Thursday, December 25, 2025

‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का लोकार्पण


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती ‘सुशासन दिवस’ के अवसर पर 25 दिसम्बर को लखनऊ के सेक्टर-जे में 230 करोड़ रुपये की लागत से 65 एकड़ क्षेत्रफल में निर्मित ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर केंदीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति रही।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र प्रेरणा स्थल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 65-65 फीट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण किया। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र प्रेरणा स्थल में म्यूजियम का लोकार्पण तथा इसका अवलोकन किया और भारत माता की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। इस अवसर पर राष्ट्र प्रेरणा स्थल के विकास पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। प्रधानमंत्री ने सभी को राष्ट्र प्रेरणा स्थल की शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज लखनऊ की भूमि एक नई प्रेरणा की साक्षी बन रही है। आज उन्हें राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है। यह राष्ट्र प्रेरणा स्थल उस सोच का प्रतीक है, जिसने भारत को आत्मसम्मान, एकता और सेवा का मार्ग दिखाया है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमाएं जितनी ऊंची हैं, इनसे मिलने वाली प्रेरणा उससे भी अधिक ऊंची है। अटलजी ने लिखा था “नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में जलना होगा, गलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा।“ यह राष्ट्र प्रेरणा स्थल हमें संदेश देता है कि हमारा हर कदम, हर प्रयास राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित हो। सबका प्रयास ही विकसित भारत के संकल्प को सिद्धि प्रदान करेगा।

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी पूरी टीम तथा राष्ट्र प्रेरणा स्थल प्रोजेक्ट से जुड़े सभी श्रमिकों, कारीगरों व योजनाकारों को बधाई देते हुए कहा कि जिस जमीन पर यह प्रेरणा स्थल बना है, उसकी 30 एकड़ से ज्यादा जमीन पर कई दशकों से कूड़े-कचरे का पहाड़ जमा था। पिछले तीन वर्षों में इसे पूरी तरह समाप्त किया गया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी, इन तीन महापुरुषों की प्रेरणा और उनके विजनरी कार्य तथा राष्ट्र प्रेरणा स्थल में स्थापित विशाल प्रतिमाएं विकसित भारत का बड़ा आधार हैं। इनकी प्रतिमाएं हमें नई ऊर्जा से भर रही हैं।

उन्होंने कहा कि डबल इंजन सरकार का बहुत अधिक फायदा उत्तर प्रदेश को हो रहा है। उत्तर प्रदेश 21वीं सदी के भारत में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। यह उनका सौभाग्य है कि वह उत्तर प्रदेश से सांसद हैं। उत्तर प्रदेश के मेहनतकश लोग एक नया भविष्य लिख रहे हैं। कभी उत्तर प्रदेश की चर्चा खराब कानून-व्यवस्था के लिए
होती थी, आज इसकी चर्चा विकास के लिए होती है। आज उत्तर प्रदेश, देश के पर्यटन मानचित्र पर तेजी से उभर रहा है। अयोध्या में भव्य श्रीराम मन्दिर तथा काशी विश्वनाथ धाम,  यह दुनिया में उत्तर प्रदेश की नई पहचान के प्रतीक बन रहे हैं। राष्ट्र प्रेरणा स्थल जैसे आधुनिक निर्माण उत्तर प्रदेश की नई छवि को और अधिक रोशन बनाते हैं। 

