Wednesday, March 30, 2022

भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे की विजय है पांच राज्यों का जनसमर्थन


डॉ. सौरभ मालवीय 
योगी आदित्यनाथ ने मुख्यमंत्री पद की शपथ ले ली. मुख्यमंत्री के रूप में यह उनकी दूसरी पारी है. जब वर्ष 2017 में वह पहली बार मुख्यमंत्री बने थे, तब उनके पास शासन का कोई अनुभव नहीं था, परन्तु इस बार उन्हें पांच वर्ष सत्ता में बने रहने का अनुभव है. वह पांच वर्ष की योजनाएं नहीं बना रहे हैं, अपितु वह डेढ़ दशक तक भाजपा को राज्य एवं केंद्र सत्ता स्थापित रखने की रणनीति पर कार्य कर रहे हैं. योगी-दो कैबिनेट में गुजरात मॉडल की झलक स्पष्ट दिखाई दे रही है. प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के सुझाव पर यूपी के मंत्रिमंडल को आगामी लोकसभा चुनाव के दृष्टिगत बनाया गया है. इसलिए भाजपा आगामी पन्द्रह वर्षों की रणनीति बनाकर चल रही है. 

देश के पांच राज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव में प्राप्त हुई विजय ने भाजपा में नई ऊर्जा का संचार कर दिया है. इस विजय ने यह भी सिद्ध कर दिया है कि यह भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे की विजय है। जनता ने भाजपा में विश्वास जताया है तथा भाजपा की नीतियों का समर्थन किया है। वर्ष 2024 के  लोकसभा चुनाव में अब अधिक समय नहीं बचा है. उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था, क्योंकि यही चुनाव आगे के लोकसभा चुनाव की दिशा निर्धारित करता है। भाजपा ने सेमीफाइनल तो जीत लिया है, अब फाइनल जीतना शेष है. इसलिए भाजपा फूंक-फूंक कर कदम रख रही है.
इसलिए योगी-दो के मंत्रिमंडल में सूझबूझ से काम लिया गया है. योगी के कुल 52 सदस्यीय मंत्रिमंडल में 16 कैबिनेट, 14 स्वतंत्र प्रभार एवं 20 राज्य मंत्री हैं. पिछली सरकार में मंत्री रहे दिनेश शर्मा, श्रीकांत शर्मा, सतीश महाना, नीलकंठ तिवारी, सिद्धार्थ नाथ सिंह, जय प्रताप सिंह पटेल, सतीश महाना, मोहसिन रजा एवं आशुतोष टंडन सहित 20 लोगों को इस बार योगी मंत्रिमंडल में स्थान नहीं दिया गया. 

ओबीसी नेता व एमएलसी केशव मौर्य दूसरी बार उप मुख्यमंत्री बनाए गए हैं, यद्यपि वह सिराथू से चुनाव हार गए थे. उनके साथ ही बृजेश पाठक को भी उप मुख्यमंत्री बनाया गया है. पिछली सरकार में वह कानून मंत्री थे। उन्होंने दिनेश शर्मा का स्थान लिया है. सुरेश कुमार खन्ना को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. वह शाहजहांपुर से नौवीं बार विजयी होकर सदन पहुंचे हैं. पिछली कैबिनेट में वह वित्त मंत्री थे. पूर्व प्रदेश अध्यक्ष सूर्य प्रताप शाही को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. वह पिछली सरकार में कृषि मंत्री थे. प्रदेश अध्यक्ष व एमएलसी स्वतंत्र देव सिंह को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. वह पिछली सरकार में भी मंत्री थे. नंद गोपाल नंदी को कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. वह पिछली सरकार में भी मंत्री थे. धर्मपाल सिंह को भी कैबिनेट में स्थान मिला है. वह पिछली सरकार में सिंचाई मंत्री थे. उत्तराखंड की पूर्व राज्यपाल बेबी रानी मौर्य को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया है. जात नेता लक्ष्मी नारायण चौधरी को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. वह बहुजन समाज पार्टी से भाजपा में आए हैं.
 समाजवादी पार्टी के गढ़ मैनपुरी से विजयी हुए जयवीर सिंह को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया है. अनिल राजभर को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है, वह पिछली सरकार में भी मंत्री थे. वह सपा सरकार में भे रह चुके हैं. राकेश सचान को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया है. भाजपा के प्रदेश उपाध्यक्ष अरविंद कुमार शर्मा को भी योगी कैबिनेट में स्थान दिया गया है. वह प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के खास माने जाते हैं. वह आईएएस की नौकरी छोड़कर राजनीति में आए थे. तीसरी बार वियाधक बने योगेंद्र उपाध्याय को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया है.
एमएलसी भूपेन्द्र चौधरी को भी कैबिनेट मंत्री बनाया गया है. वह पिछली सरकार में पंचायती राज मंत्री थे.एमएलसी जितिन प्रसाद को भी कबिनेट में स्थान दिया गया है. वह कांग्रेस से भाजपा में आए हैं. एमएलसी आशीष पटेल को भी कैबिनेट में स्थान दिया गया है. वह अपना दल एस के प्रदेश अध्यक्ष भी हैं. एमएलसी संजय निषाद को भी कैबिनेट में स्थान मिला है. वह निषाद पार्टी के अध्यक्ष हैं.

भाजपा पिछड़ा मोर्चा के अध्यक्ष नरेंद्र कश्यप एवं पूर्व आइपीएस असीम अरुण को स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया है. एमएलसी धर्मवीर प्रजापति, संदीप सिंह लोधी, अजीत पाल, रवीन्द्र जायसवाल को भी स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया है. ये पिछली सरकार में भी मंत्री थे. कपिलदेव अग्रवाल, गुलाब देवी, गिरीश चंद्र यादव, जयंत राठौर, दयाशंकर सिंह, अरुण कुमार सक्सेना, कांग्रेस से भाजपा में आए दया शंकर दयालु, सपा से भाजपा में आए नितिन अग्रवाल एवं एमएलसी दिनेश प्रताप सिंह को भी स्वतंत्र प्रभार मंत्री बनाया गया है.

संजीव कुमार गौड़ को राज्य मंत्री बनाया गया है. वह पिछली सरकार में भी मंत्री थे. पिछड़ा वर्ग आयोग के पूर्व अध्यक्ष जसवंत सैनी, मयंकेश्वर सिंह, दिनेश खटीक, बलदेव सिंह औलख, मनोहर लाल पंथ, राकेश निषाद, संजय गंगवार, बृजेश सिंह,  कृष्ण पाल मलिक, अनूप प्रधान वाल्मीकी, सोमेंद्र तोमर, सुरेश राही, राकेश राठौर, सतीश शर्मा, प्रतिभा शुक्ला, विजय लक्ष्मी गौतम एवं रजनी तिवारी को भी राज्य मंत्री बनाया गया है. एबीवीपी नेता दानिश आजाद अंसारी को भी राज्य मंत्री बनाया गया है. विशेष बात यह है कि वह न विधायक हैं और न एमएलसी. वह योगी मंत्रिमंडल का एकमात्र मुस्लिम चेहरा हैं.

