Tuesday, December 30, 2025

बैठक







प्रधानाचार्य संवाद बैठक - प्रयागराज 
सिविल लाइन्स स्थित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर के सभागार में दिनांक 29 दिसम्बर 2025 को काशी प्रान्त की  एक दिवसीय बैठक के उदघाटन सत्र में उपस्थित रहा।
 बैठक में आ. डॉ. राममनोहर जी का सान्निध्य मिला.

Sunday, December 28, 2025

बैठक











प्रांतीय विषय संयोजक बैठक - प्रयागराज 
सिविल लाइन्स स्थित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर के सभागार में दिनांक 28 दिसम्बर 2025 को काशी प्रान्त की प्रान्तीय विषय संयोजकों की एक दिवसीय बैठक के उदघाटन सत्र में उपस्थित रहा.
 बैठक में आ. डॉ. राममनोहर जी का सान्निध्य मिला.

बैठक









भारतीय शिक्षा समिति उत्तर प्रदेश 
प्रांतीय विषय संयोजक बैठक 
इंद्रानगर - लखनऊ
संस्कारयुक्त शिक्षा विद्या भारती

Saturday, December 27, 2025

बौद्ध सर्किट बना उत्तर प्रदेश की वैश्विक पहचान


उत्तर प्रदेश पर्यटन विभाग की दूरगामी नीतियों और निरंतर प्रयासों का सकारात्मक असर अब स्पष्ट रूप से दिखाई देने लगा है। राज्य का बौद्ध सर्किट आस्था, विश्वास और वैश्विक पर्यटन का सशक्त केंद्र बनकर उभर रहा है। पर्यटन विभाग की जनवरी से सितम्बर 2025 की रिपोर्ट के अनुसार प्रदेश के बौद्ध स्थलों पर देश-विदेश से आने वाले पर्यटकों और श्रद्धालुओं की संख्या में उल्लेखनीय वृद्धि दर्ज की गई है। सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, कौशांबी, कपिलवस्तु और संकिसा जैसे छह प्रमुख बौद्ध स्थल न केवल राष्ट्रीय बल्कि अंतर्राष्ट्रीय स्तर पर भी पर्यटकों को आकर्षित कर रहे हैं, जो उत्तर प्रदेश को वैश्विक बौद्ध पर्यटन मानचित्र पर नई पहचान दिला रहे हैं।

पर्यटन मंत्री जयवीर सिंह ने बताया कि उत्तर प्रदेश में बौद्ध पर्यटन को लेकर लगातार बढ़ती वैश्विक रुचि देखने को मिल रही है। उन्होंने कहा कि वर्ष 2025 के नौ महीनों (जनवरी से सितम्बर) के दौरान भगवान बुद्ध से जुड़े प्रदेश के छह प्रमुख स्थलों पर कुल 61,15,850 पर्यटकों ने दर्शन किए, जिनमें 58,44,591 घरेलू तथा 2,71,259 विदेशी पर्यटक शामिल हैं। यह आंकड़े प्रदेश में बौद्ध विरासत की अंतर्राष्ट्रीय पहचान और पर्यटन सुविधाओं के सुदृढ़ीकरण का प्रमाण हैं। पर्यटन विभाग का अनुमान है कि वर्ष 2025 के अंत तक इन पवित्र स्थलों पर आने वाले पर्यटकों की संख्या 64 लाख के पार जा सकती है।

उत्तर प्रदेश का कौशांबी जिला ऐतिहासिक, धार्मिक और सांस्कृतिक तीनों दृष्टि से महत्वपूर्ण स्थल है। इसका संबंध प्राचीन कौशांबी नगर सभ्यता से है, जिसका उल्लेख वाल्मीकि रचित रामायण और महाभारत में मिलता है। महाभारत में इसे ’कुशम्ब’ के नाम से जाना जाता था। बौद्ध धर्म के अनुयायियों के लिए यह भूमि विशेष महत्व रखती है, क्योंकि भगवान बुद्ध ने यहीं अपना छठा और नौवां वर्षावास व्यतीत किया था। वर्ष 2025 के जनवरी से सितम्बर के बीच जनपद में कुल 23,19,237 पर्यटकों का आगमन दर्ज किया गया, जिनमें 2,884 विदेशी पर्यटक शामिल हैं। राज्य के पर्यटन विकास में कौशांबी विशेष महत्व रखता है। 