उन्होंने कामना की कि उत्तर प्रदेश सुशासन, समृद्धि और सच्चे सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में और बुलंदी हासिल करे। उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश को दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभाई। डॉ. मुखर्जी ने भारत में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान की व्यवस्था को खारिज किया था। आजादी के बाद भी जम्मू-कश्मीर में यह व्यवस्था भारत की अखंडता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। हमें गर्व है कि हमारी सरकार को अनुच्छेद-370 की दीवार गिराने का अवसर मिला। आज भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में भी पूरी तरह लागू है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री के रूप में डॉ. मुखर्जी ने देश में आर्थिक आत्मनिर्भरता की नींव रखी थी। उन्होंने देश को पहली औद्योगिक नीति दी और भारत में औद्योगीकरण की बुनियाद रखी। आज आत्मनिर्भरता के उसी मंत्र को हम नई बुलंदी दे रहे हैं। मेड इन इंडिया सामान आज दुनिया भर में पहुंच रहा है। उत्तर प्रदेश में ही एक ओर ‘एक जनपद एक उत्पाद’ का बहुत बड़ा अभियान चल रहा है तथा छोटे-छोटे उद्योगों व छोटी-छोटी इकाइयों का सामर्थ्य बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश में ही बहुत बड़ा डिफेन्स कॉरिडोर बन रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने जिस ब्रह्मोस मिसाइल का जलवा देखा, वह अब लखनऊ में बन रही है। वह दिन दूर नहीं है, जब उत्तर प्रदेश का डिफेन्स कॉरिडोर दुनिया भर में डिफेन्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए जाना जाएगा।
उन्होंने कहा कि दशकों पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अन्त्योदय का स्वप्न देखा था। वह मानते थे कि भारत की प्रगति का पैमाना अन्तिम पंक्ति में खड़े अन्तिम व्यक्ति के चेहरे की मुस्कान से मापा जाएगा। दीनदयाल जी ने एकात्म मानववाद का दर्शन भी दिया। शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा सबका विकास होना चाहिए।
 दीनदयाल जी के सपने को हमने अपना संकल्प बनाया है। हमने अन्त्योदय को सैचुरेशन अर्थात संतुष्टीकरण का नया विस्तार दिया है। सैचुरेशन अर्थात हर जरूरतमंद और हर लाभार्थी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लाने का प्रयास करना। जब सैचुरेशन की भावना होती है, तो भेदभाव नहीं होता है। यही सुशासन, सच्चा सामाजिक न्याय और सेकुलरिज्म भी है।
 
उन्होंने कहा कि आज देश के करोड़ों नागरिकों को बिना किसी भेदभाव पक्का घर, शौचालय, नल से जल, बिजली और गैस कनेक्शन मिल रहा है। करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज और मुफ्त इलाज मिल रहा है। पंक्ति में खड़े अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास हो रहा है। यही पंडित दीनदयाल जी का विजन था। करोड़ों भारतीयों ने गरीबी को परास्त किया है। यह इसलिए सम्भव हुआ, क्योंकि हमारी सरकार ने पीछे छूट गए और अन्तिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को प्राथमिकता दी।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से पहले करीब 25 करोड़ देशवासी सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में थे। आज करीब 95 करोड़ भारतवासी इस सुरक्षा कवच के दायरे में है। उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में लोगों को इसका लाभ मिला है। बीमा की सुविधा पहले कुछ लोगों तक सीमित थी। हमारी सरकार ने अन्तिम व्यक्ति तक बीमा सुरक्षा पहुंचाने का बीड़ा उठाया। इसके लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना बनाई गई। इसमें मामूली प्रीमियम पर दो \लाख रुपये का बीमा कवर सुनिश्चित हुआ। आज इस योजना से 25 करोड़ से ज्यादा गरीब जुड़े हैं। इसी प्रकार दुर्घटना बीमा के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना चल रही है। इससे भी लगभग 55 करोड़ लोग जुड़े हैं। इन योजनाओं से लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का क्लेम छोटे-छोटे परिवार के सामान्य गरीब
लोगों को मिला है। संकट के समय यह पैसा गरीब परिवारों के काम आया है।

उन्होंने कहा कि आज अटलजी की जयंती का यह दिन, सुशासन के उत्सव का भी दिन है। लम्बे समय तक देश में गरीबी हटाओ जैसे नारों को ही गवर्नेंस मान लिया गया था। अटलजी ने सही मायने में सुशासन को जमीन पर उतारा। आज डिजिटल पहचान की बहुत चर्चा होती है, इसकी नींव रखने का काम अटलजी की सरकार ने ही किया था। उस समय जिस विशेष काम के लिए इसकी शुरुआत की गई थी, वह आज आधार के रूप में विश्वविख्यात हो चुकी है। भारत में टेलीकॉम क्रान्ति को गति देने का श्रेय भी अटलजी को ही जाता है। उनकी सरकार द्वारा बनाई गई टेलीकॉम नीति से घर-घर तक फोन और इंटरनेट पहुंचना आसान हो गया। आज भारत दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल और इंटरनेट यूजर वाले देशों में से एक है।

उन्होंने कहा कि विगत 11 वर्षों में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है। जिस प्रदेश से अटलजी सांसद रहे, वह उत्तर प्रदेश आज भारत का नम्बर एक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग वाला राज्य बन गया है। कनेक्टिविटी के सम्बन्ध में अटलजी के विजन ने 21वीं सदी के भारत को मजबूती प्रदान की। अटलजी के
समय ही गांव-गांव तक सड़कें पहुंचाने का अभियान शुरू किया गया था। उसी समय स्वर्णिम चतुर्भुज हाईवे के विस्तार पर काम शुरू हुआ। वर्ष 2000 के \ बाद से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अब तक करीब आठ लाख किलोमीटर सड़कें बनी हैं। इनमें से करीब चार लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें विगत 10 से 11 वर्षों में बनी हैं।

उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में तीव्र गति से एक्सप्रेस-वे बनाने का काम चल रहा है। उत्तर प्रदेश भी एक्सप्रेस-वे स्टेट के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। अटलजी ने ही दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत की थी। आज देश के 20 से ज्यादा शहरों में मेट्रो नेटवर्क  लाखों लोगों का जीवन आसान बना रहा है। अटलजी की सरकार ने सुशासन की जो विरासत स्थापित की, उसे आज हमारी केंद्र और राज्य की सरकारें नया आयाम दे रही हैं।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत में हुए हर अच्छे काम को एक ही परिवार से जोड़ने की प्रवृत्ति रही है। हमने देश को इस पुरानी प्रवृत्ति से बाहर निकाला है। हमारी सरकार माँ भारती की सेवा करने वाली हर अमर विभूति और हर किसी के योगदान को सम्मान दे रही है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा दिल्ली के कर्तव्य पथ पर स्थापित की गई है। अंडमान निकोबार में जिस द्वीप पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने तिरंगा फहराया, उसका नामकरण उनके नाम पर किया गया है। 

बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की विरासत को मिटाने का प्रयास भी किया गया था। हमारी सरकार ने बाबा साहब की विरासत को मिटने नहीं दिया। आज दिल्ली से लेकर लंदन तक बाबा साहब से जुड़े पंच तीर्थ उनकी विरासत का जयघोष कर रहे हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैकड़ों रियासतों में बंटे हमारे देश को एक किया, लेकिन आजादी के बाद उनके काम और उनके कद दोनों को छोटा करने का प्रयास किया गया। हमारी सरकार ने सरदार पटेल जी को वह मान और सम्मान दिया, जिसके वह हकदार थे। हमने सरदार पटेल जी की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित कराई और एकता नगर के रूप में एक प्रेरणास्थली का निर्माण किया।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां दशकों तक आदिवासियों के योगदान को उचित स्थान नहीं दिया गया। हमने भगवान बिरसा मुण्डा तथा उत्तर प्रदेश में महाराजा सुहेलदेव का स्मारक बनवाया। उत्तर प्रदेश में ही निषादराज और प्रभु श्रीराम की मिलन स्थली को अब जाकर मान-सम्मान मिला। राजा महेन्द्र प्रताप सिंह से लेकर चौरी-चौरा के शहीदों तक माँ भारती के सपूतों के योगदान को हमारी सरकार ने ही पूरी श्रद्धा और विनम्रता से याद किया है।
उन्होंने कहा कि परिवारवाद की राजनीति की एक विशिष्ट पहचान होती है। यह असुरक्षा से भरी हुई होती है। आजाद भारत में अनेक प्रधानमंत्री हुए, लेकिन राजधानी दिल्ली में स्थित म्यूजियम में अनेक पूर्व प्रधानमंत्रियों को नजरअंदाज किया गया। इस स्थिति को भी हमारी सरकार ने ही बदला है। आज इस संग्रहालय में आजाद भारत के हर प्रधानमंत्री को उचित सम्मान और स्थान दिया गया है। हमारे संस्कार हमें सभी का सम्मान करना सिखाते हैं। विगत 11 वर्षों में हमारी सरकार के दौरान श्री पी.वी. नरसिम्हा राव और श्री प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिया गया। हमारी सरकार ने ही श्री मुलायम सिंह यादव जैसे अनेक नेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया।

उन्होंने कहा कि 25 दिसम्बर का यह दिन देश की दो महान विभूतियों के जन्म का अद्भुत संयोग लेकर आता है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी तथा भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी, इन दोनों महापुरुषों ने भारत की अस्मिता, एकता और गौरव की रक्षा की तथा राष्ट्र निर्माण में अपनी अमिट छाप छोड़ी। 25 दिसम्बर को ही महाराजा बिजली पासी जी की भी जन्म जयन्ती है। लखनऊ में प्रसिद्ध बिजली पासी किला स्थित है। महाराजा बिजली पासी ने वीरता, सुशासन और समावेश की जो विरासत छोड़ी, उसे हमारे पासी समाज ने गौरव के साथ आगे बढ़ाया है। अटलजी ने ही वर्ष 2000 में महाराजा बिजली पासी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था।

केंदीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। भारत विकास की बुलंदियों की ओर तेजी से अग्रसर है। प्रधानमंत्री जी एक ऐसे राजनेता हैं, जिन्हें दुनिया के 29 देशों का सर्वोच्च सम्मान प्राप्त हुआ है। पिछले एक दशक में हमारा देश बहुत आगे बढ़ा है। प्रधानमंत्री जी के पंच प्रण के मंत्र से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने लखनऊ में एक शानदार राष्ट्र प्रेरणा स्थल का निर्माण कराया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री के प्रदेश आगमन पर उनका स्वागत करते हुए कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय तथा अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को आगे बढ़ाने तथा उनकी स्मृतियों को नमन करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप लखनऊ में राष्ट्र प्रेरणा स्थल का निर्माण किया गया है। इस राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से हुआ है। यहां इन महापुरुषों की भव्य प्रतिमाओं के साथ-साथ म्यूजियम का निर्माण किया गया है। आज इस म्यूजियम का भी लोकार्पण हुआ है। यह भारत माता के महान सपूतों को नमन करने का अवसर है।

उन्होंने कहा कि इन सभी महापुरुषों ने भारत को नयी दृष्टि व प्रेरणा प्रदान की। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्वतंत्र भारत में ‘एक देश, एक विधान, एक निशान तथा एक प्रधान’ का उद्घोष किया था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को साकार होते देख आज प्रत्येक देशवासी प्रफुल्लित दिखाई दे रहा है। भारत माता के महान सपूत व विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों के भारत में अन्तिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के जीवन में नया परिवर्तन होता हुआ दिखाई दे रहा है। विगत 11 वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से उबारकर सामान्य जीवनयापन योग्य बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि आज महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, शिक्षाविद् तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की पावन जयंती है। प्रधानमंत्री जी ने देश के प्रति उनके द्वारा की गई सेवाओं को सम्मान देते हुए उन्हें भारतरत्न से विभूषित किया। आज लखनऊ के महान योद्धा महाराजा बिजली पासी की भी पावन जयन्ती है। प्रत्येक भारतवासी के मन में उनके प्रति अटूट श्रद्धाभाव है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी, अन्त्योदय के स्वप्न को साकार करने तथा सुशासन को मूर्तरूप प्रदान करने वाले इन तीनों महापुरुषों की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री जी देश को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के लक्ष्य के साथ आधुनिक भारत के शिल्पकार तथा एक भारत व श्रेष्ठ भारत के स्वप्नदृष्टा हैं। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से आज हम आत्मनिर्भर भारत का वर्तमान स्वरूप देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह वर्ष श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मशताब्दी महोत्सव का वर्ष है। अटलजी कहते थे कि “अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा”
यह केवल आशा मात्र नहीं, बल्कि भारत राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य को लेकर उनके अडिग विश्वास, दूरदृष्टि तथा दृढ़ संकल्प का उद्घोष था। अटलजी ने एक कवि, पत्रकार, राष्ट्रवादी विचारक तथा भारत के सच्चे सपूत के रूप में भारत को जो विजन व नेतृत्व दिया, उसे हम वर्तमान भारत में प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में साकार होते हुए देख रहे हैं। प्रत्येक क्षेत्र में विरासत और विकास का अद्भुत समन्वय दिखाई दे रहा है।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह तथा गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
25 दिसम्बर 2025

कुटुम्ब सम्मेलन













देवरिया-
अखिल भारतीय मालवीय परिवार द्वारा आयोजित कुटुम्ब सम्मेलन जिला पंचायत साभागार देवरिया में सम्पन्न हुआ. 
इस अवसर पर मालवीय परिवार के गणमान्य बंधुगण उपस्थित रहें.

Wednesday, December 24, 2025

राष्ट्र को समर्पित रहा अटलजी का जीवन


डॉ. सौरभ मालवीय  
भारतीय जनता पार्टी के वरिष्ठ नेता एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी एक कुशल राजनीतिज्ञ, प्रखर चिंतक, गंभीर पत्रकार, सहृदय कवि एवं लेखक थे। साहित्य उन्हें विरासत में प्राप्त हुआ था। उन्होंने पत्रकारिता से जीवन प्रारंभ किया तथा साहित्य एवं राजनीति में अपार ख्याति अर्जित की। उनका संपूर्ण जीवन राष्ट्र को समर्पित रहा। वह कहते थे- “मैं चाहता हूं भारत एक महान राष्ट्र बने, शक्तिशाली बने, संसार के राष्ट्रों में प्रथम पंक्ति में आए।”
 
