Thursday, July 24, 2025

भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण हेतु मास्टर प्लान


केंद्रीय भूजल बोर्ड (सीजीडब्ल्यूबी) ने राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों के परामर्श से भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण हेतु मास्टर प्लान- 2020 तैयार किया है। यह व्यापक योजना है जो देश की विभिन्न भू-आकृतियों के लिए विभिन्न भूजल पुनर्भरण संरचनाओं को दर्शाती है। इस योजना का उद्देश्य पूरे भारत में लगभग 1.42 करोड़ ऐसी संरचनाओं का निर्माण करना है, जिनसे लगभग 185 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) वर्षा जल का दोहन संभव हो सकेगा। इसमें राज्य और क्षेत्र-विशिष्ट भूजल संरक्षण संबंधी हस्तक्षेपों की पहचान करना शामिल है जो स्थानीय परिस्थितियों जैसे भूजल संसाधनों की वर्तमान स्थिति, औसत वर्षा, चट्टान और मृदा संरचना आदि के अनुकूल हों।

यह जानकारी जल शक्ति राज्य मंत्री श्री राज भूषण चौधरी ने आज लोकसभा में एक प्रश्न के लिखित उत्तर में दी। उन्होंने बताया कि यह योजना सभी राज्य सरकारों के साथ साझा की गई है ताकि मनरेगा, पीएमकेएसवाई और अन्य राज्य योजनाओं के साथ समन्वय में उपयुक्त क्षेत्रीय हस्तक्षेप किए जा सकें। इसलिए इस उद्देश्य के लिए कोई विशिष्ट धनराशि आवंटित नहीं की गई है।

यद्यपि केंद्रीय भूजल बोर्ड ने कई राज्यों में प्रदर्शन के उद्देश्य से कई कृत्रिम पुनर्भरण संरचनाओं का निर्माण कार्य शुरू किया है, जिन्हें राज्य सरकारों द्वारा आगे बढ़ाया जा सकता है। वारंगल, वाईएसआर कडप्पा और उस्मानाबाद जैसे आकांक्षी जिलों में कुल 54.38 करोड़ रुपये की लागत से चेकडैम, परकोलेशन टैंक, रिचार्ज शाफ्ट आदि का निर्माण किया गया है। महाराष्ट्र में 30 करोड़ रुपये की लागत से पुल-सह-भंडारों जैसी नवीन पुनर्भरण-सह-भंडारण संरचनाएँ बनाई गई हैं। इसके अलावा, राजस्थान के जल संकटग्रस्त क्षेत्रों में लगभग 120 करोड़ रुपये की लागत से लगभग 130 एनीकट, चेकडैम आदि का निर्माण किया गया है।
इसके अलावा, इस मंत्रालय द्वारा कार्यान्वित किए जा रहे जल शक्ति अभियान (जेएसए) के व्यापक कार्यक्रम के अंतर्गत, 2021-2025 की अवधि के दौरान, मनरेगा के साथ समन्वय करके देश भर में 1.18 लाख करोड़ रुपये की अनुमानित लागत से 1.14 करोड़ कृत्रिम पुनर्भरण, वर्षा जल संचयन और अन्य जल संरक्षण संरचनाओं का निर्माण/नवीनीकरण किया गया है।
राज्य सरकारें अपनी आंतरिक आवश्यकताओं के अनुरूप मास्टर प्लान का कार्यान्वयन कर रही हैं। इसके कार्यान्वयन के लिए नोडल एजेंसी का होना अनिवार्य नहीं है क्योंकि प्रस्तावित संरचनाओं का निर्माण कई मौजूदा केंद्रीय और राज्य योजनाओं के तहत अभिसरण में किया जाना है। पंजाब सरकार द्वारा दी गई जानकारी के अनुसार, मृदा एवं जल संरक्षण विभाग को राज्य में चयनित प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में मास्टर प्लान के कार्यान्वयन की जिम्मेदारी सौंपी गई है।

पंजाब सहित देश भर में 'भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण हेतु मास्टर प्लान' के तहत अनुशंसित कृत्रिम भूजल पुनर्भरण संरचनाओं की संख्या और प्रकार नीचे दिए गए हैं।  इसके अलावा, इस मंत्रालय के अनुनय के आधार पर, पंजाब सहित अधिकांश राज्यों/केंद्र शासित प्रदेशों ने चुनिंदा प्राथमिकता वाले क्षेत्रों में कार्यान्वयन शुरू कर दिया है। यद्यपि, चूँकि मास्टर प्लान केवल अनुशंसात्मक प्रकृति का है, इसलिए कार्यान्वयन एजेंसी द्वारा उपयुक्त समझे जाने पर क्षेत्र में संरचनाओं का वास्तविक निर्माण स्थान, आकार, प्रकार आदि के संदर्भ में भिन्न हो सकता है। प्राप्त जानकारी के अनुसार, पंजाब के जल संसाधन विभाग ने पंजाब के सभी जिलों में 236 इंजेक्शन कुएँ, 425 चेक डैम, 2556 सोक पिट, 123 नए तालाब और 5 खंबाती कुएँ बनाए हैं, जिनमें से अधिकांश मास्टर प्लान के अनुसार हैं।

भूजल के कृत्रिम पुनर्भरण हेतु मास्टर प्लान के अनुसार, अनुमान है कि देश भर में लगभग 185 बिलियन क्यूबिक मीटर (बीसीएम) मानसूनी वर्षा के पानी का दोहन किया जा सकता है। प्रस्तावित संरचनाओं के माध्यम से राज्य/केंद्र शासित प्रदेश क्षेत्रवार अनुमानित वर्षा जल संचयन क्षमता नीचे दी गई है।
निर्मित संरचनाओं का संचालन और रखरखाव संबंधित राज्यों के अधिकार क्षेत्र में आता है, जिन्हें यह सुनिश्चित करना होता है कि ऐसी संरचनाओं की समय-समय पर उचित सफाई, रखरखाव और मरम्मत की जाए।

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