Thursday, May 25, 2017

कुदरती आवाज की कहानी




उनकी आवाज से चेहरे बनते हैं। ढेरों चेहरे,जो अपनी पहचान को किसी रंग-रूप या नैन-नक्श से नहीं ,बल्कि सुर और रागिनी के आइने में देखने से आकार पाते  है। एक ऐसी सलोनी निर्मिति, जिसमें सुर का चेहरा दरअसल भावनाओं का चेहरा बन जाता है। कुछ-कुछ उस तरह जैसे बचपन में परियों की कहानियों में मिलने वाली एक रानी-परी का उदारता और प्रेम से भीगा हुआ व्यक्तित्व हमको सपनों में भी खुशियों और खिलौनों से भर देता है।
श्री Yatindra Mishra द्वारा लिखित “लता सुर-गाथा” पठनीय पुस्तक है, यतीन्द्र जी के 6 साल की मेहनत है, बधाई यतीन्द्र जी साथ ही इंदिरा गांधी कला केन्द्र के सचिव डॉ. Sachchidanand Joshi जी का भी जो साहित्य, कला और भी क्षेत्रों में लिखित पुस्तकों पर मासिक चर्चा हेतु लेखक और पाठक का सीधा संवाद कराने का अवसर उपलब्ध कराते है इस बार लेखक से संवाद श्री Anil Pandey जी ने किया।

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भेंट

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