Sunday, December 21, 2025

समाज सुधारक पंडित मदनमोहन मालवीय


डॉ. सौरभ मालवीय 

पंडित मदनमोहन मालवीय महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक कुशल राजनीतिज्ञ, सफल शिक्षाविद एवं महान समाज सुधारक भी थे। उन्होंने जातिवाद और दलितों की स्थिति सुधारने के लिए भरसक प्रयत्न किए। उनके अनुसार- “यदि आप मानव आत्मा की आंतरिक शुद्धता को स्वीकार करते हैं, तो आप या आपका धर्म किसी भी व्यक्ति के स्पर्श या संगति से कभी भी अशुद्ध या अपवित्र नहीं हो सकता है। हम मानते हैं कि धर्म चरित्र का आधार है और मानव सुख का सबसे बड़ा स्त्रोत है। धार्मिकता और धर्म कायम रहने दें, और सभी समुदाय और समाज प्रगति करें। हमारी प्यारी मातृभूमि को अपना खोया हुआ गौरव वापस दिलाएं। भारत के पुत्र विजयी हों। जो इंसान अपने स्वयं की निंदा सुन लेता है वह सारे विश्व पर विजय प्राप्त कर लेता है।“ 

पंडित मदनमोहन मालवीय का जन्म 25 दिसम्बर, 1861 को उत्तर प्रदेश के इलाहबाद में हुआ था। उनके पिता का नाम ब्रजनाथ और माता का नाम भूनादेवी था। वह मालवा के मूल निवासी थे, इसलिए उन्हें मालवीय कहा जाता है। उनकी प्राथमिक शिक्षा इलाहाबाद के श्री धर्मज्ञानोपदेश पाठशाला में हुई। यहां सनातन धर्म की शिक्षा दी जाती थी। इसके पश्चात उन्होंने वर्ष 1879 में इलाहाबाद जिला स्कूल से प्रवेश परीक्षा उत्तीर्ण की तथा उन्होंने म्योर सेंट्रल कॉलेज से एफए की परिक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने कलकत्ता विश्विद्यालय से बीए की परीक्षा उत्तीर्ण की। आर्थिक स्थिति अच्छी न होने के कारण पढ़ाई के दौरान उन्हें अनेक समस्याओं का सामना करना पड़ा। उन्होंने वर्ष 1884 में इलाहाबाद के एक सरकारी स्कूल में अध्यापन का कार्य आरंभ कर दिया। यहां उन्हें 40 रुपये मासिक वेतन मिलता था। इससे उनकी आर्थिक समस्या का कुछ समाधान हुआ। उन्होंने वर्ष 1891 में एलएलबी की परीक्षा उत्तीर्ण की। उन्होंने पहले जिला न्यायालय और उसके पश्चात वर्ष 1893 में इलाहाबाद उच्च न्यायालय में अधिवक्ता के रूप में अपना कार्य प्रारम्भ किया।

राजनीति में भी पंडित मदनमोहन मालवीय की गहरी रुचि थी। वह वर्ष 1909 में लाहौर, 1918 और 1930 में दिल्ली और 1932 में कोलकाता में कांग्रेस के अधिवेशन के अध्यक्ष रहे। वह वर्ष 1903-18 के दौरान प्रांतीय विधायी परिषद और 1910-20 तक केंद्रीय परिषद के सदस्य रहे। वह 1916-18 के दौरान भारतीय विधायी सभा के निर्वाचित सदस्य रहे। वर्ष 1930 में जब महात्मा गांधी ने नमक सत्याग्रह और सविनय अवज्ञा आंदोलन आरम्भ किया, तो उन्होंने उसमें भाग लिया और जेल गए। वह 50 वर्षों तक कांग्रेस में सक्रिय रहे। उन्होंने वर्ष 1937 में राजनीति से संन्यास ले लिया तथा अपना सारा ध्यान सामाजिक कार्यों पर केंद्रित कर दिया। उन्होंने महिलाओं की शिक्षा पर बल दिया। उन्होंने बाल विवाह का विरोध किया तथा विधवा पुनर्विवाह का समर्थन किया।  