प्रारंभिक जीवन 
अटल बिहारी वाजपेयी का जन्म 25 दिसंबर 1924 को मध्य प्रदेश के ग्वालियर में हुआ था। उनके पिता पंडित कृष्ण बिहारी वाजपेयी अध्यापक थे और माता कृष्णा देवी गृहिणी थीं। वह बचपन से ही अंतर्मुखी एवं प्रतिभाशाली थे। उनकी प्रारंभिक शिक्षा बड़नगर के गोरखी विद्यालय में हुई। यहां से उन्होंने आठवीं कक्षा तक की शिक्षा प्राप्त की। जब वह पांचवीं कक्षा में थे तब उन्होंने प्रथम बार भाषण दिया था। बड़नगर में उच्च शिक्षा की व्यवस्था न होने के कारण उन्हें ग्वालियर जाना पड़ा। वहां के विक्टोरिया कॉलेजियट स्कूल से उन्होंने इंटरमीडिएट तक की पढ़ाई की। इस विद्यालय में रहते हुए उन्होंने वाद-विवाद प्रतियोगिताओं में भाग लिया तथा प्रथम पुरस्कार भी जीता। उन्होंने विक्टोरिया कॉलेज से स्नातक स्तर की शिक्षा ग्रहण की। कॉलेज जीवन में ही उन्होंने राजनीतिक गतिविधियों में भाग लेना आरंभ कर दिया था। आरंभ में वह छात्र संगठन से जुड़े। इसके पश्चात वह राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ से जुड़ गए। ग्वालियर से स्नातक उपाधि प्राप्त करने के पश्चात् वह कानपुर चले गए। यहां उन्होंने डीएवी महाविद्यालय से कला में स्नातकोत्तर उपाधि प्रथम श्रेणी में प्राप्त की। तदुपरांत वह पीएचडी करने के लिए लखनऊ गए, परंतु वह सफल नहीं हो सके, क्योंकि पत्रकारिता से जुड़ने के कारण उन्हें अध्ययन के लिए समय नहीं मिल रहा था। 

पत्रकार के रूप में अटलजी 
अटलजी लखनऊ आकर समाचार-पत्र राष्ट्रधर्म के सह सम्पादक के रूप में कार्य करने लगे। वह मासिक पत्रिका राष्ट्रधर्म के प्रथम संपादक भी रहे हैं। अटलजी कहते थे- “छात्र जीवन से ही मेरी इच्छा संपादक बनने की थी। लिखने-पढ़ने का शौक और छपा हुआ नाम देखने का मोह भी। इसलिए जब एमए की पढ़ाई पूरी की और कानून की पढ़ाई अधूरी छोड़ने के पश्चात् सरकारी नौकरी न करने का पक्का इरादा बना लिया और साथ ही अपना पूरा समय समाज की सेवा में लगाने का मन भी। उस समय पूज्य भाऊ राव देवरस जी के इस प्रस्ताव को तुरंत स्वीकार कर लिया कि संघ द्वारा प्रकाशित होने वाले राष्ट्रधर्म के संपादन में कार्य करूंगा, श्री राजीवलोचन जी भी साथ होंगे। अगस्त 1947 में पहला अंक निकला और इसने उस समय के प्रमुख साहित्यकार सर सीताराम, डॉ. भगवान दास, अमृतलाल नागर, श्री नारायण चतुर्वेदी, आचार्य वृहस्पति व प्रोफेसर धर्मवीर को जोड़कर धूम मचा दी।“
कुछ समय के पश्चात 14 जनवरी 1948 को भारत प्रेस से मुद्रित होने वाला दूसरा समाचार पत्र पांचजन्य भी प्रकाशित होने लगा। अटलजी इसके प्रथम संपादक बनाए गए। 15 अगस्त 1947 को देश स्वतंत्र हो गया था। कुछ समय के पश्चात 30 जनवरी 1948 को महात्मा गांधी की हत्या हुई। इसके पश्चात् भारत सरकार ने राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ को प्रतिबंधित कर दिया। इसके साथ ही भारत प्रेस को बंद कर दिया गया, क्योंकि भारत प्रेस भी राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के प्रभाव क्षेत्र में थी। भारत प्रेस के बंद होने के पश्चात अटलजी इलाहाबाद चले गए। यहां उन्होंने क्राइसिस टाइम्स नामक अंग्रेजी साप्ताहिक के लिए कार्य करना आरंभ कर दिया। परंतु जैसे ही राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ पर लगा प्रतिबंध हटा, वह पुन: लखनऊ आ गए और उनके संपादन में स्वदेश नामक दैनिक समाचार-पत्र प्रकाशित होने लगा, परंतु हानि के कारण स्वदेश को बंद कर दिया गया। वर्ष 1949 में काशी से सप्ताहिक ’चेतना’ का प्रकाशन प्रारंभ हुआ। इसके संपादक का कार्यभार अटलजी को सौंपा गया। उन्होंने इसे सफलता के शिखर तक पहुंचा दिया। 

