Sunday, June 22, 2025

पर्यटकों आकर्षित करता है उत्तर प्रदेश


डॉ. सौरभ मालवीय  
उत्तर प्रदेश पर्यटन की दृष्टि से बहुत ही समृद्ध राज्य है। इसके उत्तरी एवं पूर्वी भाग की ओर पर्वत हैं तथा पश्चिमी एवं मध्य भाग में मैदान हैं। दक्षिण का विन्ध्याचल क्षेत्र पठारी भू-भाग है। यह क्षेत्र पर्वतों, मैंदानों एवं घाटियों से घिरा हुआ है। प्रदेश की जलवायु मुख्यतः उष्णदेशीय मानसून की है। चूंकि यह एक विशाल प्रदेश है, इसलिए समुद्र तल से ऊंचाई परिवर्तित होने के साथ-साथ इसमें भी परिवर्तन होता है। उत्तर प्रदेश में बहुत सी नदियां प्रवाहित होती हैं, जिनमें गंगा, यमुना, रामगंगा, सरयू, शारदा, घाघरा, राप्ती, चम्बल, बेतवा, सिन्धु, केन, सोन, गोमती, तमसा, चन्द्रप्रभा, कर्मनासा, रिहन्द, बेलन एवं घसांन आदि प्रमुख हैं। 

पर्यटन प्रदेश की आर्थिक स्थिति को सुदृढ़ बनाता है। इससे सरकार को राजस्व तथा विदेशी मुद्रा प्राप्त होती है। इसके कारण विकास कार्यों को भी बढ़ावा मिलता है। उत्तर प्रदेश में कई ऐतिहासिक एवं धार्मिक स्थल हैं। प्रदेश धर्म, संस्कृति एवं पर्यटन की दृष्टि से अत्यंत महत्वपूर्ण राज्य है। प्रयागराज हिन्दुओं का महत्वपूर्ण तीर्थ स्थान है, क्योंकि यहां गंगा, यमुना और सरस्वती का अद्भुत संगम होता है जिसे अत्यंत पवित्र माना जाता है। यहां कुम्भ मेले का आयोजन होता है। कुम्भ मेले के अवसर पर करोड़ों श्रद्धालु प्रयाग, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक में स्नान करते हैं। इनमें से प्रत्येक स्थान पर प्रति बारहवें वर्ष तथा प्रयाग में दो कुम्भ पर्वों के बीच छह वर्ष के अंतराल में अर्धकुम्भ मेला भी लगता है। कुम्भ का शाब्दिक अर्थ घड़ा एवं मेले का अर्थ एक स्थान पर एकत्रित होना है। इसे अमृत उत्सव भी कहा जाता है। 

खगोल गणनाओं के अनुसार कुम्भ मेला मकर संक्रान्ति के दिन प्रारम्भ होता है। उस समय सूर्य और चन्द्रमा, वृश्चिक राशि में और वृहस्पति, मेष राशि में प्रवेश करते हैं। इस दिवस को अति शुभ एवं मंगलकारी माना जाता है। मान्यता है कि इस दिन पृथ्वी से उच्च लोकों के द्वार खुलते हैं। इस दिन स्नान करने से आत्मा को उच्च लोकों की प्राप्ति होती है। पौराणिक कथाओं के अनुसार भगवान विष्णु अमृत से भरा कुम्भ लेकर जा रहे थे कि असुरों ने आक्रमण कर दिया। अमृत प्राप्ति के लिए देव एवं दानवों में परस्पर बारह दिन तक निरंतर युद्ध हुआ। देवताओं के बारह दिन मनुष्यों के बारह वर्ष के समान होते हैं। इसलिए कुम्भ भी बारह होते हैं। इनमें से चार कुम्भ पृथ्वी पर होते हैं तथा शेष आठ कुम्भ देवलोक में होते हैं। देव एवं दानवों के इस संघर्ष के दौरान अमृत की चार बूंदें गिर गईं। ये बूंदें प्रयाग, हरिद्वार, नासिक तथा उज्जैन में गिरीं, जहां पर तीर्थस्थान बना दिए गए। तीर्थ उस स्थान को कहा जाता है जहां मनुष्य को मोक्ष की प्राप्ति होती है। इस प्रकार जहां अमृत की बूंदें गिरीं, उन स्थानों पर तीन-तीन वर्ष के अंतराल पर बारी-बारी से कुम्भ मेले का आयोजन किया जाता है। इन तीर्थों में प्रयाग को तीर्थराज के नाम से जाना जाता है, क्योंकि यहां तीन पवित्र नदियों का संगम होता है। 