इस मंत्रिमंडल की विशेष बात यह है कि योगी ने वर्ष 2024 के लोकसभा को ध्यान में रखते हुए जातीय समीकरण को साधने का प्रयास किया है. मंत्रिमंडल में सबसे अधिक 18 मंत्री ओबीसी, 10 ठाकुर, आठ ब्राह्मण, सात दलित, तीन जाट, तीन बनिया, दो पंजाबी और एक मुस्लिम चेहरा सम्मिलित है. दानिश आजाद अंसारी ऐसे समाज से आते हैं, जिनकी यूपी में बड़ी जनसंख्या है. पूर्वांचल अंसारियों का गढ़ है. भाजपा को इस चुनाव में मुसलमानों के आठ प्रतिशत वोट मिले हैं, जो कांग्रेस और बसपा को मिले मतों से भी अधिक हैं. इतना ही नहीं, भाजपा को मुस्लिम महिलाओं का भी समर्थन मिल रहा है. पिछले चुनाव में ‘तीन तलाक’ के मुद्दे पर मुस्लिम महिलाओं ने भाजपा का खुलकर समर्थन किया था. इस बार ‘हिजाब प्रकरण’ के पश्चात भी भाजपा को मुस्लिम महिलाओं का भारी समर्थन मिला. आज मुस्लिम महिलाएं कुप्रथाओं की बेड़ियां तोड़कर आगे बढ़ रही हैं. वे देश की मुख्यधारा में सम्मिलित होना चाहती हैं. ऐसी स्थिति में वे उसी पार्टी का समर्थन करेंगी, जो उनके मौलिक अधिकारों की रक्षा करे.   

योगी सरकार अपनी जनहितैषी योजनाओं पर गंभीरता से कार्य कर रही है. योगी आदित्यनाथ ने शपथ लेने के अगले ही दिन कोरोना काल में आरंभ की गई नि:शुल्क राशन वितरण योजना को तीन महीने के लिए बढ़ा दिया है, जिससे राज्य के 15 करोड़ लोगों को लाभ होगा.
( लेखक- मीडिया प्राध्यापक एवं राजनीतिक विश्लेषक है। )
 

Saturday, March 19, 2022

हिजाब प्रकरण : अलग दिखने की जिद क्यों ?


डॉ. सौरभ मालवीय
भारत एक लोकतांत्रिक देश है. यहां सभी धर्मों और संप्रदायों के लोग आपस में मिलजुल कर रहते हैं. सभी को अपने-अपने धर्म के अनुसार धार्मिक कार्य करने एवं जीवन यापन करने का अधिकार प्राप्त है. परन्तु कुछ अलगाववादी शक्तियों के कारण देश में किसी न किसी बात को लेकर प्राय: विवाद होते रहते हैं. इन विवादों के कारण जहां शान्ति का वातावरण अशांत हो जाता है, वहीं लोगों में मनमुटाव भी बढ़ जाता है. ताजा उदाहरण है हिजाब प्रकरण. कर्नाटक के उडुपी से प्रारंभ हुआ हिजाब प्रकरण थमने का नाम ही नहीं ले रहा है.

मंगलवार को कर्नाटक उच्च न्यायालय द्वारा शैक्षणिक संस्थानों में हिजाब पर प्रतिबंध लगाने को चुनौती देने वाली कई याचिकाओं को खारिज कर दिए जाने के पश्चात यह मामला अब सर्वोच्च न्यायालय पहुंच गया है. कर्नाटक उच्च न्यायालय का कहना है कि छात्रों को स्कूलों में हिजाब नहीं, यूनिफॉर्म पहननी होगी. न्यायालय का कहना है कि हिजाब पहनना इस्लाम की अनिवार्य धार्मिक प्रथा नहीं है. हिजाब मामले में राज्य के एडवोकेट जनरल प्रभुलिंग नवादगी ने कर्नाटक उच्च न्यायालय की पूर्ण पीठ के सामने सरकार का पक्ष रखते हुए कहा कि हिजाब इस्लाम का अनिवार्य अंग नहीं है और इसके उपयोग पर रोक लगाना संविधान के अनुच्छेद 25 का उल्लंघन नहीं है। उन्होंने कहा कि हिजाब धर्म के पालन के अधिकार के अंतर्गत दिखावे का भाग है. पूर्ण पीठ में न्यायालय के मुख्य न्यायाधीश ऋतुराज अवस्थी, न्यायाधीश जेएम काजी एवं न्यायाधीश कृष्णा एम दीक्षित सम्मिलित हैं. एडवोकेट जनरल ने कहा कि सरकार का आदेश संविधान के अनुच्छेद 19(1)(ए) का उल्लंघन भी नहीं करता. यह अनुच्छेद भारतीय नागरिकों को अभिव्यक्ति की स्वतंत्रता की गारंटी देता है. उन्होंने यह भी कहा कि यूनिफॉर्म के बारे में सरकार का आदेश पूरी तरह शिक्षा के अधिकार कानून के अनुरूप है और इसमें कुछ भी आपत्तिजनक नहीं है. उन्होंने कहा कि उडुपी के सरकारी प्री यूनिवर्सिटी कॉलेज में यूनिफॉर्म का नियम वर्ष 2018 से लागू है, परन्तु समस्या तब प्रारंभ हुई जब विगत दिसंबर में कुछ छात्राओं ने प्राचार्य से हिजाब पहनकर कक्षा में जाने की अनुमति मांगी. इस पर उनके अभिभावकों को कॉलेज में बुलाया गया और यूनिफॉर्म लागू होने की बात कही गई, परन्तु छात्राएं नहीं मानीं और उन्होंने विरोध आरंभ कर दिया. जब मामला सरकार के संज्ञान में आया, तो उसने मामले को तूल न देने की अपील करते हुए एक उच्च स्तरीय समिति बनाने की बात कही. किन्तु छात्राओं पर इसका कोई प्रभाव नहीं हुआ. जब मामला बढ़ गया, तो सरकार ने 5 फरवरी को आदेश देकर ऐसे किसी भी वस्त्र को पहनने से मना कर दिया, जिससे शांति, सौहार्द्र एवं कानून व्यवस्था प्रभावित हो रही हो.

विशेष बात यह भी है कि उच्च न्यायालय ने पर्दा प्रथा पर भीमराव आंबेडकर की टिप्पणी का भी का उल्लेख करते हुए कहा- "पर्दा, हिजाब जैसी चीजें किसी भी समुदाय में हों तो उस पर बहस हो सकती है. इससे महिलाओं की आजादी प्रभावित होती है. यह संविधान की उस भावना के विरुद्ध है, जो सभी को समान अवसर प्रदान करने, सार्वजनिक जीवन में हिस्सा लेने और पॉजिटिव सेक्युलरिज्म की बात करती है.“

भारत में व्याप्त अनेक कुप्रथाओं ने महिलाओं को उनके मौलिक अधिकारों से वंचित रखा है. पर्दा प्रथा भी उनमें से एक है. इस प्रथा के कारण महिलाओं को अनेक समस्याओं से जूझना पड़ा. उन्हें घर की चारदीवारी तक सीमित कर दिया गया. पुनर्जागरण के युग में समाज सुधारकों ने इन कुप्रथाओं के विरोध में जनजागरण आन्दोलन चलाया. इसके सकारात्मक परिणाम देखने को मिले. समय के साथ-साथ समाज में परिवर्तन आया. हिन्दू व अन्य समुदायों के साथ-साथ मुसलमान भी अपनी बच्चियों को स्कूल भेजने लगे, परन्तु उनका अनुपात अन्य समुदायों की तुलना में बहुत ही कम है, जो चिंता का विषय है. देश में सबको समान रूप से अधिकार दिए गए हैं. शिक्षण संस्थानों में भी सबके साथ समानता का व्यवहार किया जाता है. प्रश्न यह है कि कुछ लोग स्वयं को दूसरों से पृथक क्यों रखना चाहते हैं?   