उत्तर प्रदेश के भगवान बुद्ध से जुड़े प्रमुख तीर्थ स्थलों पर वर्ष 2025 (जनवरी से सितम्बर) में देशी-विदेशी पर्यटकों की उल्लेखनीय उपस्थिति दर्ज की गई है, जिससे प्रदेश के बौद्ध पर्यटन को नई गति मिली है। सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु और संकिसा जैसे ऐतिहासिक स्थलों पर बड़ी संख्या में श्रद्धालुओं और पर्यटक पहुंचे। कपिलवस्तु में कुल 51,795 पर्यटकों ने भ्रमण किया, जिनमें 15,423 विदेशी सैलानी शामिल रहे। वहीं महापरिनिर्वाण स्थली कुशीनगर में सर्वाधिक 18,60,507 पर्यटकों का आगमन हुआ, जिनमें 1,88,131 विदेशी पर्यटक थे। तथागत द्वारा प्रथम उपदेश दिए गये पावन स्थल सारनाथ में 17,75,489 पर्यटक पहुंचे, जिनमें 64,821 विदेशी आगंतुक शामिल रहे। इसी क्रम में श्रावस्ती में 79,245 तथा संकिसा में 29,577 पर्यटकों का आगमन दर्ज किया गया, जो यह दर्शाता है कि उत्तर प्रदेश वैश्विक बौद्ध पर्यटन मानचित्र पर निरंतर सशक्त रूप से उभर रहा है।

भगवान बुद्ध से जुड़े उत्तर प्रदेश के प्रमुख स्थल सारनाथ, कुशीनगर, श्रावस्ती, कपिलवस्तु, कौशांबी और संकिसा देश ही नहीं, बल्कि पूरी दुनिया के बौद्ध श्रद्धालुओं और पर्यटकों के लिए आस्था व आकर्षण का केंद्र बने हुए हैं। पर्यटन विभाग के आंकड़े इस बढ़ते रुझान की स्पष्ट तस्दीक करते हैं। वर्ष 2023 में इन स्थलों पर कुल 47,04,317 पर्यटकों ने भ्रमण किया, जिनमें 2,54,688 विदेशी सैलानी शामिल थे। वहीं वर्ष 2024 में यह संख्या तेजी से बढ़ती और कुल 61,47,826 पर्यटक इन स्थलों तक पहुंचे, जिनमें 3,53,461 विदेशी पर्यटक रहे। यह बढ़ती संख्या प्रदेश के बौद्ध पर्यटन को वैश्विक पहचान दिलाने की दिशा में एक महत्वपूर्ण संकेत है।
प्रदेश के संस्कृति एवं पर्यटन विभाग के प्रमुख सचिव अमृत अभिजात ने बताया कि उत्तर प्रदेश पर्यटन विश्व के प्रमुख मंचों जैसे-पैसिफिक एशिया ट्रैवल एसोसिएशन, जापान टूरिज्म एक्सपो, आईएफटीएम टॉप रेसा और वर्ल्ड ट्रेवल मार्केट लंदन आदि पर राज्य के बौद्ध सर्किट और भगवान बुद्ध से जुड़े पवित्र स्थलों को प्रभावी ढंग से प्रस्तुत कर रहा है। विभाग द्वारा थाईलैंड, वियतनाम, मलेशिया, श्रीलंका, भूटान, जापान, लाओ पीडीआर, कंबोडिया, सिंगापुर और इंडोनेशिया जैसे बौद्ध बहुल देशों के टूर ऑपरेटरों, भिक्षुओं और मीडिया प्रतिनिधियों के लिए विशेष फैमिलियराइजेशन ट्रिप का आयोजन भी किया जाता रहा है। पर्यटन विभाग की ’बोधि यात्रा’ पहल ने उत्तर प्रदेश की वैश्विक पर्यटन मानचित्र पर उपस्थिति को और अधिक सुदृढ़ किया है।
लखनऊ: 28 दिसम्बर 2025

