की उपासना पद्धति है ही नही यहां तो कोई वैष्णव है या शैव अथवा शक्य है कबीरपंथी है सिख है आर्यसमाजी है जैन और बौद्ध है। वैष्णवों में भी उपासना के अनेक भेद हैं. अर्थात् जितने व्यक्ति उपासना और आस्था की उतनी ही विधियां हर विधि को समाज से स्वीकारोक्ति प्राप्त है। पश्चिम के राजनीतिज्ञ व समाजशात्री भारतीय संस्कृति और समाज के इस पक्ष को या तो समझ ही नहीं सके या उन्होने पश्चिमी अवधारणाओं के बने सांचों में ही भारत को ढ़ालने का प्रयास किया। अनेक सज्जनों द्वारा विभिन्न प्रकार की व्याख्याओं से यह शब्द भी विवादित हो गया है। यद्यपि यह शब्द भारत का ही पर्याय है और यह जीवन पद्धति की ओर इंगित करता है। विख्यात स्तम्भकार पद्म श्री मुजफ्फर हुसैन कहते हैं कि- ‘‘भारतीयता तो भारत की नागरिकता है, भारत की रा