वास्तव में हिजाब प्रकरण मुस्लिम समाज की लड़कियों को शिक्षा से दूर रखने का एक षड्यंत्र है. चूंकि शिक्षा ही मनुष्य को अज्ञानता के अंधकार से निकाल कर ज्ञान के प्रकाश की ओर ले जाती है, इसलिए रूढ़िवादी मानसिकता के लोग महिलाओं को शिक्षा से वंचित रखने के लिए ऐसे षड्यंत्र रचते रहते हैं, ताकि वे अपने अधिकारों के लिए आवाज न उठा सकें. मुस्लिम समाज में महिलाओं की जो स्थिति है, वह किसी से छिपी नहीं है. जब मुस्लिम बहन-बेटियों के हक में भाजपा सरकार ‘तीन तलाक’ पर रोक लगाने का कानून लाई थी, तो शिक्षित और जागरूक मुस्लिम महिलाओं ने इसका खुले दिल से स्वागत किया था. उस समय भी रूढ़िवादी लोगों ने जमकर इसका विरोध किया था, परन्तु उनकी एक न चली. इस कानून ने मुस्लिम महिलाओं के जीवन को बेहतर बनाने का कार्य किया. अब कोई भी व्यक्ति ‘तीन तलाक’ कहकर अपनी पत्नी को घर से नहीं निकाल सकता. ऐसा करने पर उसे दंड दिए जाने का प्रावधान है.

उल्लेखनीय है कि यूरोप के अनेक देशों ने हिजाब अर्थात बुर्का पहनने पर आंशिक या पूर्ण रूप से प्रतिबंध लगाया हुआ है, जिसमें ऑस्ट्रिया, बेल्जियम, बुल्गारिया, डेनमार्क, फ्रांस, जर्मनी, नीदरलैंड एवं स्विट्जरलैंड आदि सम्मिलित हैं। इटली और श्रीलंका में भी बुर्का पहनने पर प्रतिबंध है. इन सभी देशों में आदेश का उल्लंघन करने पर भारी आर्थिक दंड दिए जाने का प्रावधान है.

कुछ लोग हिजाब के मामले में कुरआन की दुहाई देते हुए कहते हैं कि इसमें कई स्थान पर हिजाब का उल्लेख किया गया है, परन्तु वे इस बात पर चुप्पी साध लेते हैं कि ड्रेस कोड के संदर्भ में ऐसा कुछ नहीं कहा गया. इस्लाम के पांच मूलभूत सिद्धांतों में भी हिजाब सम्मिलित नहीं है. वास्तव में धर्म का संबंध आस्था एवं विश्वास से होता है, जबकि वस्त्रों का संबंध क्षेत्र विशेष एवं आवश्यकताओं से होता है. उदाहरण के लिए किसी भी ठंडे स्थान पर रहने वाले लोग जो भारी भरकम गर्म वस्त्र पहनते हैं, वे किसी गर्म क्षेत्र में रहने वाले लोग नहीं पहन सकते. ध्यान देने योग्य बात यह भी है कि भारत में कहीं भी हिजाब अथवा बुर्का पहनने पर कोई प्रतिबंध नहीं है, परन्तु जिन संस्थानों में ड्रेस कोड लागू है, वहां हिजाब पहनने की जिद क्यों की जा रही है ?

उत्तर प्रदेश चुनाव में छाई सौरभ मालवीय की पुस्तक


योगी सरकार की नीतियों पर लिखी पुस्तक ‘अंत्योदय को साकार करता उत्तर प्रदेश’ छाई रही
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में लगातार दूसरी बार भारतीय जनता पार्टी ने विजय प्राप्त की है। इस चुनाव के दौरान उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ सरकार की नीतियों पर लिखी पुस्तक ‘अंत्योदय को साकार करता उत्तर प्रदेश’ छाई रही। केंद्रीय गृहमंत्री अमित शाह ने पिछले साल 29 अक्टूबर को लखनऊ में डॉ. सौरभ मालवीय की पुस्तक ‘अंत्योदय को साकार करता उत्तर प्रदेश’ का विमोचन किया था। इस अवसर पर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ, भाजपा के प्रदेश अध्यक्ष स्वतंत्र देव सिंह, संगठन मंत्री सुनील बंसल सहित शिक्षा मंत्री धर्मेंद्र प्रधान, सूचना प्रसारण मंत्री अनुराग ठाकुर , केन्द्रीय मंत्री महेंद्र पांडेय, उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्या एवं दिनेश शर्मा सहित अनेक वरिष्ठ नेता उपस्थित थे।

लेखक डॉ. सौरभ मालवीय का कहना है कि इस पुस्तक का उद्देश्य लोगों को सरकार की उन योजनाओं से अवगत कराना है, जो उनके कल्याण के लिए चलाई जा रही हैं ताकि वे उनका लाभ उठा सकें। प्राय: देखने में आया है कि अज्ञानता और अशिक्षा के कारण लोगों को सरकार की जनहितैषी योजनाओं की जानकारी नहीं होती, जिसके कारण वे इन योजनाओं का लाभ उठाने से वंचित रह जाते हैं। केंद्र और राज्य सरकारें नागरिकों के आर्थिक, सामाजिक एवं शैक्षणिक विकास के लिए अनेक योजनाएं संचालित कर रही हैं। प्रत्येक योजना का यही उद्देश्य होता है कि उसका लाभ सभी पात्र व्यक्तियों तक पहुंचे। जब योजना का लाभ प्रत्येक पात्र व्यक्ति तक पहुंचता है, तो वह योजना सफल हो जाती है। इस समय देश में लगभग डेढ़ सौ योजनाएं चल रही हैं। इनमें कई ऐसी पुरानी योजनाएं भी हैं, जिनके नाम परिवर्तित कर दिए गए हैं। इनमें कई ऐसी योजनाएं भी हैं, जो लगभग बंद हो चुकी थीं और उन्हें पुन : प्रारम्भ किया गया है। इनमें कुछ नई योजनाएं भी सम्मिलित हैं। देश में दो प्रकार की सरकारी योजनाएं चल रही हैं। पहली योजनाएं वे हैं, जो केंद्र सरकार द्वारा चलाई जाती हैं। इस तरह की योजनाएं पूरे देश या देश के कुछ विशेष राज्यों में संचालित की जाती हैं। दूसरी योजनाएं वे हैं, जो राज्य सरकारें चलाती हैं। राज्य में संचालित अधिक योजनाएं केंद्र द्वारा ही चलाई जाती हैं। इनके कार्यान्वयन पर व्यय होने वाली राशि का एक बड़ा भाग केंद्र सरकार वहन करती है और एक भाग राज्य सरकार द्वारा वहन किया जाता है।   

 पुस्तक में भाजपा-नीत सरकार के संकल्प तथा उस संकल्प को पूर्ण करने के अथक प्रयास को दर्शाया है। योगी आदित्य नाथ के मुख्यमंत्रित्व काल में उत्तर प्रदेश के अंतिम व्यक्ति तक के जीवन को सुखी एवं समृद्ध करने के सपने को साकार करने के लिए निरंतर प्रयास किए जा रहे हैं। भाजपा शासन के पांच वर्ष की समयावधि में उत्तर प्रदेश ने लगभग सभी क्षेत्रों में उन्नति की है। कृषि, उद्योग, रोजगार, आवास, परिवहन, बिजली, पानी, शिक्षा, चिकित्सा, सुरक्षा व्यवस्था, धर्म, संस्कृति, पर्यावरण आदि क्षेत्रों में योगी सरकार ने सराहनीय कार्य किए हैं। विद्यार्थियों को छात्रवृत्ति दी जा रही है। वृद्धजन, विधवा एवं दिव्यांगजन को पेंशन के रूप में आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। अनाथ बच्चों के भरण-पोषण की भी व्यवस्था की गई है। जिन परिवारों में कोई कमाने वाला व्यक्ति नहीं है, सरकार उन्हें भी वित्तीय सहायता उपलब्ध करा रही है। निर्धन परिवार की लड़कियों एवं दिव्यांगजन के विवाह लिए अनुदान प्रदान किया जा रहा है। निराश्रित गौवंश के संरक्षण पर भी योगी सरकार विशेष ध्यान दे रही है। सरकार की इन्हीं जन हितैषी योजनाओं के कारण लोगों ने उन्हें पुन: सत्ता सौंपी है। इस पुस्तक में जन साधारण के हित को सर्वोपरि रखा है।

