Wednesday, June 4, 2025

जानलेवा हो रही है जीवनदायिनी वायु


डॉ. सौरभ मालवीय  
वायु हमारे जीवन का आधार है। वायु जीवनदायिनी है। वायु के बिना हम श्वास नहीं ले सकते। वायु के बिना हम एक क्षण भी जीवित नहीं रह सकते। इसलिए पृथ्वी के पश्चात वायु को उच्च स्थान प्राप्त है। वायु को देवता माना गया है। वेदों के अनुसार ब्रह्मांड का निर्माण पंचतत्व के योग से हुआ है, जिनमें पृथ्वी, वायु, आकाश, जल एवं अग्नि सम्मिलित है। 
इमानि पंचमहाभूतानि पृथिवीं, वायुः, आकाशः, आपज्योतिषि
जीवन के लिए वायु अति आवश्यक है। वेदों में वायु के महत्व का उल्लेख किया गया है। ऋग्वेद के अनुसार-
वायुर्ड वा प्राणो भूत्वा शरीरमाविशत् 
वेदों में वायु का शुद्धता पर बल देते हुए कहा गया है कि जीवन के लिए शुद्ध एवं प्रदूषण रहित वायु अति आवश्यक है।
वात आ वातु भेषतं शंभु मयोभु नो हृदे
ऋग्वेद के अनुसार-
द्यौर्मे पिता जनिता नाभिरत्र बन्धुर्मे माता पृथिवी महीयम् 
अर्थात् आकाश मेरे पिता हैं, बंधु वातावरण मेरी नाभि है, और यह महान पृथ्वी मेरी माता है।
ऋग्वेद में जिस पृथ्वी को माता कहा है, मनुष्य ने अपने स्वार्थ के लिए उसे अत्यधिक हानि पहुंचाई है। जिस  
वातावरण को नाभि कहा गया है, मनुष्य ने उसी वातावरण को दूषित कर दिया है। स्थिति इतनी भयावह हो चुकी है कि अब जीवनदायिनी वायु भी विषैली हो रही है, जिसके कारण अनेक रोग फैल रहे हैं तथा इससे मनुष्य की अकाल मृत्यु भी हो रही है। वायु प्रदूषण विशेषकर बच्चों, वृद्धों एवं महिलाओं को शीघ्र अपनी चपेट में ले लेता है।  

विदित रहे कि जब वायु मंडल में किसी भी प्रकार की अवांछनीय वस्तुओं या गैसों की उपस्थिति हानिकारक स्तर तक बढ़ जाती है, तो उसे वायु प्रदूषण कहा जाता है। वायु प्रदूषण मनुष्य के साथ-साथ समस्त प्राणियों एवं वनस्पतियों आदि के लिए भी हानिकारक है। विश्व स्वास्थ्य संगठन की परिभाषा के अनुसार- “वायु प्रदूषण एक ऐसी स्थिति है, जिसमें बाह्य वातावरण में मनुष्य और उसके पर्यावरण को हानि पहुंचाने वाले तत्व सघन रूप से एकत्रित हो जाते हैं। वायु मंडल में विद्यमान सभी अवांछनीय अवयव की वह मात्रा, जिसके कारण प्राणियों को हानि पहुंचती है, वायु प्रदूषण कहलाता है।’’

उल्लेखनीय है कि विश्वभर में वायु प्रदूषण घातक स्तर तक पहुंच गया है, जिससे मनुष्य की आयु कम हो रही है। अमेरिका के शिकागो विश्वविद्यालय में एनर्जी पॉलिसी इंस्टीट्यूट (ईपीआईसी) द्वारा जारी वायु गुणवत्ता जीवन सूचकांक के नये विश्लेषण के अनुसार वर्ष 2013 से विश्व में प्रदूषण बढ़ाने के लिए भारत उत्तरदायी है। वैश्विक स्तर पर भारत ने 44 प्रतिशत प्रदूषण बढ़ाया है। विश्व में वर्ष 1998 से वायु प्रदूषण में वार्षिक 61.4 प्रतिशत की वृद्धि हुई है, जिससे जीवित रहने की औसत आयु 2.1 वर्ष घट गई है।