बैठक






भारतीय शिक्षा समिति उत्तर प्रदेश 
प्रांतीय विषय संयोजक बैठक 
इंद्रानगर - लखनऊ
संस्कारयुक्त शिक्षा विद्या भारती

Thursday, December 25, 2025

‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का लोकार्पण


प्रधानमंत्री नरेन्द्र मोदी ने पूर्व प्रधानमंत्री भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी की जयंती ‘सुशासन दिवस’ के अवसर पर 25 दिसम्बर को लखनऊ के सेक्टर-जे में 230 करोड़ रुपये की लागत से 65 एकड़ क्षेत्रफल में निर्मित ‘राष्ट्र प्रेरणा स्थल’ का लोकार्पण किया। इस अवसर पर केंदीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह, उत्तर प्रदेश की राज्यपाल आनंदीबेन पटेल तथा मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ की उपस्थिति रही।

प्रधानमंत्री ने राष्ट्र प्रेरणा स्थल में डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय एवं पूर्व प्रधानमंत्री अटल बिहारी वाजपेयी की 65-65 फीट ऊंची प्रतिमा का लोकार्पण किया। उन्होंने पंडित दीनदयाल उपाध्याय, डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी एवं अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित कर अपनी श्रद्धांजलि दी। प्रधानमंत्री ने राष्ट्र प्रेरणा स्थल में म्यूजियम का लोकार्पण तथा इसका अवलोकन किया और भारत माता की प्रतिमा पर पुष्प अर्पित किए। इस अवसर पर राष्ट्र प्रेरणा स्थल के विकास पर आधारित एक लघु फिल्म का प्रदर्शन किया गया। प्रधानमंत्री ने सभी को राष्ट्र प्रेरणा स्थल की शुभकामनाएं दीं।

प्रधानमंत्री ने कार्यक्रम को सम्बोधित करते हुए कहा कि आज लखनऊ की भूमि एक नई प्रेरणा की साक्षी बन रही है। आज उन्हें राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण करने का सौभाग्य मिला है। यह राष्ट्र प्रेरणा स्थल उस सोच का प्रतीक है, जिसने भारत को आत्मसम्मान, एकता और सेवा का मार्ग दिखाया है। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी की प्रतिमाएं जितनी ऊंची हैं, इनसे मिलने वाली प्रेरणा उससे भी अधिक ऊंची है। अटलजी ने लिखा था “नीरवता से मुखरित मधुबन, परहित अर्पित अपना तन-मन, जीवन को शत-शत आहुति में जलना होगा, गलना होगा, कदम मिलाकर चलना होगा।“ यह राष्ट्र प्रेरणा स्थल हमें संदेश देता है कि हमारा हर कदम, हर प्रयास राष्ट्र निर्माण के लिए समर्पित हो। सबका प्रयास ही विकसित भारत के संकल्प को सिद्धि प्रदान करेगा।

उन्होंने मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ और उनकी पूरी टीम तथा राष्ट्र प्रेरणा स्थल प्रोजेक्ट से जुड़े सभी श्रमिकों, कारीगरों व योजनाकारों को बधाई देते हुए कहा कि जिस जमीन पर यह प्रेरणा स्थल बना है, उसकी 30 एकड़ से ज्यादा जमीन पर कई दशकों से कूड़े-कचरे का पहाड़ जमा था। पिछले तीन वर्षों में इसे पूरी तरह समाप्त किया गया। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय और अटल बिहारी वाजपेयी, इन तीन महापुरुषों की प्रेरणा और उनके विजनरी कार्य तथा राष्ट्र प्रेरणा स्थल में स्थापित विशाल प्रतिमाएं विकसित भारत का बड़ा आधार हैं। इनकी प्रतिमाएं हमें नई ऊर्जा से भर रही हैं।