Wednesday, March 16, 2022

भाजपा की सांस्कृतिक अधिष्ठान की जीत


डॉ. सौरभ मालवीय
देश के पांच राज्ज्यों उत्तर प्रदेश, उत्तराखंड, गोवा और मणिपुर विधानसभा चुनाव में प्राप्त हुई विजय ने सिद्ध कर दिया है कि यह भाजपा के चाल, चरित्र और चेहरे की विजय है। जनता ने भाजपा में विश्वास जताया है, भाजपा की नीतियों का समर्थन किया है। वर्ष 2024 में लोकसभा चुनाव होने हैं। उत्तर प्रदेश का विधानसभा चुनाव लोकसभा चुनाव का सेमीफाइनल माना जा रहा था, क्योंकि यही चुनाव आगे के लोकसभा चुनाव की दिशा निर्धारित करता है। यह चुनाव योगी आदित्यनाथ के लिए भी प्रतिष्ठा का प्रश्न बना हुआ था। उनका दावा था कि राज्य की जनता उनके विकास कार्यों को देखते हुए उन्हें पुन: सत्ता का बागडोर सौंपेगी। उनका यह दावा सत्य सिद्ध हुआ।

कारण स्पष्ट है कि भाजपा अपने चाल चरित्र, चेहरे के अनुसार निरंतर हिंदुत्व की छवि को और सुदृढ़ करने का प्रयास कर रही है। प्राचीन शहरों के नाम बदलना तथा काशी विश्वनाथ कॉरिडोर का लोकार्पण इसका उदाहरण है। अयोध्या में राम मंदिर के निर्माण का कार्य चल रहा है। सरकार नमामि गंगे योजना के अंतर्गत गंगा को स्वच्छ एवं निर्मल करने पर विशेष बल दे रही है। गंगा का प्रदूषण कम करने के लिए स्मार्ट गंगा सिटी परियोजना पर कार्य जारी है। योगी सरकार राज्य में पर्यटन को भी बढ़ावा दिया है। गौ संरक्षण और संवर्धन के लिए मुख्यमंत्री निराश्रित गौवंश सहभागिता योजना प्रारम्भ की गई है।

चार राज्यों विशेषकर उत्तर प्रदेश में मिली विजय से भाजपा नेताओं से लेकर कार्यकर्ताओं और समर्थकों में अपार हर्षोल्लास है। भाजपा इस विजय रथ को आगे बढ़ाने पर ध्यान दे रही है। भाजपा लगभग साढ़े तीन दशक के पश्चात पहली बार उत्तर प्रदेश में दोबारा सरकार में आई है। इसी प्रकार उत्तराखंड में भी पहली बार भाजपा सरकार दोहराई गई है। गोवा में तो विजयश्री की हैट्रिक लगी है। भाजपा को प्रत्येक दिशा से अपार जनसमर्थन मिला है। इस विजय ने 2024 के परिणामों को लगभग निश्चित कर दिया है। वर्ष 2017 के उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा ने 325 सीटों पर विजय प्राप्त की थी। उस समय चुनाव प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी के नाम पर लड़ा गया था। इस बार भाजपा ने 255 सीटों पर विजय प्राप्त की है, परन्तु पिछली बार की तुलना में भाजपा को 57 सीटों की हानि हुई है। किन्तु भाजपा ने इस बार उत्तर प्रदेश में लगभग 42 प्रतिशत मत प्राप्त किए हैं, जबकि पिछले विधानसभा चुनाव में उसे 39.67 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। भाजपा का मत प्रतिशत बढ़ाना पार्टी नेताओं के लिए हर्ष का विषय है, परन्तु लोकसभा चुनाव में विजय का मार्ग प्रशस्त करने के लिए भाजपा को अपना जनाधार बढ़ाने के लिए जमीनी स्तर पर कार्य करना होगा। पिछले लोकसभा चुनाव में उत्तर प्रदेश में भाजपा को लगभग 50 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। इस दृष्टि से देखा जाए, तो भाजपा को लोकसभा चुनाव में अपने घटे मत प्रतिशत को पुन: प्राप्त करने के लिए कड़ा परिश्रम करना होगा।

उत्तर प्रदेश में भाजपा का मुकाबला समाजवादी पार्टी से है। वर्ष 2017 के विधानसभा चुनाव में समाजवादी पार्टी ने 311 सीटों पर चुनाव लड़ा था। उसे लगभग 28 प्रतिशत मत प्राप्त हुए थे। इस बार समाजवादी पार्टी ने 32 प्रतिशत से अधिक मत प्राप्त किए हैं, जो भाजपा के लिए चिंता का विषय है। इस बार सपा ने 111 सीटें प्राप्त की हैं। इस प्रकार उसे 64 सीटों का लाभ हुआ है। बहुजन समाज पार्टी से भाजपा को कोई विशेष खतरा नहीं है, क्योंकि बसपा के मतदाता अच्छी तरह समझ चुके हैं कि मायावती ने उनके नाम पर केवल सत्ता प्राप्त कर उसका सुख भोगा। उन्हें दलित समाज के दुःख-सुख से कोई सरोकार नहीं है। इसलिए इस बार बसपा को केवल एक ही सीट से संतोष करना पड़ा है। पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में उसे 18 सीटों की हानि हुई है। कांग्रेस की बात करें, तो पार्टी की स्टार प्रचारक प्रियंका गांधी के वर्षों के कड़े प्रचार के पश्चात भी उसे केवल दो ही सीटें प्राप्त हो सकीं। पिछले विधानसभा चुनाव की तुलना में उसे पांच सीटों की हानि हुई है। कांग्रेस के पास ऐसा कोई नेता भी नहीं बचा, जो उसके लिए विजय का मार्ग प्रशस्त कर सके। कांग्रेस कहीं भी मुकाबले में दिखाई नहीं देती। पिछले विधानसभा चुनाव में राहुल गांधी और कांग्रेस के स्टार प्रचारकों के प्रचार के पश्चात कांग्रेस केवल सात ही सीटें जीत पाई थी।            
इस बार के विधानसभा चुनाव ने कई मिथक तोड़े हैं। विपक्षी दल जिन मुद्दों को सरकार के विरुद्ध मान रहे थे, उनका कोई प्रभाव नहीं पड़ा। केंद्र के कृषि कानूनों के विरोध में किसानों ने एक लंबे समय तक आंदोलन किया। देशभर में प्रदर्शन हुए और रैलियां निकाली गईं। विपक्षी दलों ने खुलकर किसानों का समर्थन किया। पंजाब में कैप्टन अमरिंदर सिंह ने किसानों का साथ दिया। इसके पश्चात भी पंजाब की जनता ने आम आदमी पार्टी को चुनकर राजनीति में एक नये अध्याय का प्रारंभ किया। स्थिति तो यह है कि कैप्टन अमरिंदर सिंह अपनी सीट तक नहीं बचा पाए।

इसी प्रकार उत्तर प्रदेश में भी कांग्रेस, समाजवादी पार्टी के अध्यक्ष अखिलेश यादव और आरएलडी के अध्यक्ष जयंत चौधरी व अन्य दलों ने किसान आन्दोलन का समर्थन किया था। अखिलेश यादव को विश्वास था कि माय अर्थात मुस्लिम और यादवों के वोट बैंक के साथ उन्हें जाटों का भी भरपूर समर्थन मिलेगा, इसलिए उन्होंने आरएलडी के साथ गठबंधन किया। इसके अतिरिक्त उन्होंने सुभासपा और अपना दल जैसे कई छोटे दलों से भी गठबंधन किया, परन्तु गठबंधन सफल नहीं हुआ। भाजपा ने किसान आन्दोलन के पश्चात पश्चिमी उत्तर प्रदेश की 136 विधानसभा सीटों में से 93 पर विजय प्राप्त करके सिद्ध कर दिया कि किसान आन्दोलन निष्प्रभावी रहा। साथ ही लखीमपुर खीरी की उन आठ विधानसभा सीटों पर भी भाजपा ने विजय पाई, जो उसके लिए कठिन मानी जा रही थीं।