कवि एवं लेखक   
अटलजी ने बचपन से ही कविताएं लिखनी प्रारंभ कर दी थीं। स्वदेश-प्रेम, जीवन-दर्शन, प्रकृति तथा मधुर भाव की कविताएं उन्हें बाल्यावस्था से ही आकर्षित करती रहीं। उनकी कविताओं में प्रेम, करुणा एवं वेदना है। एक पत्रकार के रूप में वह बहुत गंभीर दिखाई देते थे। उनके लेखों में ज्वलंत प्रश्न हैं, समस्याओं का उल्लेख है तो उनका समाधान भी है। वह सामाजिक विषयों को उठाते एवं अतीत की भूलों से शिक्षा लेते हुए सुधार की बात करते थे। एक राजनेता के रूप में जब वह भाषण देते हैं, तो उसमें क्रांति के स्वर सुनाई देते थे। वह कहते थे- “मेरे भाषणों में मेरा लेखक ही बोलता है, पर ऐसा नहीं कि राजनेता मौन रहता है। मेरे लेखक और राजनेता का परस्पर समन्वय ही मेरे भाषणों में उतरता है। यह जरूर है कि राजनेता ने लेखक से बहुत कुछ पाया है। साहित्यकार को अपने प्रति सच्चा होना चाहिए। उसे समाज के लिए अपने दायित्व का सही अर्थों में निर्वाह करना चाहिए। उसके तर्क प्रामाणिक हो। उसकी दृष्टि रचनात्मक होनी चाहिए। वह समसामयिकता को साथ लेकर चले, पर आने वाले कल की चिंता जरूर करे। वे भारत को विश्वशक्ति के रूप में देखना चाहते हैं।“ 

अटलजी ने कई पुस्तकें लिखी थीं, जिनमें अमर बलिदान, अमर आग है, बिंदु-बिंदु विचार, सेक्युलरवाद, 
कैदी कविराय की कुंडलियां, मृत्यु या हत्या, जनसंघ और मुसलमान, मेरी इक्यावन कविताएं, न दैन्यं न पलायनम, मेरी संसदीय यात्रा (चार खंड), संकल्प-काल एवं गठबंधन की राजनीति सम्मिलित हैं। इनके अतिरिक्त उनकी कई और पुस्तकें भी हैं। फोर डिकेड्स इन पार्लियामेंट, जो 1957 से 1995 तक के उनके भाषणों का संग्रह है। इसी तरह न्यू डाइमेंशन ऒफ इंडियाज फ़ॊरेन पॊलिसी, जिसमें विदेश मंत्री रहते हुए उनके 1977 से 1979 तक के भाषण संकलित हैं। संसद में तीन दशक (तीन खंड), जो 1957 से 1992 तक संसद में दिए गए भाषणों का संग्रह है। प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी (तीन खंड), जिसमें 1996 से 2004 उनके भाषण सम्मिलित हैं। राजनीति की रपटीली राहें, जो उनके साक्षात्कार और भाषणों का संग्रह है। शक्ति से शांति तक, जिसमें उनके प्रधानमंत्री कार्यकाल के भाषण संकलित हैं। कुछ लिख कुछ भाषण, जो पत्रकारिता के समय के लेख और भाषण सम्मिलित हैं। राजनीति के उस पार, जिसमें उनके भाषण संकलित हैं। इसके अलावा उनके लेख, उनकी कविताएं विभिन्न पत्र-पत्रिकाओं में प्रकाशित हुईं, जिनमें राष्ट्रधर्म, पांचजन्य, धर्मयुग, नई कमल ज्योति, साप्ताहिक हिंदुस्तान, कादिम्बनी और नवनीत आदि सम्मिलित हैं। 

