Friday, September 29, 2017

लखनऊ आते ही मन श्रीन्द्रमय होकर सृष्टि की सुमन के साथ सौरभ हो जाता

 














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दीपावली मिलन

दीपावली मिलन  अयत्नेनैव संपद्यते जनस्य संसर्गयोगः सताम्। अधमेन सह संयोगः, पतनं ह्यस्य साधनम्॥  (भर्तृहरि नीति शतक 18)  भावार्थ– सज्जनों का स...