वास्तव में भाजपा की विजय भाजपा की नीतियों और उसकी सरकार के विकास कार्यों की विजय है। उत्तर प्रदेश मंह योगी श्री आदित्य नाथ ने मुख्यमंत्री का पदभार ग्रहण करने के पश्चात राज्य में विकास कार्यों की गंगा बहा दी।
राज्य में बेघरों को आवास देने के लिए उत्तर प्रदेश आवास विकास योजना प्रारम्भ की गई। निर्धन परिवारों को आर्थिक सहायता उपलब्ध कराने के लिए राष्ट्रीय पारिवारिक लाभ योजना आरम्भ की गई। प्रवासी श्रमिकों को रोजगार देने के लिए आत्मनिर्भर उत्तर प्रदेश रोजगार अभियान प्रारम्भ किया गया। बेरोजगारों को स्वरोजगार के लिए ऋण उपलब्ध कराने के लिए मुख्यमंत्री युवा स्वरोजगार योजना आरम्भ की गई। बेरोजगार युवाओं को प्रशिक्षण दिलाने के लिए उत्तर प्रदेश कौशल विकास मिशन तथा मुख्यमंत्री शिक्षुता प्रोत्साहन योजना प्रारम्भ की गई। राज्य के युवाओं को आत्मनिर्भर बनाने के लिए मुख्यमंत्री ग्रामोद्योग रोजगार योजना प्रारम्भ की गई। बेरोजगार युवाओं को बेरोजगारी भत्ता प्रदान करने के लिए उत्तर प्रदेश बेरोजगारी भत्ता नामक योजना आरम्भ की गई।
राज्य के श्रमिकों को सरकारी योजनाओं का पूरा लाभ देने के लिए श्रमिक पंजीकरण योजना प्रारम्भ की गई। श्रमिकों के भरण पोषण के लिए राज्य में श्रमिक भरण पोषण योजना आरम्भ की गई है। इसके साथ ही राज्य की समृद्धि के लिए उद्योगों को बढ़ावा दिया जा रहा है।

योगी सरकार ने कृषि क्षेत्र पर भी विशेष ध्यान दिया है। राज्य में जैविक खेती को प्रोत्साहन देने के लिए परम्परागत खेती विकास योजना चलाई जा रही है। खेतों को पर्याप्त सिंचाई जल उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश नि:शुल्क बोरिंग योजना तथा उत्तर प्रदेश किसान उदय योजना संचालित की जा रही है। इनके अतिरिक्त बीज ग्राम योजना के अंतर्गत किसानों को धान एवं गेहूं के बीज पर विशेष अनुदान दिया जा रहा है। पारदर्शी किसान सेवा योजना के अंतर्गत किसानों को आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। मुख्यमंत्री किसान एवं सर्वहित बीमा योजना के अंतर्गत किसानों को समुचित उपचार की सुविधा प्रदान की जा रही है। किसानों को ऋण के बोझ से मुक्त करने के लिए किसान ऋण मोचन योजना प्रारम्भ की गई। मुख्यमंत्री कृषक दुर्घटना कल्याण योजना के अंतर्गत किसानों को वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। 

राज्य में अनाथ बच्चों को आसरा देने के लिए मुख्यमंत्री बाल सेवा योजना प्रारम्भ की गई। महिला सशक्तिकरण के लिए भी सरकार अनेक योजनाएं चला रही है। मुख्यमंत्री कन्या सुमंगला योजना के अंतर्गत निर्धन परिवारों की पुत्रियों को शिक्षा के लिए वित्तीय सहायता प्रदान की जा रही है। उत्तर प्रदेश भाग्यलक्ष्मी योजना के अंतर्गत पुत्री की शिक्षा और विवाह के लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जा रही है। इसके अतिरिक्त लोगों को घर बैठे बैंकिंग सुविधाएं उपलब्ध कराने के लिए बैंकिंग संवाददाता सखी योजना प्रारम्भ की गई है। इससे जहां लोगों को घर पर बैंकिंग सुविधाएं प्राप्त हो रही हैं, वहीं महिलाओं को भी रोजगार प्राप्त हुआ है।

राज्य में अनेक पेंशन योजनाएं संचालित की जा रही हैं, जिनमें उत्तर प्रदेश पेंशन योजना, विधवा पेंशन योजना तथा उत्तर प्रदेश दिव्यांगजन पेंशन योजना सम्मिलित हैं। सरकार लड़कियों और दिव्यांगों के विवाह के लिए अनुदान प्रदान कर रही है। उत्तर प्रदेश विवाह अनुदान योजना के अंतर्गत लड़कियों के विवाह के लिए सरकार द्वारा अनुदान प्रदान किया जाता है। दिव्यांगजन विवाह प्रोत्साहन योजना के अंतर्गत दिव्यांगजनों के विवाह लिए आर्थिक सहायता प्रदान की जाती है।

योगी सरकार शिक्षा के क्षेत्र में भी उल्लेखनीय कार्य कर रही है। राज्य में विद्यालयों, महाविद्यालयों एवं व्यवसायिक प्रशिक्षण केंद्रों एवं उनके नये भवनों की स्थापना की जा रही है। गोरखपुर में आयुष विश्वविद्यालय का निर्माण किय जा रहा है। उत्तर प्रदेश छात्रवृत्ति योजना के अंतर्गत छात्रों को छात्रवृत्ति प्रदान की जा रही है।
सरकार सुरक्षा व्यवस्था को लेकर भी गंभीर है। महिलाओं को सुरक्षा प्रदान करने के लिए सेफ सिटी योजना प्रारम्भ की गई है। विद्युत क्षेत्र में भी योगी सरकार उत्कृष्ट कार्य किया है। परिवहन के क्षेत्र में भी सरकार ने सराहनीय कार्य किए हैं। राज्य ने स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी बहुत उन्नति की है।

योगी आदित्यनाथ दावा करते हैं कि अपने कार्यकाल में राज्य में रोजगार के अवसर तीव्रगति से बढ़े हैं। स्टार्टअप नीति के अंतर्गत पांच लाख युवाओं को रोजगार मिला है, जबकि मनरेगा के माध्यम से डेढ़ करोड़ से अधिक श्रमिकों को रोजगार उपलब्ध कराया गया है। इसी प्रकार 10 लाख स्वयं सहायता समूहों के माध्यम से एक करोड़ महिलाओं को रोजगार मिला है। इतना ही नहीं साढ़े चार लाख युवाओं को सरकारी नौकरी प्रदान की गई, जबकि साढ़े तीन लाख युवाओं की संविदा पर नियुक्ति हुई है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम को 2.16 हजार करोड़ रुपये का ऋण वितरित किया गया।
नि:संदेह भाजपा अपने विकास कार्यों के कारण ही पुन: सत्ता में आई है।
(लेखक- मीडिया प्राध्यापक एवं राजनीतिक विश्लेषक हैं )
 

Thursday, March 3, 2022

उत्तर प्रदेश चुनाव में भाजपा के लिए स्वास्थ्य सेवाएं बनीं संजीवनी


डॉ. सौरभ मालवीय
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव में भाजपा स्वास्थ्य सेवाओं के विस्तार को भी अपने लिए संजीवनी मान रही है। योगी आदित्यनाथ के शासनकाल में उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं का जितना विकास हुआ है, उतना विकास न तो मायावती के शासनकाल में हुआ और न अखिलेश यादव के शासनकाल में ही हुआ।