वह भारतीय संस्कृति के कट्टर समर्थक थे। वह समस्त कर्मकांड, रीति रिवाज, मूर्तिपूजन आदि को हिन्दू धर्म का मौलिक अंग मानते थे। इसलिए धार्मिक मंच पर आर्यसमाज की विचार धारा का विरोध करने के लिए उन्होंने जनमत संगठित करना आरम्भ किया। उनके प्रयासों के कारण ही पहले 'भारतधर्म महामंडल तथा उसके पश्चात 'अखिल भारतीय सनातन धर्म' सभा की स्थापना हुई। वह हिन्दी को बहुत महत्त्व देते थे। वह कहते थे- “भाषा की उन्नति करने में हमारा सर्वप्रथम कर्तव्य यह है कि हम स्वच्छ भाषा लिखें। पुस्तकें भी ऐसी ही भाषा में लिखी जाएं। ऐसा यत्न हो कि जिससे जो कुछ लिखा जाए, वह हिन्दी भाषा में लिखा जाए। जब भाषा में शब्द न मिलें तब संस्कृत से लीजिए या बनाइए।”

वह विद्यार्थियों को देश का भावी कर्णधार मानते थे. उनके अनुसार- "भारतीय विद्यार्थियों के मार्ग में आने वाली वर्तमान कठिनाइयों का कोई अंत नहीं है। सबसे बड़ी कठिनता यह है कि शिक्षा का माध्यम हमारी मातृभाषा न होकर एक अत्यंत दुरुह विदेशी भाषा है। सभ्य संसार के किसी भी अन्य भाग में जन-समुदाय की शिक्षा का माध्यम विदेशी भाषा नहीं है। अंग्रेजी माध्यम भारतीय शिक्षा में सबसे बड़ा विघ्न है।“ वह मानते थे कि केवल हिन्दी में ही राष्ट्रभाषा बनने की क्षमता है। वह हिन्दी एवं संस्कृत भाषा के प्रबल समर्थक थे। हिन्दी के बारे में उनका कहना था- “हिंदुस्तान की उन्नति हिन्दी को अपनाने से ही हो सकती है।” उनके अनुसार- “बिजली की रोशनी से रात्रि का कुछ अंधकार दूर हो सकता है, किंतु सूर्य का काम बिजली नहीं कर सकती। इसी भांति हम विदेशी भाषा से सूर्य का प्रकाश नहीं कर सकते। साहित्य और देश की उन्नति अपने देश की भाषा द्वारा ही हो सकती है।”

उन्होंने उत्तर प्रदेश के न्यायालयों और कार्यालयों में हिन्दी को व्यवहार योग्य भाषा के रूप में स्वीकृत कराया। इससे पूर्व केवल उर्दू ही न्यायालयों और सरकारी कार्यालयों की भाषा थी। उन्होंने वर्ष 1890 में हिन्दी के प्रचार व प्रसार के लिए जन आंदोलन आरम्भ किया था। उनके प्रयासों का ही परिणाम है कि सरकारी कार्यालयों में हिन्दी में कामकाज होने लगा। उनकी सहायता से वर्ष 1910 में इलाहाबाद में 'अखिल भारतीय हिन्दी साहित्य सम्मेलन' की स्थापना की गई। वह शिक्षा को अत्यंत महत्त्व देते थे। उनके अनुसार- “शिक्षा से ही देश और समाज में नवीन उदय होता है। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना में पंडित मदनमोहन मालवीय का योगदान था। उनकी पत्रकारिता में भी गहरी रुचि थी। उन्होंने अनेक पत्र-पत्रिकाओं के प्रकाशन में महत्वपूर्ण भूमिका निभाई तथा अनेक वर्षों तक कई पत्र-पत्रिकाओं के सम्पादक के रूप में कार्य किया। 
 
वह कहते थे- “भारत की एकता का मुख्य आधार है एक संस्कृति, जिसका उत्साह कभी नहीं टूटा। यही इसकी विशेषता है।“ उन्होंने वर्ष 1906 में इलाहाबाद के कुम्भ के अवसर पर सनातन धर्म के विराट अधिवेशन का आयोजन कराया। इस अवसर पर उन्होंने 'सनातन धर्म-संग्रह' नामक एक बृहत ग्रंथ तैयार करवाकर महासभा में उपस्थित किया। उन्होंने कई वर्ष तक उस सनातन धर्म सभा के अनेक विशाल अधिवेशन आयोजित करवाए। उन्होंने सनातन धर्म सभा के सिद्धांतों के प्रचार के लिए 'सनातन धर्म' नामक साप्ताहिक पत्र आरंभ किया। 

