डॉ. सौरभ मालवीय
उत्तर प्रदेश सहित देशभर में जल संरक्षण अभियान को सफल बनाने के लिए जनभागीदारी सुनिश्चित की जा रही है। वर्षा ऋतु आरंभ होने के साथ-साथ इस अभियान को और अधिक तीव्र कर दिया गया है। इस पुनीत कार्य में केंद्र सरकार एवं राज्य सरकार के नेतृत्व में जन साधारण भी अपनी महत्वपूर्ण भूमिका निभा रहा है।
उत्तर प्रदेश की योगी आदित्यनाथ की सरकार प्रदेश में जल संचयन को बढ़ावा दे रही है। इसके लिए सरकार ने ‘जल शक्ति अभियान: कैच द रेन' प्रारंभ किया है। इसके अंतर्गत वर्षा के जल को संचित करने तथा भूजल स्तर को बढ़ाने के लिए अनेक कार्य किए जा रहे हैं। तालाबों, पोखरों तथा अन्य जलाशयों की सफाई एवं मरम्मत का कार्य तीव्र गति से चल है, क्योंकि वर्षा ऋतु आरंभ हो चुकी है। इसके अतिरिक्त पौधारोपण अभियान भी चलाया जा रहा है, जिससे अधिक से अधिक वर्षा का जल भूमि में समा सके। इस अभियान के अंतर्गत विद्यालयों, महाविद्यालयों, सरकारी कार्यालयों एवं ग्रामीण क्षेत्रों में जल संरक्षण के प्रति जागरूकता के कार्यक्रम आयोजित किए जा रहे हैं।
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि इस अभियान का उद्देश्य प्रदेश के प्रत्येक व्यक्ति को जल संरक्षण के महत्व से अवगत करवाना है। उन्होंने कहा कि जल संकट से निपटने के लिए यह अति आवश्यक है कि हम सभी मिलकर जल संरक्षण के लिए प्रयास करें।
उल्लेखनीय है कि केंद्रीय जल मंत्री गजेंद्र सिंह शेखावत ने विगत 9 मार्च को नई दिल्ली में ‘जल शक्ति अभियान: कैच द रेन’ अभियान के पांचवें संस्करण का शुभारंभ किया था। ‘नारी शक्ति से जल शक्ति’ थीम वाले इस अभियान में जल संरक्षण एवं प्रबंधन में महिलाओं की अभिन्न भूमिका पर बल दिया गया है। यह अभियान पेयजल एवं स्वच्छता विभाग के सहयोग से राष्ट्रीय जल मिशन, जल संसाधन, नदी विकास और गंगा कायाकल्प विभाग के अंतर्गत आता है। इस कार्यक्रम का प्रारंभ ‘जल कलश'समारोह के साथ हुआ, जो भविष्य में जल संरक्षण एवं इसके सतत उपयोग के प्रति सामूहिक प्रतिबद्धता को दर्शाता है। केंद्रीय मंत्री ने कहा कि यह कार्यक्रम जल संरक्षण एवं सतत विकास के प्रति सरकार की अटूट प्रतिबद्धता को दर्शाता है और इन प्रयासों में 'नारी शक्ति' अग्रणी भूमिका निभा रही है। हमारा दृढ़ विश्वास है कि महिलाओं का सशक्तीकरण करने से राष्ट्र सशक्त होगा। इस समारोह में सम्मिलित होने वाली महिलाएं देश की उन सभी महिलाओं का प्रतिनिधित्व करती हैं, जो हमारे देश को एक विकसित राष्ट्र बनाने के हमारे प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के दृष्टिकोण को पूर्ण करने का दायित्व उठा रही हैं। उन्होंने इस बात पर भी बल दिया कि महिलाओं ने अपने सामूहिक प्रयास के माध्यम से जल संसाधनों का संरक्षण प्रभावी रूप से किया है। उन्होंने कहा कि महिलाओं में अनुकूलन एवं नवाचार करने की क्षमता है, जो जल संसाधन प्रबंधन में एक सकारात्मक बदलाव लाने के लिए अपनी शक्ति एवं क्षमता का प्रदर्शन करती है। उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री मोदी के नेतृत्व में, हमारा लक्ष्य भारत को एक वैश्विक विनिर्माण केंद्र बनाना है, जिससे देश की आर्थिक गतिविधियों में वृद्धि होगी, जिसके कारण देश में पानी की मांग बढ़ेगी जिसे प्रभावी एकीकृत