Tuesday, April 29, 2025

संस्कारयुक्त शिक्षा विद्याभारती का लक्ष्य : डॉ.सौरभ मालवीय





सिद्धार्थ नगर (तेतरी बाजार)। गुणवत्ता परक शिक्षा से ही हम विद्या भारती के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते है। यह तभी संभव है जब हम अपने विद्यालयों में संस्कारक्षम वातावरण व योजना के अनुरूप गुणवत्ता परक शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन और भारतीय ज्ञान परम्परा के आलोक में शिक्षण पद्धती को हम सफलता पूर्वक लागू करने के दिशा में आगे बढ़ रहे है।

उक्त बातें विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के मंत्री डॉ. सौरभ मालवीय ने कही। डॉ मालवीय शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत द्वारा रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज तेतरी बाजार  में  प्रधानाचार्य वार्षिक कार्य योजना बैठक के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

 उन्होंने कहा कि पंच प्राण, छात्र, आचार्य, अभिभावक, पूर्व छात्र तथा प्रबंध समिति के सहयोग तथा उनके विचारों को समायोजित करते हुए जब विद्यालय की कार्य योजना बनती है, तभी विद्यालयों का समुत्कर्ष होता है।
  विद्या भारती 1952 में गोरखपुर के पक्की बाग से प्रारंभ होकर आज भारत के हर क्षेत्र में विद्या भारती का कार्य प्रारंभ हो चुका है।  विद्या भारती अपने प्रारंभ काल से ही चिंतन व प्रयास से समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में अभिनव प्रयोग कर रही है, जिसमें हमारे प्रधानाचार्य केंद्रीय भूमिका में होते हैं। प्रधानाचार्य व विद्यालय अर्थात संस्था व परिवेश दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। कोई विद्यालय अपने उत्कर्ष के आधार पर परिवेश को भी बदलने की क्षमता रखता है। इन सभी का आधार एक पुष्ट व सफल योजना का निर्माण है। अपनी योजना का केंद्रीय भाग भारतीयता है। सामजिक समरसता का प्रवाह ही समाज को उचित दिशा दे सकता है।

इसके पूर्व शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत के प्रदेश निरीक्षक श्री राम सिंह जी ने कार्यक्रम की प्रस्ताविकी रखते हुए कहा हजारों वर्षों की गुलामी के बाद भारत का व्यक्ति स्व के भाव को खो चुका था, हमारी गुरुकुल को समाप्त कर अंग्रेजी शिक्षा थोप दी गई उसको पुनः स्थापित करने के लिए नानाजी देशमुख जैसे विचारशील  चिंतकों ने संपूर्ण धरा को अपना मानकर भारत माता की जय बोलने वाले कार्यकर्ताओं के माध्यम से गोरखपुर के पक्की बाग में एक छोटे विद्यालय की स्थापना की जो आज पूरे भारत के कोने-कोने में फैल चुका है। इस नई बेला में कमर कसकर हमें और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

उक्त अवसर पर विद्या भारती गोरक्ष प्रांत के मंत्री श्री रामनाथ गुप्ता जी,  संभाग निरीक्षक श्री कन्हैया चौबे व संस्कृति बोध परियोजना के प्रांत संयोजक श्री दिवाकर जी समेत पूरे प्रांत के दस जनपदों के प्रधानाचार्यों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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