उदय सिन्हा (समूह संपादक, अमर उजाला)
मौका था प्रवक्ता. काॅम के 10 वर्ष पूरे होने के उपलक्ष्य में रखे गए विमर्श का और विमर्श का विषय था 'न्यू मीडिया के आगे नतमस्तक मेनस्ट्रीम मीडिया' जिसकी अध्यक्षता डॉ सच्चिदानंद जोशी (सदस्य सचिव आईजीएनसीए) कर रहे थे, बतौर विशिष्ट अतिथि उदय सिन्हा (समूह संपादक अमर उजाला) और शिवाजी सरकार (डीन, पत्रकारिता विभाग मंगलापतन विश्वविद्यालय) मौजूद थे। वहीं इस विषय पर वरिष्ठ पत्रकार ब्रजेश सिंह, बालेन्दु शर्मा दाधीच और वरिष्ठ पत्रकार विनीता यादव को सुनने का अवसर प्राप्त हुआ।
पूरे कार्यक्रम के माॅडरेटर हमारे गुरूदेव डॉ Sourabh Malviya सर थे और मैं इस बात को लेकर आश्वस्त रहता हूँ कि जिस कार्यक्रम में सौरभ सर हों वो निश्चित रूप से सार्थक और उत्साह से भरा होगा और आज भी एैसा ही हुआ।
भारत के प्रिंट मीडिया ने वेब मीडिया से दोस्ती कर ली, वेब मीडिया के माध्यम से लोगों तक सूचनाएं तेजी से पहुँच रही हैं और यहीं से मेनस्ट्रीम मीडिया के लिए चुनौती खड़ी हो जाती है। भारत में एक समय एैसा भी रहा जब लोग न्यू मीडिया को गंभीरता से नहीं लेते थे पर 2008 के बाद स्थितियों में बदलाव आया और न्यू मीडिया ने ना सिर्फ खुद को स्थापित किया बल्कि मेनस्ट्रीम मीडिया कई सारी चुनौतियां भी खड़ा रहा है। पर ये सुखद है कि भारत के मेनस्ट्रीम मीडिया ने न्यू मीडिया से दोस्ती कर ली।
(बालेन्दु शर्मा दाधीच)
जब न्यू मीडिया शुरू में आया था तब हमें ये अनुमान नहीं था कि ये इतना आगे जाएगा। मैं एक टीवी पत्रकार हूँ पर इमानदारी से कहना चाहूंगीं कि मैं खुद टीवी नहीं देखती क्योंकि फोन पे आसानी से सूचनाएं मिल जाती है। न्यू मीडिया ने टीवी और अखबार के सामने एक चुनौती पेश की है।
(वरिष्ठ पत्रकार, विनीता यादव)
आज के समय में अखबार की हार्ड कॉपी पढ़ने वाले लोग कम मिलते हैं क्योंकि उनके फेन पर आसानी से खबरें पहुंच जाती हैं। मैं ये मानता हूँ कि न्यू मीडिया ने मेनस्ट्रीम मीडिया के सामने एक चुनौती पेश की है। 5 साल बाद मीडिया डिजिटल होगा और मेजर इनवेस्टमेंट डिजिटल में होगा।
(वरिष्ठ पत्रकार, ब्रजेश सिंह)
हमें इस बहस में नहीं पड़ना चाहिए कि मेनस्ट्रीम मीडिया के सामने न्यू मीडिया कितनी चुनौती पेश कर रही है। हम सब कुल मिलाकर एक व्यापक मीडिया परिदृश्य का हिस्सा है।
(सच्चिदानंद जोशी)
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