Friday, November 7, 2008

श्री लालकृष्ण आडवाणी जी को समर्पित

 

श्री लालकृष्ण आडवाणी जी के जन्मदिन पर आप सभी पाठको को समर्पित
भारत को अभिमान तुम्हीं पर
भारतीय संस्कृति तव प्राण।

भारतीय जनता की आशा
राष्ट्र भाव का कर दो त्राण।।

झुलेलाल कृपा पूरित तुम
सिद्ध भारती तेरे द्वार।

अनुपम वाक्, लेखनी, चिन्तन,
या, चाल, चलन, आचार।। 2।।

विद्या, वाणिज केंद्र कराची
पश्चिम के भारत की शान।

सहस्रािब्द तक गर्वित भारत
जिसके कारण बना महान।। 3।।

उसी कराची से पाई थी
तुमने भारत का परिचय।

संस्कृत, संस्कृति, राष्ट्र चिरंतन
अटक-कटक है एक दय।। 4।।

मूढ़ नेतृ के दुरभिसंधि ने
तुमसे छिनी कराची थी।

दोनों हाथ कटे भारत के
घोर दर्द उपजाती थी।। 5।।

चार लाख जन के हत्या की
आंखें तेरी साक्षी हैं।

उनके परिजन के आंसू को
तुमने उर में राखी है।। 6।।

हे जसुमति के लालकृष्ण अब
मांग रहा भारत वरदान।

हमें दिला दो सिंध, कराची
हिगुलाज, लाहौर महान।। 7।।

तक्षशिला चाणक्य षिका,
हिन्दुकुश, खैबर, गंधार।

कुभा, सिंधु का समागान तट,
रेशम पथ, पाणिनि आगार ।। 8।।

तेरे माथे दिव्य कीर्ति बन
यह उपलब्धि आएगी।

सावधान! संघर्ष दोहरा
कुंदन सा चमकाएगी।। 9।।

मल्टीनेशनल, सेकुलर,
माक्र्स, मीडिया पाखंडी।

मुल्ला, माओ, मैकालों को
लाल दिखाओ अब झंडी।।10।।

दििग्वजयी अभियान में तेरे
घर के भेदिये घातक हैं।

इन्हें ठिकाने शीघ्र लगा दो।
बाह्य शत्रु शरणागत हैं।। 11।।

लालकृष्ण के यश सौरभ से
भारत मां हरषाएगी।

पुष्टिकरी नवनीत खिलाकर
नव इतिहास बनाएगी।। 12।।

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