वायु प्रदूषण भारत में औसत आयु को पांच वर्ष तक कम कर देता है। रिपोर्ट के अनुसार उत्तर भारत के विशाल मैदानी क्षेत्रों में रह रहे 51 करोड़ लोग वायु प्रदूषण के वर्तमान स्तर पर भी औसतन जीवन के 7.6 वर्ष गंवा सकते हैं। रिपोर्ट में बांग्लादेश के बाद भारत को विश्व का सबसे प्रदूषित देश बताया गया है।
रिपोर्ट के अनुसार भारत की पूरी 1.3 अरब जनसंख्या प्रदूषित वायु में श्वास ले रही हैं। इसमें से 63 प्रतिशत लोग ऐसे हैं जो अत्यंत घातक वायु प्रदूषण में जीने को मजबूर हैं। स्थिति इतनी भयावह है कि पूरे देश में वायु का स्तर विश्व स्वास्थ्य संगठन के सुझाए स्तर से अत्यंत दूषित है, जो स्वाथ्य के लिए घातक है। 
रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि भारत की राजधानी दिल्ली विश्व का सबसे प्रदूषित शहर है। वायु प्रदूषण के कारण यहां के निवासियों के जीवित रहने की संभावना 10 वर्ष घट गई है। इसी प्रकार आने वाले समय में उत्तर प्रदेश की राजधानी लखनऊ की जनसंख्या की औसत आयु 9.5 वर्ष घटने की संभावना है। इसके अतिरिक्त बिहार, चंडीगढ़, हरियाणा, पंजाब, पश्चिम बंगाल तथा उत्तर प्रदेश की स्थिति भी संतोषजनक नहीं है। रिपोर्ट के अनुसार यदि प्रदूषण में 25 प्रतिशत की कमी हो जाए, तो भारत के लोगों की औसत आयु 1.4 वर्ष बढ़ सकती है। रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि यदि विश्व स्वास्थ्य संगठन के पीएम-2.5 स्तर के मानक को पूरा किया गया तो औसत आयु उत्तर प्रदेश में 8.2 वर्ष बढ़ सकती है। इसी प्रकार बिहार में आयु 7.9 वर्ष, पश्चिम बंगाल में 5.9 वर्ष तथा राजस्थान में 4.8 वर्ष बढ़ सकती है। 

उल्लेखनीय है कि केंद्र सरकार वायु प्रदूषण को कम करने के लिए प्रयासरत है। सरकार द्वारा वर्ष 2019 में राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम आरंभ किया गया था, जो उन 132 लक्षित शहरों में लागू किया जा रहा है, जो लगातार पांच वर्षों से राष्ट्रीय परिवेशी वायु गुणवत्ता मानकों के अनुरूप नहीं है। इसका लक्ष्य वर्ष 2024 तक वर्ष 2017 के कण प्रदूषण स्तर को 20 से 30 प्रतिशत तक कम करना है। देश के 132 में से 124 शहरों में पंद्रहवें वित्त आयोग  द्वारा पहचाने गए 34 मिलियन से अधिक शहर एवं शहरी समुदाय सम्मिलित हैं। वायु गुणवत्ता सुधार के लिए प्रदर्शन आधारित अनुदान प्राप्त करने के लिए वित्त आयोग अनुदान के अंतर्गत आठ अन्य मिलियन से अधिक शहर सम्मिलित हैं, जो इस कार्यक्रम के अंतर्गत आते हैं।
राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम लक्षित 132 शहरों की राष्ट्रीय स्तर की कार्य योजना, राज्य स्तरीय कार्य योजनाओं और शहर स्तर की कार्य योजनाओं की तैयारी और कार्यान्वयन पर केंद्रित है। राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत केंद्र स्तरीय संचालन समिति, निगरानी समिति और कार्यान्वयन समिति का गठन किया गया है और कार्यान्वयन प्रगति की आवधिक समीक्षा की जाती है। अब तक सात कार्यान्वयन समिति, पांच निगरानी समिति और तीन संचालन समिति की बैठकें आयोजित की जा चुकी हैं।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम के अंतर्गत वर्ष 2019-20 से 2020-21 के दौरान गैर-लाभ वाले शहरों में वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए कार्य आरंभ करने के लिए 375.44 करोड़ रुपये प्रदान किए गए हैं और वित्त वर्ष 2021-22 के लिए 82 शहरों को 290 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं। कार्यक्रम में 2021-2026 के लिए 700 करोड़ रुपये का आवंटन है। इसके अतिरिक्त 15वें वित्त आयोग ने वित्त वर्ष 2020-21 के लिए 42 मिलियन से अधिक शहरों एवं शहरी समुदायों को 4,400 करोड़ रुपये का विशेष अनुदान प्रदान किया है। वर्ष 2021-2022 से 2025-26 के लिए 42 मिलियन से अधिक शहरों एवं शहरी समुदायों की वायु गुणवत्ता में सुधार के लिए 12,139 करोड़ रुपये आवंटित किए गए हैं।

राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम तकनीकी और वैज्ञानिक ज्ञान को बढ़ाने पर भी विशेष ध्याशन दे रहा है। देश के विभिन्न प्रतिष्ठित शैक्षणिक एवं अनुसंधान संस्थानों के विशेषज्ञों के एक समूह के साथ एक राष्ट्रीय ज्ञान नेटवर्क का गठन किया गया है। ये संस्थान राज्य और शहर स्तर के प्रशासन को वैज्ञानिक, प्रभावी और कुशल विधि से स्थानीय स्तर पर वायु प्रदूषण से निपटने के लिए रणनीति बनाने और उपाय करने में सहायता करेंगे।

मंत्रालय ने राष्ट्रीय स्वच्छ वायु कार्यक्रम ‘प्राण’ के लिए एक राष्ट्रीय पोर्टल भी आरंभ किया है। गैर-लाभ वाले शहरों में वायु प्रदूषण के नियमन के लिए तैयार यह पोर्टल देश भर में वायु गुणवत्ता में सुधार की दिशा में हुई प्रगति के साथ-साथ हितधारकों की विभिन्न नीतियों, कार्यक्रमों, योजनाओं एवं कार्यों से संबंधित सभी जानकारी प्रदान करता है। यह पोर्टल वायु गुणवत्ता सुधार के लिए किए गए सभी प्रयासों की निगरानी और फीडबैक का मंच होगा।
पर्यावरण, वन और जलवायु परिवर्तन मंत्री भूपेन्द्र् यादव का कहना है कि प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी के नेतृत्व में सरकार देश के सभी निवासियों को स्वस्थ जीवन का भरोसा दिलाते हुए स्वच्छ हवा सुनिश्चित करने के लिए प्रतिबद्ध है। उन्हों ने यह भी कहा कि आने वाले वर्षों में एक जन आंदोलन बनाकर वायु प्रदूषण से लड़ने की आवश्यकता है।

नि:संदेह स्वच्छ वायु जीवन का आधार है। हमें अपने वातावरण को स्वच्छ बनाने के लिए यथासंभव प्रयास करना चाहिए। मानव जीवन को बचाने के लिए पर्यावरण की रक्षा करना अति आवश्यक है। ऋग्वेद में समग्र पृथ्वी की स्वच्छता पर बल देते हुए कहा गया है-
पृथ्वीः पूः च उर्वी भव:
अर्थात समग्र पृथ्वी, सम्पूर्ण परिवेश परिशुद्ध रहे।

यदि हमारी पृथ्वी स्वच्छ रहेगी, तो हमारा जीवन भी सुखदायी होगा। जीवन के सम्यक विकास के लिए पर्यावरण का स्वच्छ रहना नितांत आवश्यक है। हमें अपनी गौरवशाली भारतीय संस्कृति के अनुरूप व्यवहार करना होगा। हमें पृथ्वी को माता स्वरूप मानकर उनका संरक्षण करना होगा। ऐसा करके हम अपने वातवरण को स्वच्छ बनाने में सहायक सिद्ध हो सकेंगे।   

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