उनमें देशभक्ति की भावना कूट-कूट कर भरी हुई थी। वह युवाओं को देश के प्रति अपने कर्तव्यों का पालन करने की सीख देते हुए कहते हैं- “नागरिक का सर्वश्रेष्ठ कर्तव्य यह है कि वह मातृभूमि के सम्मान की रक्षा के लिए अपने जीवन का बालिदन कर दे। इसके साथ- साथ मैं आपको यह भी बता देना चाहता हूं कि वही कर्त्तव्य आपको यही भी सिखलाता है, इसी सेवा के लिए जीवन सुरक्षित रखा जाए और मूर्खतापूर्ण जोश में आकर शीघ्र ही समाप्त न कर दिया जाए। अतएव मैं आपसे यही चाहता हूं कि आप अपने उत्तरदायित्व को समझते हुए शुद्ध भाव से उपयुक्त संरक्षकता में रहकर देश की स्वतंत्रता के लिए अपना कार्य करें।“ वह मानते थे कि देशभक्ति सदैव राष्ट्रहित का चिंतन करने की प्रेरणा देती है। उनके अनुसार- “‘स्वराज्य का सबसे बड़ा साधन यह है कि देश में जहां तक संभव हो, प्राणी-प्राणी में देश की भक्ति का भाव बढ़ाया जाय। इससे लोगों में परस्पर प्रीति और परस्पर विश्वास बढ़ेंगे तथा बैर और फूट घटेगी। इससे और अनंत उत्तम गुण मनुष्य में उत्पन्न होंगे, जो उनको देश की सेवा करने के योग्य बनावेंगे और अनेक प्रकार के पाप तथा लज्जा के कामों से उनको बचावेंगे।“  
     
वह कहते थे- “राष्ट्रीयता उस भाव का नाम है जो कि देश के सम्पूर्ण निवासियों के हृदयों में देश-हित की लालसा के साथ व्याप रहा हो, जिसके आगे अन्य भावों की श्रेणी नीची ही रहती हो। भारत में राष्ट्रीय भाव कैसे पैदा हो? प्रत्येक भाव में भक्ति और प्रेम होते हैं और प्रत्येक प्रेम और भक्ति के आधार भी होते हैं। यह प्रकृति का नियम है कि मनुष्य जिस वस्तु से प्रेम रखता है उसका दास बन जाता है और उसके आगे अन्य समस्त वस्तुओं को तुच्छ मानता है। धन ही से प्रेम रखने वाले धर्म और यश की कुछ भी अपेक्षा नही करते; और जिनको धर्म और यश प्यारा है, उनके आगे धन मिट्टी जैसा ही है। देशभक्ति का संचार हमारे ह्रदय से स्वार्थ को निकाल कर फेंक देगा। हम अदूरदर्शी, स्वार्थी और खुशामदियों की तरह ऐसे कार्य कदापि नही करेंगे जिनसे कि देशवासियों को हानि पहुंचे; बल्कि दूरदर्शी, परमार्थी, सत्यशील और दृढ़ताप्रिय आत्माओं की भांति, असंख्यों कष्ट उठाते हुए भी वही करेंगे, जिसमें देश का भला हो। निर्धन धनवान, निर्बल बलवान और मुर्ख बुद्धिमान हो जाएं, प्रत्येक प्रकार के सामाजिक दुःख मिटें और दुर्भिक्ष आदि विपत्तियां दूर होकर लाखों बिलबिलाती हुई आत्माओं को सुख पहुंचे। देश-भक्ति द्वारा इतने धर्मों का संपादन होता हुआ देख कर भी यदि कोई धर्म के आगे देशभक्ति को कुछ नही समझता, उस पुरुष को जान लीजिये कि वह धर्म के तत्व ही को नही पहचानता। इसमें संदेह नहीं कि जो देशवासी अपनी मातृ-भूमि की गुरुता को भली भांति समझ लेंगे, उनमें धर्म-भेद और वर्ण-भेद रहते हुए भी एकता का अभाव नहीं पाया जाएगा। यदि आप विद्वान है, बलवान् है और धनवान हैं तो आपका धर्म यह है कि अपनी विद्या, धन और बल को देश की सेवा में लगाओ। उनकी सहायता करो जो कि तुम्हारी सहायता के भूखे है। उनको योग्य बनाओ जो कि अन्यथा अयोग्य ही बने रहेंगे।“
सामाजिक कार्यों में भी उन्होंने अपनी महत्त्वपूर्ण भूमिका निभाई। उन्होंने वर्ष 1919 में कुम्भ मेले के अवसर पर प्रयाग में 'प्रयाग सेवा समिति' का गठन किया. इसका उद्देश्य कुम्भ मेले में बाहर से आने वाले तीर्थयात्रियों को मूलभूत सुविधाएं उपलब्ध कराना था। पंडित मदनमोहन मालवीय ने वर्ष 1913 में हरिद्वार में गंगा तट पर बांध बनाने की ब्रिटिश सरकार की योजना का जमकर विरोध किया तथा उन्हें सफलता भी प्राप्त हुई।  