भारत में महाकुम्भ धार्मिक स्तर पर अत्यंत पवित्र एवं महत्वपूर्ण आयोजन है। इसमें लाखों लोग सम्मिलित होते हैं। महीने भर चलने वाले इस आयोजन में तीर्थयात्रियों के ठहरने के लिए टेंट लगा कर एक छोटी सी नगरी अलग से बसाई जाती है। यहां सुख-सुविधा की सारी वस्तुएं जुटाई जाती हैं। यह आयोजन प्रशासन, स्थानीय प्राधिकरणों एवं पुलिस की सहायता से आयोजित किया जाता है। इस मेले में दूर-दूर के जंगलों, पहाड़ों और कंदराओं से साधु-संत आते हैं। कुम्भ योग की गणना कर स्नान का शुभ मुहूर्त निकाला जाता है। स्नान से पूर्व मुहूर्त में नागा साधु स्नान करते हैं। इन साधुओं के शरीर पर भभूत लिपटी रहती है, बाल लंबे होते हैं और वे मृगचर्म पहनते हैं। स्नान के लिए विभिन्न नागा साधुओं के अखाड़े भव्य रूप से शोभा यात्रा की भांति संगम तट पर पहुंचते हैं।

वाराणसी में गंगा नदी के तट पर बाबा विश्वनाथ ज्योतिर्लिंग है, जो भगवान शिव के बारह ज्योतिर्लिंग मंदिरों में से एक है। यह हिन्दुओं के सबसे पवित्र तीर्थ स्थलों में से एक माना जाता है। मान्यता है कि यह मंदिर शिव और पार्वती का आदि स्थान है। मंदिर के मुख्य देवता को श्री विश्वनाथ और विश्वेश्वर के नाम से जाना जाता है, जिसका अर्थ है ब्रह्मांड के भगवान। शिवालिक की पहाड़ियों में शाकम्भरी शक्तिपीठ तीर्थ है। सरयू नदी के तट पर भगवान राम की जन्म स्थली अयोध्या की पावन नगरी है। मथुरा श्रीकृष्ण की जन्मभूमि है तथा वृन्दावन श्रीकृष्ण की मनमोहक लीलाओं का पवित्र स्थल है। बलरामपुर जिले के तुलसीपुर में मां पाटन देवी का मंदिर है। राप्ती नदी के तट पर श्रावस्ती बौद्धों का तीर्थ स्थल है। यहां बौद्धों का प्राचीन तीर्थ स्थल सारनाथ भी है। मान्यता है कि ज्ञान प्राप्त करने के पश्चात महात्मा बुद्ध ने अपना प्रथम उपदेश इसी स्थान पर दिया था। कहा जाता है कि उन्होंने धर्म चक्र प्रवर्तन भी इसी स्थान से प्रारम्भ किया था। कुशीनगर भी बौद्धों का प्रमुख तीर्थ स्थल है। यहां महात्मा बुद्ध ने अंतिम उपदेश दिए थे। ललितपुर जिले का देवगढ़ जैन समुदाय का तीर्थ स्थल है। 

आगरा में यमुना नदी के तट पर विश्व प्रसिद्ध ताजमहल है। यूनेस्को ने वर्ष 1983 में इसे विश्व विरासत स्थल के रूप में नामित किया था। यूनेस्को के अनुसार ताजमहल भारत में मुस्लिम कला का गहना और दुनिया की विरासत की सार्वभौमिक प्रशंसनीय कृतियों में से एक है। यह मुगल वास्तुकला का सर्वोत्तम उदाहरण और भारत के समृद्ध इतिहास का प्रतीक माना जाता है। भारत में सबसे अधिक पर्यटक यहीं पर आते हैं। इससे सरकार को सबसे अधिक राजस्व प्राप्त होता है। इसके अतिरिक्त प्रदेश में अनेक मस्जिदे, इमामबाड़े, दरगाहें एवं गुरुद्वारें भी हैं।    
प्रदेश में पर्यटन की अपार संभावनाओं के दृष्टिगत सरकार धार्मिक स्थलों के विकास एवं सौन्दर्यीकरण पर विशेष ध्यान दे रही है। सरकार के बजट 2023-24 में पर्यटन विकास एवं संस्कृति धर्मार्थ कार्य पर विशेष बल दिया गया है। बजट में 237 करोड़ रुपये पर्यटन के विकास के लिए आवंटित किए गये हैं। वर्ष 2025 में प्रयागराज में होने वाले महाकुंभ के लिए 2500 करोड़ रुपये का आवंटन किया गया है। 