कोरोना महामारी के दौरान जब प्राय: सभी राज्यों ने कोरोना संक्रमण को फैलने से रोकने के लिए पूर्ण तालाबंदी लगाकर सामान्य गतिविधियों को ठप कर दिया, जिससे साधारण जनजीवन अस्त व्यस्त हो गया, जबकि उत्तर प्रदेश ने कोरोना कर्फ्यू की नीति को लागू किया। उत्तर प्रदेश सरकार की दूरदर्शिता के कारण जीवन और जीविका दोनों को सुरक्षित एवं संरक्षित रखा गया। सरकार द्वारा लागू इस अभिनव व्यवस्था में चिकित्सा जैसी अति आवश्यक गतिविधियों के साथ-साथ किराना की दुकानों, दुग्ध डेयरियों, फल-सब्जी, औद्योगिक इकाइयों, शीतगृहों, कृषि कार्य, निर्माण कार्य, खाद-बीज की दुकानों, खेतबाड़ी से जुड़े कार्य, गेहूं-धान व अन्य कृषि उत्पादों के क्रय केंद्रों आदि का संचालन जारी रखा गया। कोरोना कर्फ्यू के बीच गेहूं खरीद में तो रिकॉर्ड भी बना। लोगों के आवश्यक आवागमन पर भी कोई रोक नहीं थी। विशेष परिस्थितियों के लिए ई-पास की सुविधा दी गई। राज्य के भीतर राज्य परिवहन निगम की बसें भी संचालित होती रहीं, ताकि नागरिकों को आवश्यकता पर आवागमन में समस्या न हो। इसके बावजूद उत्तर प्रदेश का रिकवरी दर देश में सबसे अच्छा है। यह प्रदेश सबसे कम पॉजिटिविटी दर वाले राज्यों में सम्मिलित है।
नि:संदेह उत्तर प्रदेश स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में अग्रणी है। राज्य में सभी चिकित्सा पद्धतियों को बढ़ावा दिया जा रहा है। आयुष चिकित्सा प्रणाली पर भी विशेष ध्यान दिया जा रहा है। राष्ट्रपति रामनाथ कोविंद ने पिछले वर्ष गोरखपुर के भटहट ब्लॉक के पिपरी तलकुलहा में आयुष विश्वविद्यालय का शिलान्यास किया था। इस विश्वविद्यालय का नामकरण महायोगी गुरु गोरखनाथ आयुष विश्वविद्यालय रखा गया है। यह उत्तर प्रदेश का पहला आयुष विश्वविद्यालय होगा। इस विश्वविद्यालय परिसर में आयुर्वेद, योग व प्राकृतिक चिकित्सा का एक उत्कृष्ट श्रेणी का शोध संस्थान भी स्थापित किया जाएगा, जिसमें अन्तर्विभागीय चिकित्सा पद्धतियों का पारस्परिक समन्वय करते हुए शोध कार्यों को बढ़ावा दिया जाएगा। 52 एकड़ भूमि पर बनने वाले इस आयुष विश्वविद्यालय के निर्माण पर 300 करोड़ रुपये खर्च होंगे। आयुष विश्वविद्यालय का वास्तुशिल्प भारतीय संस्कृति के अनुरूप मनोहारी होगा। इसके परिसर में एकेडमिक भवन, प्रशासनिक भवन, आवासीय भवन, छात्रावास, अतिथि गृह के अतिरिक्त ऑडिटोरियम और सुपर स्पेशियलिटी ब्लॉक भी बनाया जाएगा।

इस विश्वविद्यालय से राज्य में संचालित समस्त आयुष, आयुर्वेद, यूनानी, होम्योपैथी, योग व प्राकृतिक चिकित्सा संस्थान और महाविद्यालयों एवं शिक्षा संस्थानों को जोड़ा जाएगा। आयुष महाविद्यालयों की प्रवेश प्रक्रिया, सत्र-नियमन, परीक्षा-संचालन व परिणाम में एकरूपता स्थापित होगी। इस विश्वविद्यालय में पैरामेडिकल, नर्सिंग, फॉर्मेसी एवं आरोग्यता से जुड़े सभी पाठ्यक्रमों के निर्माण एवं अध्ययन, अध्यापन, शोध की व्यवस्था होगी। इस विश्वविद्यालय द्वारा योग, आयुर्वेद, चिकित्सा शिक्षा, उच्च शिक्षा, तकनीकी शिक्षा, कृषि शिक्षा, कौशल विकास, उच्चस्तरीय शोध आधारित शिक्षा को बढ़ावा दिया जाएगा। इसके अतिरिक्त इसके परिसर में आधुनिक चिकित्सा पद्धति एलोपैथी की सभी विधाओं से आरोग्यता प्राप्त करने हेतु जांच, परामर्श एवं उपचार तथा अध्ययन, अध्यापन व शोध के लिए उत्कृष्ट चिकित्सा संस्थान स्थापित किए जाएंगे। उल्लेखनीय है कि हठयोग, राजयोग या मंत्रयोग समेत योग की जितनी भी विशिष्ट विधाएं हैं, उन सभी अलग-अलग व्यवहारिक स्वरूपों के जनक महायोगी गुरु गोरखनाथ ही माने जाते हैं। आयुर्वेद में 'रस शास्त्र' और धातु सिद्धांत में 'इमरजेंसी मेडिसिन' के जनक भी गुरु गोरखनाथ ही माने जाते हैं।

स्वास्थ्य सेवाओं के क्षेत्र में भी उत्तर प्रदेश अग्रणी है। पिछले चार वर्षों की समयावधि में राज्य में एक करोड़ 18 लाख गरीब परिवारों को छह करोड़ 47 लाख लोगों को पांच लाख रुपये तक का स्वास्थ्य सुरक्षा कवर प्रदान किया गया है। मुख्यमंत्री स्वास्थ्य सुरक्षा कोष का गठन किया गया। राज्य के 47 जनपदों में नि:शुल्क डायलिसिस की सुविधा उपलब्ध कराई गई। साथ ही 56 जनपद चिकित्सालयों में नि:शुल्क सीटी स्कैन की सुविधा उपलब्ध कराई गई। राज्य में 170 मोबाइल मेडिकल यूनिट सेवा संचालित हैं। एसजीपीजीआई लखनऊ में स्टेम सेल रिसर्च सेंटर, बॉन मैरो ट्रांसप्लांट सेंटर, लीवर ट्रांसप्लांट सेंटर एवं 60 बेड का ट्रामा सेंटर क्रियाशील है। रोबोटिक सर्जरी प्रारंभ हो गई है। इमरजेंसी मेडिसिन एवं रीनल ट्रांसप्लांट सेंटर निर्माणाधीन है। एसजीपीजीआई लखनऊ में इंस्टीट्यूट ऑफ डायबिटीज एवं इंडोक्राइनॉलोजी विभाग के नाम से एक नये भवन की स्थापना का निर्णय लिया गया है। राज्य के 45 जनपदों के राजकीय मेडिकल कॉलेजों एवं संस्थानों व चिकित्सा विश्वविद्यालयों में क्रिटिकल केयर हॉस्पिटल ब्लॉक की स्थापना की जाएगी। केजीएमयू में राज्य का प्रथम इंटीग्रेटेड स्पाइन सेंटर एवं मेडिसिन विभाग में आर्थोप्लास्टी यूनिट एवं पीड्रिक विभाग तथा राज्य के प्रथम ह्यूमन मिल्क बैंक की स्थापना की गई। केजीएमयू में प्लास्टिक सर्जरी विभाग के अंतर्गत बर्न एवं रिकंस रिकंस्ट्रक्टिव यूनिट की स्थापना की गई। केजीएमयू में रोबोट सर्जरी यूनिट की स्थापना की जाएगी।