प्रधानमंत्री के रूप में विशेष कार्य  
अटलजी 16 मई 1996 को देश के प्रधानमंत्री बने तथा 28 मई को उन्होंने त्यागपत्र दे दिया। इस कारण वह मात्र 13 दिनों तक ही प्रधानमंत्री रहे। इसके पश्चात 9 मार्च 1998 को वह द्वितीय बार प्रधानमंत्री बने। वर्ष 1999 के लोकसभा चुनाव में एनडीए को स्पष्ट बहुमत प्राप्त हुआ। वह 13 अक्टूबर 1999 को तृतीय बार प्रधानमंत्री बने तथा 22 मई 2004 तक अपना कार्यकाल पूर्ण किया। उन्होंने अपने कार्यकाल में अनेक उत्कृष्ट कार्य किए। उन्होंने वर्ष 1998 में पोखरण में हुए परमाणु परीक्षण के पश्चात् संसद को संबोधत किया। उन्होंने कहा- “यह कोई आत्मश्लाघा के लिए नहीं था। ये हमारी नीति है और मैं समझता हूं कि देश की नीति है यह कि न्यूनतम अवरोध होना चाहिए। वह विश्वसनीय भी होना चाहिए। इसीलिए परीक्षण का निर्णय लिया गया।“

उन्होंने वर्ष 1999 में भारतीय संचार निगम लिमिटेड अर्थात बीएसएनएल का एकाधिकार समाप्त करने के लिए नई टेलिकॉम नीति लागू की। इसके कारण लोगों को सस्ती दरों पर दूरभाष सेवा उपलब्ध हो सकी। उन्होंने भारत एवं पाकिस्तान के आपसी संबंधों को सुधारने के प्रयास को गति प्रदान की। उन्होंने फरवरी 1999 में दिल्ली-लाहौर बस सेवा प्रारंभ की। प्रथम बस सेवा से वह स्वयं लाहौर गए। उन्होंने सर्व शिक्षा अभियान को बढ़ावा दिया। उन्होंने 6 से 14 वर्ष के बच्चों को नि:शुल्क शिक्षा प्रदान करने का अभियान प्रारंभ किया। उन्होंने अपनी लिखी पंक्तियों ‘स्कूल चले हम’ से इसे प्रचारित किया। इससे निर्धनता के कारण पढ़ाई छोड़ने वाले बच्चों को अत्यंत लाभ हुआ। वह कहते थे- “शिक्षा के द्वारा व्यक्ति के व्यक्तित्व का विकास होता है, व्यक्तित्व के उत्तम विकास के लिए शिक्षा का स्वरूप आदर्शों से युक्त होना चाहिए। हमारी माटी में आदर्शों की कमी नहीं है। शिक्षा द्वारा ही हम नवयुवकों में राष्ट्र प्रेम की भावना जाग्रत कर सकते हैं।“

उन्होंने संविधान में संशोधन की आवश्यकता पर विचार करने के लिए एक फरवरी 2000 को संविधान समीक्षा का राष्ट्रीय आयोग गठित किया। उन्होंने वर्ष 2001 में होने वाली जातिगत जनगणना पर रोक लगाई। 
उन्होंने 13 दिसंबर 2001 को संसद पर हुए हमले को गंभीरता से लिया तथा आतंकवाद निरोधी पोटा कानून बनाया। यह पूर्व के टाडा कानून की तुलना में अत्यधिक कठोर था। उन्होंने 32 संगठनों पर पोटा के अंतर्गत प्रतिबंध लगाया। उन्होंने दिल्ली, मुंबई, चेन्नई एवं कोलकाता को जोड़ने के लिए चतुर्भुज सड़क परियोजना लागू की। इसके साथ ही उन्होंने ग्रामीण क्षेत्रों के लिए प्रधानमंत्री ग्रामीण सड़क योजना लागू की। इससे आर्थिक विकास को गति मिली। उन्होंने राष्ट्रीय स्तर पर नदियों को जोड़ने की योजना का ढांचा भी बनवाया, परंतु इस पर कार्य नहीं हो पाया।

सम्मान 
अटलजी ने एक पत्रकार, साहित्यकार, कवि एवं देश के प्रधानमंत्री, संसद की विभिन्न महत्वपूर्ण स्थायी समितियों के अध्यक्ष एवं विपक्ष के नेता के रूप में अत्यंत महत्वपूर्ण भूमिका निभाई। उनके उत्कृष्ट कार्यों के लिए उन्हें कई पुरस्कारों से सम्मानित किया गया। राष्ट्र के प्रति उनकी समर्पित सेवाओं के लिए 25 जनवरी 1992 में राष्ट्रपति ने उन्हें पद्म विभूषण से सम्मानित किया। उत्तर प्रदेश हिंदी संस्थान ने 28 सितंबर 1992 को उन्हें ’हिंदी गौरव’ से सम्मानित किया। अगले वर्ष 20 अप्रैल 1993 को कानपुर विश्वविद्यालय ने उन्हें डी लिट की उपाधि प्रदान की। उनके सेवाभावी और स्वार्थ त्यागी जीवन के लिए उन्हें 1 अगस्त 1994 में लोकमान्य तिलक पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इसके पश्चात 17 अगस्त 1994 को संसद ने उन्हें श्रेष्ठ सासंद चुना गया तथा पंडित गोविंद वल्लभ पंत पुरस्कार से सम्मानित किया। इसके पश्चात् 27 मार्च 2015 भारत रत्न पुरस्कार से सम्मानित किया गया। इतने महत्वपूर्ण सम्मान पाने वाली अटलजी कहते थे- “मैं अपनी सीमाओं से परिचित हूं। मुझे अपनी कमियों का अहसास है। निर्णायकों ने अवश्य ही मेरी न्यूनताओं को नजर अंदाज करके मुझे निर्वाचित किया है। सद्भाव में अभाव दिखाई नहीं देता है। यह देश बड़ा है अद्भुत है, बड़ा अनूठा है। किसी भी पत्थर को सिंदूर लगाकर अभिवादन किया जा सकता है।“ 