वित्तमंत्री सुरेश कुमार खन्ना के अनुसार प्रदेश में वर्ष 2022 में 24 करोड़ 87 लाख से अधिक पर्यटक आए। इनमें भारतीय पर्यटकों की संख्या 24 करोड़ 83 लाख है, जबकि विदेशी पर्यटकों की संख्या चार लाख 10 हजार से अधिक रही। प्रदेश सरकार ने पर्यटन के विकास के लिए आधारभूत संरचाओं में वृद्धि की है. इससे पर्यटन वृद्धि के राजस्व में बढ़ोतरी होने के साथ-साथ अप्रत्यक्ष रोजगार सृजन भी हो रहा है।  

उल्लेखनीय है कि राज्य सरकार ने वित्तीय वर्ष 2021-2022 के बजट में अयोध्या में पर्यटन सुविधाओं के विकास एवं सौन्दर्यीकरण के लिए 100 करोड़ रुपये का प्रावधान किया था। वाराणसी में पर्यटन सुविधाओं के विकास एवं सौन्दर्यीकरण के लिए 110 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। मुख्यमंत्री पर्यटन स्थलों की विकास योजना के लिए 200 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। चित्रकूट में पर्यटन विकास की विभिन्न योजनाओं के लिए 20 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। इसके अतिरिक्त विन्ध्यांचल एवं नैमिषारण्य में स्थल विकास के लिए 30 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया गया। चौरी चौरा महोत्सव के लिए 15 करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। श्रीराम जन्म भूमि मंदिर अद्योध्या धाम तक पहुंच मार्ग बनाने के लिए 300 करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था। लखनऊ में उत्तर प्रदेश जनजातीय संग्रहालय के निर्माण के लिए आठ करोड़ रुपये की व्यवस्था की गई थी। शाहजहांपुर में स्वतंत्रता संग्राम संग्रहालय की वीथिकाओं के लिए चार करोड़ रुपये का प्रावधान किया गया था।           
मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ का कहना है कि पर्यटन हम सबके जीवन को एक नया वातावरण देता है। जीवन जीने की नई विधा हम सबके सामने प्रस्तुत करता है। प्रत्येक व्यक्ति के जीवन में उत्साह और उमंग भरने के लिए पर्यटन की अपार संभावनाओं को हम सबके सम्मुख लाने की आवश्यकता है। उन्होंने कहा कि पर्यटन के दो प्रकार हैं- एक परम्परागत एवं दूसरा मनोरंजन। परम्परागत पर्यटन में वे लोग सम्मिलित हैं, जो प्रत्येक वर्ष यहां मंदिरों एवं तीर्थों के दर्शन करने आते हैं, जबकि मनोरंजन पर्यटन में वे लोग सम्मिलित हैं जो परिवार के साथ मनोरंजन के लिए पर्यटन करते हैं। उत्तर प्रदेश आध्यात्मिक पर्यटन के मामले में सबसे धनी एवं सघन है। यहां एक साल में तीस करोड़ श्रद्धालुओं ने पर्यटन किया।

उल्लेखनीय है कि प्रदेश में भारतीय जनता पार्टी की सरकार बनने के पश्चात मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने सांस्कृतिक एवं धार्मिक पर्यटन को बढ़ावा देना प्रारम्भ किया। उन्होंने अपने प्रथम कार्यकाल में अयोध्या, काशी एवं मथुरा सहित लगभग सभी धर्मनगरियों में नए कार्यक्रम आरम्भ किए। इसके अंतर्गत धार्मिक एवं सांस्कृतिक महत्व वाले स्थलों का कायाकल्प किया गया। अनेक स्थानों में यह कार्य पूर्ण हो चुका है और बहुत से स्थानों पर यह कार्य चल रहा है और पूर्ण होने वाला है। उन्होंने अपने द्वितीय कार्यकाल में भी अपने इस कार्यक्रम को जारी रखा। 

प्रदेश में पर्यटन को बढ़ावा देने के लिए प्रत्येक विधानसभा स्तर पर एक पर्यटन स्थल विकसित किया जाएगा। यह कार्य मुख्यमंत्री पर्यटन विकास सहभागिता योजना के अंतर्गत किया जाएगा।

नि:संदेह यदि प्रदेश में पर्यटन को प्रोत्साहित किया जाए, तो यह रोजगार सृजित करेगा। इससे बेरोजगारी की समस्या का समाधान हो सकेगा तथा गरीबी उन्मूलन में भी यह सहायक सिद्ध होगा। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ  के नेतृत्व में पर्यटन को प्रोत्साहित करने पर विशेष ध्यान दिया जा रहा है, जो सार्थक सिद्ध होगा। 

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