राज्य सरकार द्वारा वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में कोरोना की रोकथाम हेतु टीकाकरण के लिए 50 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। राष्ट्रीय ग्रामीण स्वास्थ्य मिशन के लिए 5395 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। प्रधानमंत्री जन आरोग्य आयुष्मान भारत योजना के लिए 1300 करोड़ की व्यवस्था की गई। आयुष्मान भारत मुख्यमंत्री जन आरोग्य योजना के लिए 142 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। प्रधानमंत्री मातृत्व योजना के लिए 320 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। डायग्नोस्टिक मूलभूत ढांचा सृजित करने के लिए 1073 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। शहरी स्वास्थ्य एवं आरोग्य केंद्रों के लिए 425 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। राज्य औषधि नियंत्रण प्रणाली के सुदृढ़ीकरण के लिए 54 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। राज्य के 12 मंडलों में खाद्य एवं औषधि प्रयोगशालाओं एवं मंडलीय कार्यालयों के निर्माण के लिए 50 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। ब्लॉक स्तर पर लोक स्वास्थ्य इकाइयों की स्थापना के लिए 77 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
 
राज्य सरकार चिकित्सा शिक्षा पर भी विशेष ध्यान दे रही है। बिजनौर, कुशीनगर, सुलतानपुर, गोंडा, ललितपुर, लखीमपुर खीरी, चंदौली, बुलंदशहर, सोनभद्र, पीलीभीत, औरैया, कानपुर देहात तथा कौशाम्बी में निर्माणाधीन नये मेडिकल कॉलेजों के लिए 1950 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। राज्य के 16 असेवित जनपदों में पीपीसी मोड में मेडिकल कॉलेजों के संचालन के लिए 48 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। राष्ट्रीय डिजिटल स्वास्थ्य मिशन के लिए 23 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई।  एटा, हरदोई, प्रतापगढ़, फतेहपुर, सिद्धार्थनगर, देवरिया, गाजीपुर एवं मिर्जापुर में निर्माणाधीन मेडिकल कॉलेजों में जुलाई 2021 से शिक्षण सत्र प्रारंभ किए जाने के लिए 900 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। 

अमेठी एवं बलरामपुर में नये मेडिकल कॉलेजों की स्थापना के लिए 175 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। लखनऊ में माननीय अटल बिहारी वाजपेयी चिकित्सा विश्वविद्यालय की स्थापना के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। असाध्य रोगों की चिकित्सा सुविधा मुहैया कराए जाने के लिए 100 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। लखनऊ में इंस्टीट्यूट ऑफ वायरोलॉजी एंड इंफेक्शस डिजीजेज के अंतर्गत बायोसेफ्टी लेवल-4 लैब की स्थापना का लक्ष्य रखा गया। एसजीपीजीआई लखनऊ में उन्नत मधुमेह केंद्र की स्थापना कराए जाने का निर्णय लिया गया। राज्य में दो राजकीय औषधि निर्माणशालाओं लखनऊ एवं पीलीभीत सुदृढ़ीकरण एवं उत्पादन क्षमता में वृद्धि किए जाने का लक्ष्य रखा गया। 
कोरोना की दूसरी लहर के बीच देश जब ऑक्सीजन के संकट से जूझ रहा था, तब उत्तर प्रदेश ने वह कदम उठाया जिसकी सर्वत्र सराहना हुई। ऑक्सीजन की बढ़ती मांग को देखते हुए ऑक्सीजन की उपलब्धता सुनिश्चित कराने के साथ-साथ वितरण व्यवस्था को बेहतर करने की दिशा में उल्लेखनीय कार्य किया गया। इस पर स्वयं नीति आयोग ने मुहर भी लगाई है। उत्तर प्रदेश में 'ऑक्सीजन मॉनीटरिंग सिस्टम फार उत्तर प्रदेश' का शुभारंभ हुआ। परिणामस्वरूप मात्र 10 दिनों से प्रतिदिन एक हजार मीट्रिक टन ऑक्सीजन की रिकॉर्ड आपूर्ति संभव हो सकी, जबकि कुछ दिनों पूर्व तक यह आपूर्ति मात्र 250 मीट्रिक टन थी। ऑक्सीजन की आपूर्ति के लिए ऑनलाइन मॉनीटरिंग सिस्टम लागू करने वाला उत्तर प्रदेश पहला राज्य था।

विदित रहे कि इससे पूर्व उत्तर प्रदेश में स्वास्थ्य सेवाओं की स्थिति अत्यंत दयनीय थी।

 
 

Wednesday, March 2, 2022

उत्तर प्रदेश चुनाव में महिला मतदाता निभाएंगी अहम भूमिका


डॉ. सौरभ मालवीय    
उत्तर प्रदेश विधानसभा चुनाव का चौथा चरण संपन्न हो चुका है। आगामी 10 मार्च को यह तय हो जाएगा कि इस बार उत्तर प्रदेश में किसकी सरकार बनेगी? क्या योगी आदित्यनाथ के नेतृत्व में भाजपा फिर से पांच साल जनता की सेवा करेगी या सपा के नेतृत्व में अखिलेश यादव कुर्सी संभालेंगे?  उत्तर प्रदेश में चित्र साफ नजर आ रहा है कि इस बार चुनाव एकपक्षीय नहीं है। यह चुनाव विकास के मुद्दों पर एवं आरोप-प्रत्यारोप से घिरे हुए तमाम राजनीतिक उतार-चढ़ाव में अपना वजूद तलाश रहा है। पिछले पांच वर्षों से भाजपा नीत सरकार में योगी आदित्यनाथ मुख्यमंत्री के रूप में कार्य कर रहे हैं। योगी आदित्यनाथ का दावा है कि पुनः भाजपा की सरकार बनेगी। विकास ही भाजपा के लिए चुनावी मुद्दा है। चौथे चरण के मतदान के बाद बीजेपी द्वारा अपने विकास के कार्यों में महिला सुरक्षा को सबसे बड़ा विषय बनाकर प्रचार किया जा रहा है।

नि:संदेह महिलाओं के प्रति निरंतर बढ़ते अपराध समाज के लिए गंभीर चिंता का विषय हैं। महिलाओं को सुरक्षा उपलब्ध कराने के लिए उत्तर प्रदेश की योगी सरकार ने हरसंभव प्रयास किया है। महिलाओं एवं बालिकाओं की सुरक्षा को सुदृढ़ करने के लिए राज्य में सेफ सिटी परियोजना को लागू किया गया। महिलाओं एवं बालिकाओं के साथ छेड़छाड़ रोकने के लिए एंटी रोमियो स्क्वायड का गठन किया गया। उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार की सेफ सिटी योजना में अभी तक राज्य का केवल लखनऊ शहर ही सम्मिलित है। राज्य सरकार ने इसे राज्य के 17 अन्य शहरों में लागू करने का निर्णय लिया है। इसके लिए बजट में 97 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। इस योजना में राज्य के सभी नगर निगम वाले शहरों को महिलाओं के लिए सेफ सिटी बनाने की व्यवस्था की जाएगी। सेफ सिटी परियोजना में केंद्र सरकार 40 प्रतिशत और राज्य सरकार 60 प्रतिशत धनराशि व्यय करेगी। केंद्र सरकार ने अपने हिस्से की 62 करोड़ 89 लाख रुपये की धनराशि जारी कर दी है। अब कानपुर, प्रयागराज, मेरठ, अलीगढ़, बनारस, अयोध्या, मथुरा, शाहजहांपुर, सहारनपुर, गाजियाबाद, फिरोजाबाद, मुरादाबाद, आगरा, गोरखपुर, झांसी एवं बरेली भी सेफ सिटी बनाए जाएंगे।