उन्होंने कहा कि डबल इंजन सरकार का बहुत अधिक फायदा उत्तर प्रदेश को हो रहा है। उत्तर प्रदेश 21वीं सदी के भारत में अपनी एक अलग पहचान बना रहा है। यह उनका सौभाग्य है कि वह उत्तर प्रदेश से सांसद हैं। उत्तर प्रदेश के मेहनतकश लोग एक नया भविष्य लिख रहे हैं। कभी उत्तर प्रदेश की चर्चा खराब कानून-व्यवस्था के लिए
होती थी, आज इसकी चर्चा विकास के लिए होती है। आज उत्तर प्रदेश, देश के पर्यटन मानचित्र पर तेजी से उभर रहा है। अयोध्या में भव्य श्रीराम मन्दिर तथा काशी विश्वनाथ धाम,  यह दुनिया में उत्तर प्रदेश की नई पहचान के प्रतीक बन रहे हैं। राष्ट्र प्रेरणा स्थल जैसे आधुनिक निर्माण उत्तर प्रदेश की नई छवि को और अधिक रोशन बनाते हैं। 

उन्होंने कामना की कि उत्तर प्रदेश सुशासन, समृद्धि और सच्चे सामाजिक न्याय के मॉडल के रूप में और बुलंदी हासिल करे। उन्होंने कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने देश को दिशा देने में निर्णायक भूमिका निभाई। डॉ. मुखर्जी ने भारत में दो विधान, दो निशान और दो प्रधान की व्यवस्था को खारिज किया था। आजादी के बाद भी जम्मू-कश्मीर में यह व्यवस्था भारत की अखंडता के लिए बहुत बड़ी चुनौती थी। हमें गर्व है कि हमारी सरकार को अनुच्छेद-370 की दीवार गिराने का अवसर मिला। आज भारत का संविधान जम्मू-कश्मीर में भी पूरी तरह लागू है।

उन्होंने कहा कि स्वतंत्र भारत के पहले उद्योग मंत्री के रूप में डॉ. मुखर्जी ने देश में आर्थिक आत्मनिर्भरता की नींव रखी थी। उन्होंने देश को पहली औद्योगिक नीति दी और भारत में औद्योगीकरण की बुनियाद रखी। आज आत्मनिर्भरता के उसी मंत्र को हम नई बुलंदी दे रहे हैं। मेड इन इंडिया सामान आज दुनिया भर में पहुंच रहा है। उत्तर प्रदेश में ही एक ओर ‘एक जनपद एक उत्पाद’ का बहुत बड़ा अभियान चल रहा है तथा छोटे-छोटे उद्योगों व छोटी-छोटी इकाइयों का सामर्थ्य बढ़ रहा है। वहीं दूसरी तरफ, उत्तर प्रदेश में ही बहुत बड़ा डिफेन्स कॉरिडोर बन रहा है। ऑपरेशन सिंदूर में दुनिया ने जिस ब्रह्मोस मिसाइल का जलवा देखा, वह अब लखनऊ में बन रही है। वह दिन दूर नहीं है, जब उत्तर प्रदेश का डिफेन्स कॉरिडोर दुनिया भर में डिफेन्स मैन्युफैक्चरिंग के लिए जाना जाएगा।
उन्होंने कहा कि दशकों पहले पंडित दीनदयाल उपाध्याय जी ने अन्त्योदय का स्वप्न देखा था। वह मानते थे कि भारत की प्रगति का पैमाना अन्तिम पंक्ति में खड़े अन्तिम व्यक्ति के चेहरे की मुस्कान से मापा जाएगा। दीनदयाल जी ने एकात्म मानववाद का दर्शन भी दिया। शरीर, मन, बुद्धि और आत्मा सबका विकास होना चाहिए।
 दीनदयाल जी के सपने को हमने अपना संकल्प बनाया है। हमने अन्त्योदय को सैचुरेशन अर्थात संतुष्टीकरण का नया विस्तार दिया है। सैचुरेशन अर्थात हर जरूरतमंद और हर लाभार्थी को सरकार की कल्याणकारी योजनाओं के दायरे में लाने का प्रयास करना। जब सैचुरेशन की भावना होती है, तो भेदभाव नहीं होता है। यही सुशासन, सच्चा सामाजिक न्याय और सेकुलरिज्म भी है।
 
