Saturday, July 19, 2014

ये बूंदें कुछ कहती हैं



ये बूंदें कुछ कहती हैं
“ठण्डी-ठण्डी बूंदें जब आंखों को छूती हैं तो ऐसा लगता है मानो कुछ कह रही हों।” “बारिश की इन बूंदों से सीखें क्षण भंगुर है जीवन, पल में दु:ख, पल में खुशियां।” माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय के जनसंचार विभाग के विद्यार्थियों ने कुछ इस तरह सावन, बारिश और प्रकृति का स्वागत किया। मौका था जनसंचार विभाग के साप्ताहिक आयोजन ‘सार्थक शनिवार’ में कवि सम्मेलन का। सम्मेलन में विद्यार्थी कवियों ने अपनी स्वरचित कविताओं के साथ महान लेखकों की कालजयी कविताओं का भी पाठ किया।

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