वह कट्टर हिन्दू थे और हिन्दू धर्म छोड़कर जाने वाले लोगों को पुनः हिन्दू धर्म में वापस ले आते थे। उन्होंने दलितों के मंदिरों में प्रवेश निषेध की बुराई के विरुद्ध देशभर में आंदोलन चलाया। वह तीन बार हिन्दू महासभा के अध्यक्ष चुने गए। काशी हिन्दू विश्वविद्यालय की स्थापना उनकी सबसे बड़ी उपलब्धि मानी जाती है। उन्होंने 'सत्यमेव जयते' के नारे का प्रचार-प्रसार करके इसे लोकप्रिय बनाया। बाद में यह राष्ट्रीय आदर्श वाक्य बन गया और इसे राष्ट्रीय प्रतीक के नीचे अंकित किया गया। 

राष्ट्रपिता महात्मा गांधी ने उन्हें ‘महामना’ की संज्ञा दी थी। देश के द्वितीय राष्ट्रपति डॉ. सर्वपल्ली राधाकृष्णन ने उन्हें 'कर्मयोगी' कहा था। पंडित मदनमोहन मालवीय के उल्लेखनीय कार्यों के दृष्टिगत विगत 24 दिसम्बर, 2014 को देश के तत्कालीन राष्ट्रपति प्रणब मुखर्जी ने मरणोपरांत उन्हें भारत के सबसे बड़े नागरिक सम्मान 'भारत रत्न' से सम्मानित किया। 12 नवम्बर, 1946 को इलाहाबाद में उनका निधन हो गया। उन्होंने अपना जीवन राष्ट्र को समर्पित कर दिया था। उन्होंने अपनी अंतिम सांस तक जन साधारण के लिए तक संघर्ष किया। राष्ट्र उनके योगदान को कभी भूल नहीं सकता।

वर्तमान में उनकी शिक्षाएं अत्यंत प्रासंगिक हैं। आशा है कि यह स्मारिका उनकी शिक्षाओं के प्रचार-प्रसार में महत्ती भूमिका निभाएगी।  

मदन मोहन मालवीय जी की जयंती

 



लखनऊ के महामना शिक्षण संस्थान द्वारा  मदन मोहन मालवीय जी की जयंती कार्यक्रम का आयोजन.

Wednesday, December 17, 2025

उत्तर प्रदेश में डिजिटल क्रांति


उत्तर प्रदेश के ग्रामीण युवाओं को आधुनिक शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की बेहतर तैयारी का अवसर देने के लिए योगी सरकार ने बड़ी पहल की है। मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ के निर्देश पर पहले चरण में प्रदेश की 11,350 ग्राम पंचायतों में डिजिटल लाइब्रेरी स्थापित की जा रही है, जिससे गांव के छात्र अब शहरों पर निर्भर हुए बिना सिविल सर्विसेज सहित अन्य प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी कर सकेंगे।

हर डिजिटल लाइब्रेरी पर चार लाख रुपये खर्च किए जाएंगे। इसमें दो लाख रुपये की पुस्तकों की व्यवस्था होगी, जबकि 1.30 लाख रुपये के आईटी इक्यूपमेंट और 70 हजार रुपये के आधुनिक फर्नीचर लिए जाएंगे। लाइब्रेरी में ई-बुक्स, वीडियो लेक्चर, ऑडियो कंटेंट, क्विज और लगभग  20 हजार डिजिटल शैक्षणिक सामग्री उपलब्ध रहेगी।