उन्होंने कहा कि आज देश के करोड़ों नागरिकों को बिना किसी भेदभाव पक्का घर, शौचालय, नल से जल, बिजली और गैस कनेक्शन मिल रहा है। करोड़ों लोगों को मुफ्त अनाज और मुफ्त इलाज मिल रहा है। पंक्ति में खड़े अन्तिम व्यक्ति तक पहुंचने का प्रयास हो रहा है। यही पंडित दीनदयाल जी का विजन था। करोड़ों भारतीयों ने गरीबी को परास्त किया है। यह इसलिए सम्भव हुआ, क्योंकि हमारी सरकार ने पीछे छूट गए और अन्तिम पंक्ति में खड़े व्यक्ति को प्राथमिकता दी।

उन्होंने कहा कि वर्ष 2014 से पहले करीब 25 करोड़ देशवासी सरकार की सामाजिक सुरक्षा योजनाओं के दायरे में थे। आज करीब 95 करोड़ भारतवासी इस सुरक्षा कवच के दायरे में है। उत्तर प्रदेश में भी बड़ी संख्या में लोगों को इसका लाभ मिला है। बीमा की सुविधा पहले कुछ लोगों तक सीमित थी। हमारी सरकार ने अन्तिम व्यक्ति तक बीमा सुरक्षा पहुंचाने का बीड़ा उठाया। इसके लिए प्रधानमंत्री जीवन ज्योति बीमा योजना बनाई गई। इसमें मामूली प्रीमियम पर दो \लाख रुपये का बीमा कवर सुनिश्चित हुआ। आज इस योजना से 25 करोड़ से ज्यादा गरीब जुड़े हैं। इसी प्रकार दुर्घटना बीमा के लिए प्रधानमंत्री सुरक्षा बीमा योजना चल रही है। इससे भी लगभग 55 करोड़ लोग जुड़े हैं। इन योजनाओं से लगभग 25 हजार करोड़ रुपये का क्लेम छोटे-छोटे परिवार के सामान्य गरीब
लोगों को मिला है। संकट के समय यह पैसा गरीब परिवारों के काम आया है।

उन्होंने कहा कि आज अटलजी की जयंती का यह दिन, सुशासन के उत्सव का भी दिन है। लम्बे समय तक देश में गरीबी हटाओ जैसे नारों को ही गवर्नेंस मान लिया गया था। अटलजी ने सही मायने में सुशासन को जमीन पर उतारा। आज डिजिटल पहचान की बहुत चर्चा होती है, इसकी नींव रखने का काम अटलजी की सरकार ने ही किया था। उस समय जिस विशेष काम के लिए इसकी शुरुआत की गई थी, वह आज आधार के रूप में विश्वविख्यात हो चुकी है। भारत में टेलीकॉम क्रान्ति को गति देने का श्रेय भी अटलजी को ही जाता है। उनकी सरकार द्वारा बनाई गई टेलीकॉम नीति से घर-घर तक फोन और इंटरनेट पहुंचना आसान हो गया। आज भारत दुनिया में सबसे अधिक मोबाइल और इंटरनेट यूजर वाले देशों में से एक है।

