Saturday, May 20, 2017

वर्तमान परिप्रेक्ष्य में राष्ट्रीय पत्रकारिता सेमिनार


देश के सांस्कृतिक और ऐतिहासिक अस्मिता को जगाने के व्यापक एवं उच्चादर्श से जुड़ा है भारतीय पत्रकारिता।इसे समझने के लिए भारतीय मन का बोध होना जरुरी है, रहते भारत में है और सोचते पश्चिम की दृष्टि से ना ना अब वक्त के हिसाब से अपनी सोच बदलिए (लाल चश्मा) और भारत माता की जय घोष कीजिये। वन्दे मातरम

No comments:

Post a Comment

भेंट

पत्रकारिता के नक्षत्र रहे स्वर्गीय रोहित सरदाना के पूज्य पिताजी श्रीमान रतन चन्द्र सरदाना जी से मिलने का अवसर. कुरुक्षेत्र.