Saturday, April 30, 2016
Thursday, April 28, 2016
Saturday, April 23, 2016
राष्ट्रीय संविमर्श
भोपाल (मध्य प्रदेश) पुनरुत्थान विद्यापीठ और माखनलाल चतुर्वेदी पत्रकारिता विश्वविद्यालय के संयुक्त तत्वाधान में 22 और 23 अप्रैल को भोपाल में राष्ट्रीय संविमर्श का आयोजन किया गया. इसका विषय था- अध्ययन और अनुसंधान में प्रमाण का भारतीय अधिष्ठान. इस विषय पर पुनरुत्थान विद्यापीठ अहमदाबाद की कुलपति आदरणीया इन्दुमति काटदरे जी ने व्यख्यान दिया. इस कार्यक्रम का संचालन भोपाल स्थित माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय में सहायक प्राध्यापक डॊ. सौरभ मालवीय ने किया.
कार्यक्रम की एक झलक
Saturday, April 16, 2016
Thursday, April 14, 2016
Wednesday, April 13, 2016
Monday, April 11, 2016
संवाद का स्वराज विषय पर राष्ट्रीय व्याख्यान सम्पन्न
इंदौर (मध्य प्रदेश).माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय भोपाल तथा इंदौर प्रेस क्लब के संयुक्त तत्वावधान में आज इंदौर प्रेस क्लब सभागृह में संवाद का स्वराज विषय पर राष्ट्रीय व्याख्यान कार्यक्रम सम्पन्न हुआ. यह कार्यक्रम केन्द्रीय विश्वविद्यालय, धर्मशाला, हिमाचल प्रदेश के कुलपति डॉ. कुलदीपचन्द अग्निहोत्री के मुख्य आतिथ्य में तथा माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्वविद्यालय भोपाल कुलपति प्रो. बृज किशोर कुठियाला की अध्यक्षता में हुआ. इस अवसर पर माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय भोपाल के कुलाधिपति एवं सचिव श्री लाजपत आहूजा तथा इंदौर प्रेस क्लब के अध्यक्ष श्री प्रवीण खारीवाल विशेष रूप से मौजूद थे.
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए डॉ.कुलदीपचन्द अग्निहोत्री ने कहा कि स्वस्थ एवं स्वच्छ वातावरण में हुआ संवाद ही स्वराज की पहचान है. संवाद के पीछे षड़यंत्र हो तो गड़बड़ होती है. अंग्रेजों ने भारत में आर्य एवं अनार्य के रूप में विघटन पैदा करने की कोशिश की. भारत की विविधता को नयी अवधारणा से प्रस्तुत किया. इससे भारत के संबंध में विकृत मानसिकता पैदा हुई. उन्होंने हमारे देश की विविधता के आधार पर देश को बांटने का प्रयास किया. उन्होंने कहा कि विकृत मानसिकता वालों से सावधान रहने की जरूरत है. उन्होंने कहा कि देशहित में चर्चा होना संवाद का स्वराज है. हमें देश को बांटने वाले तथा तोड़ने वालों की हर चुनौतियों का डटकर मुकाबला करना चाहिए.
कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए प्रो. कुठियाला ने कहा कि शब्द ब्रम्ह है. अब शब्द को ब्रम्ह में नहीं भ्रम में बदला जा रहा है. शब्द सर्वशक्तिमान है. शब्द से विचार बनता है और यह विचार व्यवहार रूप में दिखाई देते हैं. उन्होंने कहा कि संवाद, उद्देश्यपरक होना चाहिए. संवाद से सहमति बनना चाहिए. और सहमति के आधार पर परिणाम भी मिलना चाहिए, तभी संवाद की सर्थकता होती है. संवाद को आडम्बर नहीं बनने देना चाहिए. व्यर्थ का संवाद नहीं करना चाहिए. राष्ट्रीय हित में संवाद होना चाहिए. संवाद को विवाद नहीं बनने देना चाहिए. संवाद की प्रकृति विविधता भरी है. जिस तरह प्रकृति में विविधता है, उसी तरह संवाद में भी विविधता होती है. उन्होंने कहा कि विचार से ही अभिव्यक्ति बनती है. अभिव्यक्ति के माध्यम अलग-अलग होते हैं. उन्होंने कहा कि विचारों की अभिव्यक्ति में दायित्व का बोध होना चाहिए. संवाद जब दायित्वविहीन हो जाते हैं तब समाज टूटने लगता है. सकारात्मक संवाद बढ़ने से नकारात्मक संवाद अपने आप समाप्त हो जाते हैं.
कार्यक्रम में कुलाधिपति एवं सचिव श्री लाजपत आहूजा ने विषय का प्रतिपादन किया. उन्होंने कहा कि संवाद की परम्परा हमारी सदियों पुरानी परंपरा है. संवाद का स्वराज हमारी विशेष पहचान है. सहिष्णुता हमारी प्रकृति में है.
कार्यक्रम में इंदौर के वरिष्ठ पत्रकार श्री शशीन्द्र जलधारी ने कविता का वाचन किया. कार्यक्रम में माखनलाल चतुर्वेदी राष्ट्रीय पत्रकारिता एवं संचार विश्व विद्यालय भोपाल द्वारा प्रकाशित पुस्तिका का विमोचन किया. कार्यक्रम का संचालन श्री सौरव मालवीय ने किया.
Thursday, April 7, 2016
Monday, April 4, 2016
Subscribe to:
Posts (Atom)
वार्षिक कार्ययोजना निर्माण बैठक
विद्या भारती का उद्देश्य शिक्षा के साथ संस्कार, भारतीय संस्कृति का संरक्षण एवं संवर्धन, राष्ट्रीय चेतना, चरित्र निर्माण, देशभक्त नागरिक का न...

-
डॉ. सौरभ मालवीय ‘नारी’ इस शब्द में इतनी ऊर्जा है कि इसका उच्चारण ही मन-मस्तक को झंकृत कर देता है, इसके पर्यायी शब्द स्त्री, भामिनी, कान...
-
डॉ. सौरभ मालवीय मनुष्य जिस तीव्र गति से उन्नति कर रहा है, उसी गति से उसके संबंध पीछे छूटते जा रहे हैं. भौतिक सुख-सुविधाओं की बढ़ती इच्छाओं क...
-
डॉ. सौरभ मालवीय किसी भी देश के लिए एक विधान की आवश्यकता होती है। देश के विधान को संविधान कहा जाता है। यह अधिनियमों का संग्रह है। भारत के संव...