उन्होंने कहा कि विगत 11 वर्षों में भारत दुनिया का दूसरा सबसे बड़ा मोबाइल फोन निर्माता बन गया है। जिस प्रदेश से अटलजी सांसद रहे, वह उत्तर प्रदेश आज भारत का नम्बर एक मोबाइल मैन्युफैक्चरिंग वाला राज्य बन गया है। कनेक्टिविटी के सम्बन्ध में अटलजी के विजन ने 21वीं सदी के भारत को मजबूती प्रदान की। अटलजी के
समय ही गांव-गांव तक सड़कें पहुंचाने का अभियान शुरू किया गया था। उसी समय स्वर्णिम चतुर्भुज हाईवे के विस्तार पर काम शुरू हुआ। वर्ष 2000 के \ बाद से प्रधानमंत्री ग्राम सड़क योजना के तहत अब तक करीब आठ लाख किलोमीटर सड़कें बनी हैं। इनमें से करीब चार लाख किलोमीटर ग्रामीण सड़कें विगत 10 से 11 वर्षों में बनी हैं।

उन्होंने कहा कि आज हमारे देश में तीव्र गति से एक्सप्रेस-वे बनाने का काम चल रहा है। उत्तर प्रदेश भी एक्सप्रेस-वे स्टेट के रूप में अपनी पहचान बना रहा है। अटलजी ने ही दिल्ली में मेट्रो की शुरुआत की थी। आज देश के 20 से ज्यादा शहरों में मेट्रो नेटवर्क  लाखों लोगों का जीवन आसान बना रहा है। अटलजी की सरकार ने सुशासन की जो विरासत स्थापित की, उसे आज हमारी केंद्र और राज्य की सरकारें नया आयाम दे रही हैं।

उन्होंने कहा कि आजादी के बाद भारत में हुए हर अच्छे काम को एक ही परिवार से जोड़ने की प्रवृत्ति रही है। हमने देश को इस पुरानी प्रवृत्ति से बाहर निकाला है। हमारी सरकार माँ भारती की सेवा करने वाली हर अमर विभूति और हर किसी के योगदान को सम्मान दे रही है। नेताजी सुभाष चन्द्र बोस की प्रतिमा दिल्ली के कर्तव्य पथ पर स्थापित की गई है। अंडमान निकोबार में जिस द्वीप पर नेताजी सुभाष चन्द्र बोस ने तिरंगा फहराया, उसका नामकरण उनके नाम पर किया गया है। 

बाबा साहब डॉ. भीमराव आंबेडकर जी की विरासत को मिटाने का प्रयास भी किया गया था। हमारी सरकार ने बाबा साहब की विरासत को मिटने नहीं दिया। आज दिल्ली से लेकर लंदन तक बाबा साहब से जुड़े पंच तीर्थ उनकी विरासत का जयघोष कर रहे हैं। सरदार वल्लभ भाई पटेल ने सैकड़ों रियासतों में बंटे हमारे देश को एक किया, लेकिन आजादी के बाद उनके काम और उनके कद दोनों को छोटा करने का प्रयास किया गया। हमारी सरकार ने सरदार पटेल जी को वह मान और सम्मान दिया, जिसके वह हकदार थे। हमने सरदार पटेल जी की विश्व की सबसे ऊंची प्रतिमा स्थापित कराई और एकता नगर के रूप में एक प्रेरणास्थली का निर्माण किया।