जल प्रबंधन के माध्यम से पूरा किया जाएगा। भारत में पानी की मांग भूजल एवं वर्षा पर बहुत अधिक निर्भर करती है। पाइप से पानी आपूर्ति की गुणवत्ता सुनिश्चित करने के लिए फील्ड टेस्टिंग किट का उपयोग कर पानी के नमूनों का परीक्षण करने के लिए लगभग 24 लाख महिलाओं को प्रशिक्षित किया गया है। अटल भूजल योजना में जल बजट और जल सुरक्षा योजनाओं की तैयारी के लिए ग्राम पंचायत में कम से कम 33 प्रतिशत महिला सदस्यों का प्रतिनिधित्व सुनिश्चित किया गया है। उन्होंने केंद्र और राज्य सरकारों के बीच सहयोगात्मक प्रयासों की सराहना की। उन्होंने पिछले अभियानों में देश के नागरिकों की सक्रिय भागीदारी की सराहना की, जिन्होंने इस अभियान को जल संरक्षण के लिए जन आंदोलन बना दिया। उन्होंने इसे जल-सुरक्षित और सतत भविष्य की दिशा में एक परिवर्तनकारी आंदोलन कहा। प्रधानमंत्री के जल संचय मंत्र से प्रेरित होकर, जल शक्ति मंत्रालय ने पूरे देश में जल संरक्षण के कार्य में तेजी लाने के लिए जन भागीदारी द्वारा जमीनी स्तर पर जल संरक्षण शुरू करने के लिए 2019 में जल शक्ति अभियान को ‘जन आंदोलन’बनाया।
अमृत सरोवर योजना
योगी सरकार अमृत सरोवर योजना पर भी निरंतर तीव्र गति से कार्य कर रही है। उल्लेखनीय है कि अमृत सरोवर विकसित करने में देशभर में उत्तर प्रदेश अग्रणी है। प्रदेश स्तर पर गाजियाबाद शीर्ष पर है। उल्लेखनीय है कि प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जल संरक्षण के लिए 24 अप्रैल 2022 को अमृत सरोवर योजना प्रारंभ की थी। इसका उद्देश्य स्वतंत्रता के अमृत महोत्सव के अवसर पर देश के प्रत्येक जिले में कम से कम 75 अमृत सरोवरों का निर्माण एवं विकास करना था। इस योजना के अंतर्गत 15 अगस्त 2023 तक 50 हजार अमृत सरोवर बनाने का लक्ष्य रखा गया था, जिसे निर्धारित समय-सीमा के पूर्व प्राप्त कर लिया गया है, जो कि एक बड़ी उपलब्धि है।
इस योजना के माध्यम से वर्षा जल संरक्षण एवं संचयन के संकल्प को साकार करने के लिए केंद्र सरकार के ग्रामीण विकास मंत्रालय ने नोडल मंत्रालय के रूप में कार्य करते हुए विभिन्न मंत्रालयों के सहयोग से इस लक्ष्य को प्राप्त करने के लिए मिशन मोड में कार्य किया। जीर्ण हो चुके सरोवरों के जीर्णोद्धार से लेकर नए सरोवरों के निर्माण की विस्तृत योजना तैयार की गई। योजना के सभी बिन्दुओं में ‘संपूर्ण सरकार’ दृष्टिकोण एवं ‘जनभागीदारी’ को केन्द्र में रखकर किए गए प्रयासों का ही परिणाम है कि निर्धारित समय से पूर्व 50 हजार अमृत सरोवरों के निर्माण का लक्ष्य प्राप्त किया जा सका। यह कार्य राज्यों एवं केन्द्र शासित प्रदेशों में जिला प्रशासन, पंचायत राज पदाधिकारियों, जनप्रतिनिधियों, पंचायतों, स्वयंसेवी संगठनों, विभिन्न संस्थानों के समन्वित प्रयासों और जनसाधारण की भागीदारी से किया जा रहा है।