समाचार पत्रों में

 




नमन






भारतीयता के नायक महामना मदन मोहन मालवीय जी और जनमन के अटल बिहारी बाजपेयी जी को सादर नमन

Tuesday, December 23, 2025

विद्वत परिषद की प्रान्तीय बैठक सम्पन्न




विद्वत परिषद की प्रान्तीय बैठक सम्पन्न। अवध प्रान्त 
विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश द्वारा संचालित एक महत्वपूर्ण विषय विद्वत परिषद की अवध प्रान्त स्तरीय बैठक दिनांक 23 दिसम्बर 2025 को सरस्वती कुञ्ज, निराला नगर, लखनऊ में सफलतापूर्वक आयोजित हुई।
बैठक में 12 संकुलों से आए प्रतिभागियों की सक्रिय सहभागिता रही।
इस अवसर पर क्षेत्रीय मंत्री डॉ. सौरभ मालवीय, क्षेत्रीय संयोजक डॉ. प्रदीप जायसवाल, प्रान्त संयोजिका डॉ. किरणलता डँगवाल एवं प्रदेश निरीक्षक श्री रामजी सिंह की गरिमामयी उपस्थिति रही।
डॉ. सौरभ मालवीय जी ने विद्वत परिषद के महत्व एवं संगठन में उसकी प्रभावी भूमिका पर मार्गदर्शन प्रदान किया।
शैक्षिक चिंतन, बौद्धिक विमर्श एवं संगठनात्मक सशक्तिकरण की दिशा में एक महत्वपूर्ण कदम

Monday, December 22, 2025

संस्कारयुक्त शिक्षा आज की सबसे बड़ी आवश्यकता : माननीय राज्यपाल













दिनांक 22 दिसंबर 2025 को सरस्वती विद्या मन्दिर इण्टर कॉलेज, वी.आई.पी. रोड, फतेहपुर में भव्य नवीन भवन का लोकार्पण माननीय राज्यपाल उत्तर प्रदेश श्रीमती आनंदीबेन पटेल जी के कर-कमलों द्वारा संपन्न हुआ।

इस गरिमामयी अवसर पर डॉ. सौरभ मालवीय जी (क्षेत्रीय मंत्री, विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश), डॉ. राकेश निरंजन जी (मंत्री, भारतीय शिक्षा समिति कानपुर प्रांत), श्री राम प्रकाश पोरवाल जी (मंत्री, भारतीय शिक्षा समिति), श्री अयोध्या प्रसाद मिश्र जी (प्रदेश निरीक्षक, कानपुर प्रांत), विद्यालय अध्यक्ष श्री आनंद स्वरूप रस्तोगी जी, प्रबंधक एवं लोक सेवा आयोग के सदस्य डॉ. हरेश प्रताप सिंह जी, प्रधानाचार्य श्री नरेंद्र सिंह जी, जिलाधिकारी श्री रविंद्र सिंह जी एवं पुलिस अधीक्षक श्री अनूप कुमार सिंह जी सहित अनेक गणमान्य अतिथि उपस्थित रहे।

मुख्य अतिथि महोदया ने अपने उद्बोधन में बालिका शिक्षा, संस्कार एवं सामाजिक कुरीतियों के उन्मूलन पर विशेष बल दिया। कार्यक्रम सप्त शक्ति संगम, छात्र-छात्राओं एवं भवन निर्माण समिति के सम्मान के साथ प्रेरणादायी रूप से सम्पन्न हुआ।

‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का लोकार्पण

प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती ‘सुशासन दिवस’ के अवसर पर 25 दिसम्बर को लखनऊ के सेक्टर...