डॉ. सौरभ मालवीय भारत यह एक ऐसा अद्भुत शब्द है जिसका उच्चारण ही मन को झंकृत कर देता है। जिस शब्द की कल्पना से ही संगीत निकलने लगे वह भारत है। ‘भारत’ में ‘भा’ का अर्थ होता है उजाला, सत्य, प्रकाश, आभा, ज्ञान, मोक्ष, परिपूर्ण, पोषण, जीवन आनन्द आदि आदि...। कहां तक कहें यहां तो सहस्र नाम की परम्परा ही है। विष्णु सहस्र नाम, शिव सहस्र नाम श्रीराम सहस्र नाम, गोपाल सहस्र नाम...। तो भारत के अनन्त नाम हैं अनन्त अर्थ हैं और यह संस्कृत का शब्द है संस्कृत इतनी तरल भाषा ;सपुनपपिकि संदहनंहद्ध है कि इसके अर्थ की अनन्तता सहज ही हो जाती है। भारत में ‘रत’ का अर्थ है लीन तल्लीन, लवलीन विलीन आदि। भारत का अर्थ हुआ ज्ञान में तल्लीन, भरणपोषण करने वाला, परम प्रकाशक अतएव इस धरा पर जहां भी ज्ञान की सत्य की साधना हो वह भारत भूमि है। प्रख्यात दार्शनिक ओशो की रचना ‘भारत एक सनातन यात्रा’ की प्रस्तावना में विख्यात साहित्यकर्तृ श्रीमती अमृता प्रीतम कहती हैं- ‘‘भारत एक भाव दशा है और इस जगत में जहां भी ज्ञान के अनन्त ऊंचाइयों को छूने का परम्परागत प्रयास चलता है वह भारत है।’’ इन विशिष्टताओं के बिना भारत अधूरा है। भा