इस योजना का ध्येय यह भी है कि अमृत सरोवरों का निर्माण अथवा जीर्णोद्धार इस प्रकार किया जाए कि वे स्थानीय सामुदायिक गतिविधियों का केन्द्र बन जाए। सरोवरों के रखरखाव में समुदाय का स्वामित्व हो, ताकि उनका दीर्घकालीन संरक्षण सुनिश्चित किया जा सके। इसलिए प्रत्येक सरोवर के लिए उपयोगकर्ता समूह का गठन किया जा रहा है। अब तक 60 हजार से अधिक उपयोगकर्ता समूह सरोवरों के रखरखाव एवं उससे अपनी आजीविका सृजन के लिए इस योजना से जुड़ चुके हैं। इस अभियान के प्रति लोगों में अपार उत्साह दिखाई दे रहा है। सरकार के विशेष प्रयास से यह योजना एक जन आन्दोलन का रूप ले चुकी है। इसमें स्वतंत्रता सेनानियों के परिवारजन, शहीदों के परिवारजन, स्वतंत्रता संग्राम सेनानियों के परिवारजन, पंचायतों के वरिष्ठ सदस्यों एवं पद्म पुरस्कार से सम्मानित लोग भी सम्मिलित हो रहे हैं। यह जन भागीदारी इस योजना की सफलता का प्रतीक है।
प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना
योगी सरकार प्रधानमंत्री कृषि सिंचाई योजना पर भी गंभीरता से कार्य कर रही है। इसका उद्देश्य खेत पर पानी की भौतिक पहुंच को बढ़ाना एवं सुनिश्चित सिंचाई के अंतर्गत खेती योग्य क्षेत्र का विस्तार करना, कृषि जल उपयोग दक्षता में सुधार करना, स्थायी जल संरक्षण प्रथाओं को लागू करना आदि है। इसके अंतर्गत वर्षा जल संचयन के लिए खेत में तालाब बनाने के लिए किसानों को वित्तीय सहायता उपलब्ध करवाई जाती है अर्थात उन्हें
50 प्रतिशत अनुदान प्रदान किया जाता है। इस योजना के अंतर्गत किसान अपने खेत में लघु अथवा माध्यम तालाब का निर्माण करवा सकते हैं।
सर्वविदित है कि भारत में जल संकट की समस्या से जूझ रहा है। गर्मी के मौसम में पेयजल संकट इतना गंभीर हो जाता है कि लोग जल के लिए तरस जाते हैं। एक रिपोर्ट के अनुसार भारत में विश्व की लगभग 18 प्रतिशत जनसंख्या है, परंतु पेयजल केवल चार प्रतिशत है. निरंतर बढ़ती जनसंख्या के साथ-साथ पेयजल की मांग में भी वृद्धि हो रही है। केंद्रीय जल आयोग की एक रिपोर्ट के अनुसार वर्ष 2021 और 2031 के लिए औसत वार्षिक प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता क्रमशः 1486 घन मीटर और 1367 घन मीटर आंकी गई है। 1700 घन मीटर से कम वार्षिक प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता को जल संकट की स्थिति माना जाता है, जबकि 1000 घन मीटर से कम वार्षिक प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता को जल कमी की स्थिति माना जाता है।
'जल' राज्य का विषय होने के कारण, जल संसाधनों के संवर्धन, संरक्षण और कुशल प्रबंधन के लिए कदम, जो प्रति व्यक्ति जल उपलब्धता के मुद्दे पर सकारात्मक प्रभाव डालते हैं, मुख्य रूप से संबंधित राज्य सरकारों द्वारा उठाए जाते हैं। राज्य सरकारों के प्रयासों को पूरा करने के लिए, केंद्र सरकार विभिन्न योजनाओं और कार्यक्रमों के माध्यम से उन्हें तकनीकी और वित्तीय सहायता प्रदान करती है। भारत सरकार, राज्य के साथ साझेदारी में वर्ष 2024 तक देश के प्रत्येक ग्रामीण घर में नल के जल की आपूर्ति का प्रावधान करने के लिए जल जीवन मिशन लागू कर रही है।
भारत सरकार ने जल आपूर्ति की सार्वभौमिक कवरेज सुनिश्चित करने और शहरों को 'जल सुरक्षित' बनाने के लिए देश के सभी वैधानिक कस्बों को कवर करते हुए 1 अक्टूबर, 2021 को अमृत 2.0 लॉन्च किया है।
निसंदेह सरकार की इन योजनाओं से तालाबों में वर्षा का जल संचय हो पाएगा। इससे किसानों के खेतों को पर्याप्त सिंचाई जल उपलब्ध हो सकेगा। वास्तव में इन अभियानों से जल संरक्षण को बढ़ावा मिलेगा। इससे जल संकट की समस्या से निपटने में सहायता मिलेगी।
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