अर्थशास्त्र विभाग, लखनऊ विश्वविद्यालय द्वारा नेशनल सेमीनार “कॉर्पोरेट सोशल रिस्पांसिबिलिटी एंड सस्टेनेबल डेवलपमेंट गोल्स फार विज़न विकसित भारत@2047 ” के आयोजन में वक्ता के रूप में विचार रखे।
Saturday, February 15, 2025
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दीपावली मिलन
दीपावली मिलन अयत्नेनैव संपद्यते जनस्य संसर्गयोगः सताम्। अधमेन सह संयोगः, पतनं ह्यस्य साधनम्॥ (भर्तृहरि नीति शतक 18) भावार्थ– सज्जनों का स...
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डॉ. सौरभ मालवीय ‘नारी’ इस शब्द में इतनी ऊर्जा है कि इसका उच्चारण ही मन-मस्तक को झंकृत कर देता है, इसके पर्यायी शब्द स्त्री, भामिनी, कान...
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डॉ. सौरभ मालवीय मनुष्य जिस तीव्र गति से उन्नति कर रहा है, उसी गति से उसके संबंध पीछे छूटते जा रहे हैं. भौतिक सुख-सुविधाओं की बढ़ती इच्छाओं क...
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डॉ. सौरभ मालवीय किसी भी देश के लिए एक विधान की आवश्यकता होती है। देश के विधान को संविधान कहा जाता है। यह अधिनियमों का संग्रह है। भारत के संव...





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