अकारण ही मुझे स्नेह करने वाले, अग्रज भ्राता एवं मार्गदर्शक डॉ सौरभ मालवीय जी की पुस्तक भारत बोध पढ़ने का सुयोग मिला।
बहुत ही उत्कृष्ट वैचारिक मञ्जूषा के रूप में पिरोये गए एक एक सुन्दर लेख इस पुस्तक में पढ़ने को मिला। पुस्तक पढ़ते हुए बहुत सारे विचार मन की उर्वरा भूमि पर अंकुरित हुए जो स्वाभाविक भी थे क्यों की डॉ मालवीय जी का शोध ही "सांस्कृतिक राष्ट्रवाद" पर है उनके जीवन का अधिकांश समय ही इसी वैचारिक प्रज्ञा के अंतर्दहन में गया है।
मुझे यह कहते अति प्रसन्नता है की इस पुस्तक से मैंने राष्ट्रबोध के साङ्गोपाङ्ग यात्रा को जाना और समझा और यह पुस्तक भविष्य के मेरे चेतना बोध का एक महत्वपूर्ण अंग बन गया है।
कुछ लेखा जैसे भारतीयता बनाम सांस्कृतिक राष्ट्रवाद, भारतीय समाज और मीडिया तथा सांस्कृतिक राष्ट्रवाद एवं मीडिया आदि लेख उनके लम्बे अनुभव, विमर्श का परिणाम है।
बहुत बहुत धन्यवाद एक उत्कृष्ट कार्य हेतु!
-शिवेश प्रताप
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