योगी सरकार की इस महत्वाकांक्षी योजना के अंतर्गत 35 जिलों में पुस्तकों का चयन पूरा कर लिया गया है। राजधानी लखनऊ समेत इन जिलों की पंचायतों में शीघ्र ही डिजिटल लाइब्रेरी शुरू होंगी। योगी सरकार की यह पहल ‘विकसित भारत 2047’ के लक्ष्य की दिशा में ग्रामीण प्रतिभाओं को डिजिटल शक्ति देने का मजबूत कदम मानी जा रही है। 

पंचायती राजमंत्री ओपी राजभर ने कहा कि डिजिटल लाइब्रेरी की स्थापना से ग्रामीण युवाओं को अपने गांव में ही गुणवत्तापूर्ण शिक्षा और प्रतियोगी परीक्षाओं की तैयारी का अवसर मिलेगा। यह योजना गांव और शहर के बीच शिक्षा के अंतर को कम करने की दिशा में एक ऐतिहासिक कदम है। पंचायतों को शिक्षा का केंद्र बनाकर हम ग्रामीण प्रतिभाओं को आगे बढ़ने का कार्य  कर रहे हैं।

पंचायती राज निदेशक अमित कुमार सिंह ने बताया कि मुख्यमंत्री योगी एवं पंचायती राजमंत्री ओम प्रकाश राजभर के निर्देश पर प्रदेश के सभी जिलों की पंचायतों में चरणबद्ध तरीके से डिजिटल लाइब्रेरी खोली जाएंगी। इससे ग्रामीण क्षेत्रों में शिक्षा का स्तर सुधरेगा और युवा रोजगार के लिए अधिक सक्षम बन सकेंगे। डिजिटल लाइब्रेरी का प्रबंधन ग्राम प्रधान और सचिव करेंगे, जबकि सहायक अधिकारी इसकी नियमित देखरेख करेंगे। इन जिलों में अमरोहा, आजमगढ़, बांदा, बलिया, बागपत, बदायूं, बरेली, बिजनौर, चित्रकूट, एटा, फतेहपुर, फर्रूखाबाद, फिरोजाबाद, गाजियाबाद, गाजीपुर, हरदोई, हापुड़, जालौन, कानपुर देहात, कन्नौज, कौशाम्बी, कासगंज, लखनऊ, मऊ, मुरादाबाद, मुजफ्फरनगर, प्रतापगढ़, प्रयागराज, रायबरेली, सम्भल, शामली, सिद्धार्थनगर, श्रावस्ती, सुल्तानपुर और सीतापुर सम्मिलित हैं।
लखनऊ: 17 दिसम्बर 2025

Sunday, December 14, 2025

दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के लिए रियायती टूर पैकेज की घोषणा


दुधवा राष्ट्रीय उद्यान की हरियाली, रोमांच से भरे जंगल सफारी अनुभव और दुर्लभ वन्य जीवों की झलक को अब पर्यटक पहले से कहीं अधिक आसान और किफायती तरीके से देख सकेंगे। उत्तर प्रदेश राज्य पर्यटन विकास निगम ने सैलानियों और प्रकृति प्रेमियों के लिए एक रात, दो दिन के पांच विशेष बजट पैकेज तैयार किए हैं।
 
उत्तर प्रदेश के पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह के अनुसार राज्य पर्यटन विकास निगम की ओर से तैयार टूर पैकेज पर्यटकों को दुधवा राष्ट्रीय उद्यान के प्राकृतिक सौंदर्य और जैव विविधता को करीब से अनुभव करने का मौका देगा। यह बजट पैकेज उत्तर प्रदेश में इको टूरिज्म, जंगल सफारी और ग्रामीण पर्यटन को बढ़ावा देगा। राजधानी लखनऊ के होटल गोमती से 15 दिसम्बर 2025 से शुरू होने वाले इस टूर पैकेज से संबंधित विशेष जानकारी निगम की वेबसाइट से प्राप्त होगी।

राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा तैयार दुधवा बजट पैकेज अधिकतम आठ यात्रियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। टेम्पो ट्रैवलर से सफर की शुरुआत होगी, जिसका प्रति व्यक्ति किराया 6,175 रुपये (5 प्रतिशत जीएसटी अतिरिक्त) होगा। दो दिनी यात्रा के पहले दिन लखनऊ स्थित होटल गोमती से सुबह 8 बजे टेम्पो ट्रैवलर यात्रियों के साथ दुधवा के लिए रवाना होगा। दोपहर 1:30 बजे दुधवा पहुंचकर होटल में लंच और रात 8 बजे रात्रि भोजन के बाद पर्यटक आराम करेंगे। दूसरे दिन सुबह 6 से 10 बजे तक पर्यटक जंगल सफारी का आनंद लेंगे। तत्पश्चात सुबह 11 बजे वापसी के लिए लखनऊ रवाना होंगे। दंपत्ति के साथ पांच वर्ष आयु तक के बच्चे मुफ्त में सफर कर सकते हैं। स्टैंडर्ड जंगल सफारी पैकेज के अंतर्गत चार यात्रियों का दल सेडान कार से होटल गोमती
से दुधवा के लिए रवाना होगा। एक रात और दो दिन वाले सफर में प्रति व्यक्ति किराया 6,500 रुपये (05 प्रतिशत जीएसटी अतिरिक्त) होगा। इस पैकेज में भी पहले दिन पर्यटक दोपहर 12 बजे दुधवा होटल पहुंचेंगे और दिन-रात के भोजन उपरांत आराम करेंगे। अगले दिन सुबह 6 बजे से 10 बजे तक जंगल सफारी का आनंद लेंगे और नाश्ते के बाद लखनऊ के लिए वापस लौट जाएंगे।

राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा तैयार ‘प्रीमियम वाइल्ड लाइफ एक्सपीरियंस’ पैकेज छह पर्यटकों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। इस पैकेज के लिए प्रति व्यक्ति किराया 6 रुपये (05 प्रतिशत जीएसटी अतिरिक्त) देने होंगे। इनोवा से लखनऊ से रवाना दल दोपहर 12 बजे दुधवा पहुंचेगा। लंच के बाद पर्यटकों का दल गाइड के साथ फॉरेस्ट वॉक करते हुए व्याख्या केंद्र का भ्रमण करेगा। अगले दिन सुबह 6 से 10 बजे तक जंगल सफारी का आनंद लेने के बाद वापस लखनऊ लौट जाएगा।

लखनऊ से दुधवा तक का यह पैकेज विशेष रूप से स्कूल-कॉलेज के विद्यार्थियों को ध्यान में रखकर तैयार किया गया है। टेम्पो ट्रैवलर से सफर के दौरान दो शिक्षक और एक स्टाफ साथ रहेंगे। अन्य पैकेज की तरह दुधवा पहुंचने के बाद विद्यार्थी लंच करेंगे और खेल सहित अन्य गतिविधियों में सम्मिलित होंगे। शाम में चाय और रात के भोजन के उपरांत आराम करेंगे। अगले दिन जंगल सफारी और नाश्ते के बाद वापस लखनऊ के लिए रवाना हो जाएंगे। इस पैकेज के लिए प्रति व्यक्ति 4,751 रुपये (5 प्रतिशत जीएसटी अतिरिक्त) भुगतान करना होगा। इस समूह में कम से कम 20 विद्यार्थी होंगे।

राज्य पर्यटन विकास निगम द्वारा तैयार ‘दुधवा बजट पैकेज’ में कम से कम चार पर्यटक होंगे, जिसका किराया प्रति व्यक्ति 4,950 रुपये (5 प्रतिशत जीएसटी अतिरिक्त) तय किया गया है। इस पैकेज में अन्य की ही तरह सभी सुविधाएं उपलब्ध होंगी। लखनऊ-दुधवा-लखनऊ का यह किफायती पैकेज पर्यटकों को कम बजट में बेहतर सुविधाओं के साथ मिलेगा। 

