कुशीनगर। जन शिक्षा समिति गोरक्ष प्रदेश द्वारा आयोजित प्रांतीय प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग के तीसरे दिन डा सौरभ मालवीय जी क्षेत्रीय मंत्री विद्याभारती पूर्वी उ०प्र० का मार्गदर्शन प्रधानाचार्य बंधुओं को प्राप्त हुआ। महर्षि अरविन्द सरस्वती विद्या मंदिर वरिष्ठ माध्यमिक विद्यालय कसया कुशीनगर के प्रधानाचार्य धर्मेन्द्र मिश्र जी ने अतिथियों का परिचय कराया तथा सरस्वती विद्या मंदिर खजनी, गोरखपुर के प्रधानाचार्य वृजराज मिश्र जी ने अंगवस्त्र भेंट कर मुख्य अतिथि जी का स्वागत किया।
कार्यक्रम की अध्यक्षता जन शिक्षा समिति गोरक्ष प्रदेश के प्रदेश अध्यक्ष विनोद कांत मिश्र जी ने किया। अपने उद्बोधन में डा. सौरभ मालवीय जी ने भारतीय ज्ञान परम्परा के विषय बताते हुए कहा कि चेतना का भाव जागृत करने वाला भाव ही भारतीय ज्ञान परम्परा है। भारत के भाव को बारे में आपके द्वारा कहा गया कि वह भाव जो ज्ञान में रत हो, वही भारत है।जो अंधकार से प्रकाश का मार्ग दिखाता है, वही भारत है। भारतीय जीवन का दर्शन ही भारत है। भारत की सम्पूर्ण शिक्षा परोपकार केंद्रित है। दूसरे के आनंद में सहयोगी बने, यही हमारी परम्परा है। लक्ष्य पूर्ति के बाद जो आनंद मिले तथा जिससे विश्व का कल्याण हो यही भारतीय परम्परा है। भारत में श्रवण कुमार,राजा शिवि तथा राजा हरिश्चन्द्र जैसे कर्त्तव्य परायण, न्याय धर्मी और त्याग प्रेमी महापुरुषों ने जन्म लिया है जिनके जीवन से समाज को प्रेरणा मिलता है। भारत स्वयं में सत्य आधारित है, लोक मंगलकारी है। किसी भी देश,समाज व राष्ट्र के विकास में शिक्षा का विशेष महत्व है। भारतीय दृष्टि ही वसुधैव कुटुम्बकम् है। ज्ञान के आधार पर विश्व को आलोकित करने वाला भारत था इसलिए भारत विश्व गुरु था।
प्रांतीय प्रधानाचार्य प्रशिक्षण वर्ग में जन शिक्षा समिति गोरक्ष प्रदेश के माध्यमिक वर्ग के प्रधानाचार्य बंधु, भगिनी के साथ नवीन प्रधानाचार्य बंधु भी उपस्थित रहे। कार्यक्रम का संचालन अशोक कुमार मिश्र प्रधानाचार्य सरस्वती विद्या मंदिर सिकंदरपुर बस्ती ने किया।
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