वैष्णव मत के संत हमारे क्षेत्रीय ऋषि है। मेरे गाँव के समीप ही आश्रम है। देवरहवा बाबा के परम्परा के संत प्रकृति से सीधा संवाद बाग बगीचा भूमि पर जीवन।लाखों लोगों के आस्था श्रद्धा-विश्वास के केंद्र है बाबा। सर्दी, गर्मी, वर्षा सदा इसी रूप मे मिलते हैं बाबा।
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साहित्य में मनभावन सावन
डॉ. सौरभ मालवीय वर्षा ऋतु कवियों की प्रिय ऋतु मानी जाती है। इस ऋतु में सावन मास का महत्व सर्वाधिक है। ज्येष्ठ एवं आषाढ़ की भयंकर ग्रीष्म ऋ...

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डॉ. सौरभ मालवीय ‘नारी’ इस शब्द में इतनी ऊर्जा है कि इसका उच्चारण ही मन-मस्तक को झंकृत कर देता है, इसके पर्यायी शब्द स्त्री, भामिनी, कान...
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डॉ. सौरभ मालवीय मनुष्य जिस तीव्र गति से उन्नति कर रहा है, उसी गति से उसके संबंध पीछे छूटते जा रहे हैं. भौतिक सुख-सुविधाओं की बढ़ती इच्छाओं क...
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डॉ. सौरभ मालवीय किसी भी देश के लिए एक विधान की आवश्यकता होती है। देश के विधान को संविधान कहा जाता है। यह अधिनियमों का संग्रह है। भारत के संव...
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