लखनऊ-दुधवा यात्रा पैकेज की सबसे बड़ी विशेषता इसकी सुविधा है। यात्रा पैकेज में पर्यटकों के ठहरने के लिए जंगल से मात्र डेढ़ किलोमीटर की दूरी पर आरामदायक होटल की व्यवस्था की गई है, जिससे प्रकृति का अनुभव और भी नजदीक से लिया जा सकेगा। यात्रा के दौरान स्वादिष्ट भोजन, प्रति यात्री दो पानी की बोतल, चाय की चुस्कियों के साथ अलाव का आनंद, अनुभवी गाइड और रोमांच से भरपूर जंगल सफारी भी पैकेज में सम्मिलित
है।

उत्तर प्रदेश के पर्यटन, संस्कृति एवं धर्मार्थ कार्य विभाग के सचिव अमृत अभिजात ने कहा कि दुधवा नेशल पार्क के लिए तैयार किए गए ये विशेष बजट राज्य में इको-टूरिज्म और वाइल्ड लाइफ टूरिज्म को नई दिशा देंगे। निगम का उद्देश्य है कि पर्यटकों को सुरक्षित और किफायती यात्रा अनुभव उपलब्ध कराया जाए, ताकि परिवार, विद्यार्थी और प्रकृति प्रेमी उत्तर प्रदेश की जैव विविधता को नजदीक से अनुभव कर सकें। दुधवा जैसे प्राकृतिक धरोहर स्थलों के माध्यम से स्थानीय रोजगार, ग्रामीण अर्थ व्यवस्था और सतत पर्यटन को भी मजबूती मिलेगी।
लखनऊ: 14 दिसम्बर 2025

संस्कारयुक्त शिक्षा से होगा समाज का कल्याण : यतीन्द्र







कानपुर। विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्रा की क्षेत्रीय कार्ययोजना बैठक का शुभारम्भ सरस्वती बी.एड. महाविद्यालय, रूमा में हुआ। उद्घाटन सत्रा में विद्या भारती की पत्रिका शिशु मन्दिर सन्देश के विशेषांक का विमोचन विद्या भारती के अखिल भारतीय सह संगठन मंत्राी आदरणीय यतीन्द्र शर्मा जी के द्वारा सम्पन्न हुआ। इस अवसर पर यतीन्द्र जी ने पंच परिवर्तन के माध्यम से पर्यावरण संरक्षण, स्व का बोध, कुटम्ब प्रबोधन नागरिक कर्तव्य एवं सामाजिक समरसता पर दिशा बोध प्रदान करते हुए कहा कि राष्ट्रीय स्वयंसेवक संघ के शताब्दी वर्ष में इसे विद्यालयों के माध्यम से समाज तक ले जाना है। यही वे क्षेत्रा हैं जिनके सुदृढ़ होने से राष्ट्र अपने परम् वैभव को प्राप्त हो सकेगा। 

 नारी शक्ति में दायित्व बोध जागरण के लिए तथा उनकी अन्तर्निहित शक्तियों के समाज कल्याण हेतु प्रकटीकरण के लिए सप्तशक्ति संगम के माध्यम से विद्या भारती अभियान लेकर कार्यक्रमों का आयोजन कर रही है। यह भी पंच परिवर्तन के लक्ष्य को प्राप्त करने की दिशा में एक सकारात्मक कदम है। 

 कार्यक्रम में क्षेत्राीय संगठन मंत्राी हेमचन्द्र जी, सह क्षेत्राीय संगठन मंत्राी डाॅ. राम  मनोहर जी, विद्या भारती के क्षेत्राीय अध्यक्ष दिव्यकान्त शुक्ल, क्षेत्राीय मंत्राी डाॅ. सौरभ मालवीय जी एवं कानपुर प्रान्त के संगठन मंत्राी रजनीश पाठक की उपस्थिति उल्लेखनीय रही। लोक सेवा आयोग के सदस्य डाॅ. हरेश प्रताप सिंह उपस्थित रहे। अतिथियों का परिचय भारतीय शिक्षा समिति कानपुर प्रान्त के प्रदेश निरीक्षक श्री अयोध्या प्रसाद मिश्र ने कराया।


समाज सुधारक पंडित मदनमोहन मालवीय

डॉ. सौरभ मालवीय  पंडित मदनमोहन मालवीय महान स्वतंत्रता सेनानी होने के साथ-साथ एक कुशल राजनीतिज्ञ, सफल शिक्षाविद एवं महान समाज सुधारक भी थे। उ...