उन्होंने कहा कि हमारे यहां दशकों तक आदिवासियों के योगदान को उचित स्थान नहीं दिया गया। हमने भगवान बिरसा मुण्डा तथा उत्तर प्रदेश में महाराजा सुहेलदेव का स्मारक बनवाया। उत्तर प्रदेश में ही निषादराज और प्रभु श्रीराम की मिलन स्थली को अब जाकर मान-सम्मान मिला। राजा महेन्द्र प्रताप सिंह से लेकर चौरी-चौरा के शहीदों तक माँ भारती के सपूतों के योगदान को हमारी सरकार ने ही पूरी श्रद्धा और विनम्रता से याद किया है।
उन्होंने कहा कि परिवारवाद की राजनीति की एक विशिष्ट पहचान होती है। यह असुरक्षा से भरी हुई होती है। आजाद भारत में अनेक प्रधानमंत्री हुए, लेकिन राजधानी दिल्ली में स्थित म्यूजियम में अनेक पूर्व प्रधानमंत्रियों को नजरअंदाज किया गया। इस स्थिति को भी हमारी सरकार ने ही बदला है। आज इस संग्रहालय में आजाद भारत के हर प्रधानमंत्री को उचित सम्मान और स्थान दिया गया है। हमारे संस्कार हमें सभी का सम्मान करना सिखाते हैं। विगत 11 वर्षों में हमारी सरकार के दौरान श्री पी.वी. नरसिम्हा राव और श्री प्रणब मुखर्जी को भारत रत्न दिया गया। हमारी सरकार ने ही श्री मुलायम सिंह यादव जैसे अनेक नेताओं को राष्ट्रीय पुरस्कारों से सम्मानित किया।

उन्होंने कहा कि 25 दिसम्बर का यह दिन देश की दो महान विभूतियों के जन्म का अद्भुत संयोग लेकर आता है। भारत रत्न अटल बिहारी वाजपेयी जी तथा भारत रत्न महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी, इन दोनों महापुरुषों ने भारत की अस्मिता, एकता और गौरव की रक्षा की तथा राष्ट्र निर्माण में अपनी अमिट छाप छोड़ी। 25 दिसम्बर को ही महाराजा बिजली पासी जी की भी जन्म जयन्ती है। लखनऊ में प्रसिद्ध बिजली पासी किला स्थित है। महाराजा बिजली पासी ने वीरता, सुशासन और समावेश की जो विरासत छोड़ी, उसे हमारे पासी समाज ने गौरव के साथ आगे बढ़ाया है। अटलजी ने ही वर्ष 2000 में महाराजा बिजली पासी के सम्मान में डाक टिकट जारी किया था।

केंदीय रक्षा मंत्री राजनाथ सिंह ने कहा कि प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में अंतर्राष्ट्रीय जगत में भारत की प्रतिष्ठा बढ़ी है। भारत विकास की बुलंदियों की ओर तेजी से अग्रसर है। प्रधानमंत्री जी एक ऐसे राजनेता हैं, जिन्हें दुनिया के 29 देशों का सर्वोच्च सम्मान प्राप्त हुआ है। पिछले एक दशक में हमारा देश बहुत आगे बढ़ा है। प्रधानमंत्री जी के पंच प्रण के मंत्र से प्रभावित होकर मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ जी ने लखनऊ में एक शानदार राष्ट्र प्रेरणा स्थल का निर्माण कराया है।

उत्तर प्रदेश के मुख्यमंत्री योगी आदित्यनाथ ने प्रधानमंत्री के प्रदेश आगमन पर उनका स्वागत करते हुए कहा कि डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी, पंडित दीनदयाल उपाध्याय तथा अटल बिहारी वाजपेयी की विरासत को आगे बढ़ाने तथा उनकी स्मृतियों को नमन करने के उद्देश्य से प्रधानमंत्री जी के विजन के अनुरूप लखनऊ में राष्ट्र प्रेरणा स्थल का निर्माण किया गया है। इस राष्ट्र प्रेरणा स्थल का लोकार्पण प्रधानमंत्री जी के कर-कमलों से हुआ है। यहां इन महापुरुषों की भव्य प्रतिमाओं के साथ-साथ म्यूजियम का निर्माण किया गया है। आज इस म्यूजियम का भी लोकार्पण हुआ है। यह भारत माता के महान सपूतों को नमन करने का अवसर है।

