केशव माधव मधुकर रज्जू दिब्य सुदर्शन की माला
राष्ट्र देवी के सुभ्र चरणों में शोभित मोहन मणि माला
अमिय पियो शत् शरद जियो वैभव का पावन शिखर चढो
भारत को जगत गुरु करने हम साथ तुम्हारे तीव्र बढो
मातृ‑मन्दिर का समर्पित दीप मैं चाह मेरी यह कि मैं जलता रहूँ कर्म पथ पर मुस्कुराऊँ सदा आपदाओं को समझ वरदान मैं जग सुने झूमे सदा अनुराग में उल...
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