सेफ सिटी में महिलाओं की सुरक्षा का दायित्व भी महिला पुलिस कर्मियों पर ही होगा। उनके पास गुलाबी रंग के स्कूटर और एसयूवी वाहन होंगे, जिससे वे अपराधिक तत्वों पर दृष्टि रखेंगी। महिलाओं के लिए पिंक टॉयलेट भी बनाए जाएंगे। ऐसे क्षेत्रों को चिह्नित किया जाएगा, जहां महिलाओं का आवागमन रहता है और वहां स्ट्रीट लाईट की कोई व्यवस्था नहीं है। वहां पर्याप्त प्रकाश और सुरक्षा की व्यवस्था की जाएगी। बसों में सीसीटीवी कैमरे और पैनिक बटन की भी व्यवस्था की जाएगी। यह एक ऐसा बटन है, जिसके माध्यम से संकट की स्थिति में आसानी से इमरजेंसी कॉल की जा सकेगी। इन शहरों में जगह-जगह महिला पुलिस कियोस्क बनाए जाएंगे, जहां महिला पुलिसकर्मियों को तैनात किया जाएगा। परियोजना पर निगाह रखने के लिए वूमेन पॉवर लाइन 1090 की क्षमता दोगुनी कर दी जाएगी। महिला पुलिस कर्मियों को लाने ले एवं ले जाने के लिए बस और एसयूवी की व्यवस्था की जाएगी। महिला पुलिस कर्मियों को सादे कपड़ों में स्कूल, कॉलेज, अन्य शिक्षण एवं प्रशिक्षण संस्थानों आदि के पास भी तैनात किया जाएगा।

उल्लेखनीय है कि पिछले चार वर्ष की समयावधि में स्क्वायड द्वारा 98 लाख 55 हजार 867 व्यक्तियों की चेकिंग करते हुए नौ हजार 948 अभियोग पंजीकृत किए गए तथा 14 हजार 958 व्यक्तियों के विरुद्ध वैधानिक कार्रवाई की गई, जबकि 41 लाख 21 हजार 745 व्यक्तियों को चेतावनी दी गई।
 
महिलाओं की सुरक्षा व्यवस्था को सुदृढ़ करने के लिए राज्य के सभी 1535 थानों में महिला हेल्प डेस्क स्थापित किए गए। बेहतर पुलिसिंग के लिए लखनऊ एवं नोएडा में पुलिस कमिश्नर प्रणाली लागू की गई। पहली पुलिस फॉरेंसिक यूनिवर्सिटी की स्थापना के लिए बजट की व्यवस्था की गई। पुलिस अधीक्षक कार्यालयों में भी एफआईआर काउंटर की स्थापना की गई। महिलाओं की सुरक्षा के लिए वूमेन पावर लाइन 1090 संचालित की गई। यूपी-112 नम्बर का रिस्पॉन्स टाइम अब 10-40 मिनट का हो गया है। इससे छह लाख 46 हजार लोगों की सहायता की गई।
 
उच्च न्यायालय, जनपदीय न्यायालय, मेट्रो स्टेशन तथा महत्त्वपूर्ण प्रतिष्ठानों की सुरक्षा के लिए उत्तर प्रदेश सिक्योरिटी फोर्स का गठन किया गया। एक लाख 337 हजार से अधिक पुलिस कर्मियों की भर्ती की गई तथा 32 हजार 861 अराजपत्रित पुलिस कर्मियों को पदोन्नत किया गया। आतंकी गतिविधियों पर अंकुश के लिए स्पेशल पुलिस ऑपरेशन टीम का गठन किया गया। राज्य में 18 विधि विज्ञान प्रयोगशालाओं के निर्माण का कार्य जारी है। लखनऊ, वाराणसी, आगरा एवं मुरादाबाद में क्षेत्रीय विधि विज्ञान प्रयोगशाला के भवन निर्मित किए गए तथा यूनिट क्रियाशील है। मोबाइल कम्युनिकेशन प्लान का सृजन किया गया।
राज्य में 213 नये थानों की स्थापना की गई, जिनमें 75 विद्युत थाने, पांच महिला थाने, 10 सतर्कता थाने, चार आर्थिक अपराध इकाई पुलिस थाने, 36 घोषणा से आच्छादित थाने, 27 अन्य स्थापित नवीन थाने तथा 40  मानव तस्करी रोधक इकाई को पुलिस थाने का दर्जा दिया गया। लखनऊ और गौतमबुद्ध नगर में साइबर थाने क्रियाशील हैं, जबकि 16 अन्य परिक्षेत्रीय मुख्यालयों में साइबर क्राइम थानों की स्थापना की गई, जिनमें बरेली, मुरादाबाद, सहारनपुर, आगरा, अलीगढ़, कानपुर, प्रयागराज, चित्रकूट, गोरखपुर, देवीपाटन, बस्ती, वाराणसी, आजमपुर, मिर्जापुर एवं अयोध्या सम्मिलित है। राज्य के प्रत्येक जिले में साइबर सेल का गठन किया गया। महिला एवं बाल सुरक्षा संगठन की स्थापना की गई।
उल्लेखनीय यह भी है कि उत्तर प्रदेश महिला आयोग द्वारा समय-समय पर कार्यशालाओं का आयोजन कर महिलाओं को उनके अधिकारों की जानकारी दी जाती है।

महिलाओं एवं बालिकाओं को त्वरित न्याय दिलाने के लिए पृथक 81 मजिस्ट्रेट स्तरीय न्यायालय एवं 81 अपर सत्र न्यायालय क्रियाशील हैं। पॉक्सो एक्ट में त्वरित न्याय दिलाने के लिए 218 नये फास्ट ट्रैक कोर्ट गठित किए गए। इसके अतिरक्त महिलाओं को पुरुषों के समान अधिकार प्रदान करने के उद्देश्य से राजस्व संहिता में पौत्री, भतीजी और भांजी को भी भौमिक अधिकार दिए जाने का प्रावधान किया गया है।   
 
प्रयागराज में राष्ट्रीय विधि विश्वविद्यालय की स्थापना का निर्णय लिया गया है। जनपदों में न्यायालयों के भवन निर्माण के लिए 450 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। माननीय न्यायमूर्तिगण के लिए आवासीय भवनों के निर्माण के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया। माननीय उच्च न्यायालय, इलाहाबाद की लखनऊ खंडपीठ के लिए नये भवनों के निर्माण कार्य हेतु 150 करोड़ रुपये तथा इलाहाबाद पीठ के भवन के निर्माण के लिए 450 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई। अधिवक्ता कल्याण निधि हेतु न्यासी समिति को अंतकरण के लिए 20 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया।
          
योगी सरकार द्वारा महिलाओं की सुरक्षा के लिए किए गये कार्यों की सफलता ही है कि आज महिलाएं आत्मविश्वास के साथ निर्भीक होकर घर से बाहर निकल रही हैं। उल्लेखनीय है कि उत्तर प्रदेश में महिला मतदाता साइलेंट वोटर के रूप में जानी जाती हैं। महिला मतदाता जिस पार्टी को अपना समर्थन देती हैं, सरकार भी उसी की बनती है। पिछले विधानसभा चुनाव में तीन तलाक के नाम पर भाजपा को मुस्लिम महिलाओं का भी भारी समर्थन मिला था। इस बार यह देखना दिलचस्प होगा कि महिलाएं किसे अपना समर्थन देती हैं। 

वार्षिक कार्ययोजना निर्माण बैठक

विद्या भारती का उद्देश्य शिक्षा के साथ संस्कार, भारतीय संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन, राष्ट्रीय चेतना, चरित्र निर्माण, देशभक्त नागरिक का न...