उन्होंने कहा कि इन सभी महापुरुषों ने भारत को नयी दृष्टि व प्रेरणा प्रदान की। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी ने स्वतंत्र भारत में ‘एक देश, एक विधान, एक निशान तथा एक प्रधान’ का उद्घोष किया था। डॉ. श्यामा प्रसाद मुखर्जी के सपनों को साकार होते देख आज प्रत्येक देशवासी प्रफुल्लित दिखाई दे रहा है। भारत माता के महान सपूत व विचारक पंडित दीनदयाल उपाध्याय के सपनों के भारत में अन्तिम पायदान पर खड़े व्यक्ति के जीवन में नया परिवर्तन होता हुआ दिखाई दे रहा है। विगत 11 वर्षों में 25 करोड़ लोगों को गरीबी रेखा से उबारकर सामान्य जीवनयापन योग्य बनाया गया है।

उन्होंने कहा कि आज महान स्वतंत्रता संग्राम सेनानी, शिक्षाविद् तथा काशी हिन्दू विश्वविद्यालय के संस्थापक महामना पंडित मदन मोहन मालवीय जी की पावन जयंती है। प्रधानमंत्री जी ने देश के प्रति उनके द्वारा की गई सेवाओं को सम्मान देते हुए उन्हें भारतरत्न से विभूषित किया। आज लखनऊ के महान योद्धा महाराजा बिजली पासी की भी पावन जयन्ती है। प्रत्येक भारतवासी के मन में उनके प्रति अटूट श्रद्धाभाव है।

उन्होंने कहा कि प्रधानमंत्री जी, अन्त्योदय के स्वप्न को साकार करने तथा सुशासन को मूर्तरूप प्रदान करने वाले इन तीनों महापुरुषों की विरासत को आगे बढ़ा रहे हैं। प्रधानमंत्री जी देश को आत्मनिर्भर और विकसित बनाने के लक्ष्य के साथ आधुनिक भारत के शिल्पकार तथा एक भारत व श्रेष्ठ भारत के स्वप्नदृष्टा हैं। प्रधानमंत्री जी की प्रेरणा से आज हम आत्मनिर्भर भारत का वर्तमान स्वरूप देख रहे हैं।

उन्होंने कहा कि यह वर्ष श्रद्धेय अटल बिहारी वाजपेयी जी के जन्मशताब्दी महोत्सव का वर्ष है। अटलजी कहते थे कि “अंधेरा छटेगा, सूरज निकलेगा, कमल खिलेगा”
यह केवल आशा मात्र नहीं, बल्कि भारत राष्ट्र के उज्ज्वल भविष्य को लेकर उनके अडिग विश्वास, दूरदृष्टि तथा दृढ़ संकल्प का उद्घोष था। अटलजी ने एक कवि, पत्रकार, राष्ट्रवादी विचारक तथा भारत के सच्चे सपूत के रूप में भारत को जो विजन व नेतृत्व दिया, उसे हम वर्तमान भारत में प्रधानमंत्री जी के नेतृत्व में साकार होते हुए देख रहे हैं। प्रत्येक क्षेत्र में विरासत और विकास का अद्भुत समन्वय दिखाई दे रहा है।

इस अवसर पर उप मुख्यमंत्री केशव प्रसाद मौर्य व ब्रजेश पाठक, केंद्रीय वित्त राज्य मंत्री पंकज चौधरी, प्रदेश के वित्त मंत्री सुरेश कुमार खन्ना, पर्यटन एवं संस्कृति मंत्री जयवीर सिंह तथा गणमान्य व्यक्ति उपस्थित थे।
25 दिसम्बर 2025

कुटुम्ब सम्मेलन













देवरिया-
अखिल भारतीय मालवीय परिवार द्वारा आयोजित कुटुम्ब सम्मेलन जिला पंचायत साभागार देवरिया में सम्पन्न हुआ. 
इस अवसर पर मालवीय परिवार के गणमान्य बंधुगण उपस्थित रहें.

बैठक

प्रधानाचार्य संवाद बैठक - प्रयागराज  सिविल लाइन्स स्थित ज्वाला देवी सरस्वती विद्या मन्दिर के सभागार में दिनांक 29 दिसम्बर 2025 को काशी प्रान...