Sourabh Malviya डॉ.सौरभ मालवीय
विचारों की धरा पर शब्दों की अभिव्यक्ति...
Sunday, November 16, 2025
Friday, November 14, 2025
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भारत विविधताओं का देश है — यहाँ अनेक भाषाएँ, संस्कृतियाँ, और परंपराएँ एक साथ पनपती हैं। इन सबमें जनजातीय समुदायों का योगदान अत्यंत महत्वपूर्ण रहा है। भारत के इतिहास, संस्कृति, स्वतंत्रता संग्राम और पर्यावरण संरक्षण में जनजातीय समाज की भूमिका अविस्मरणीय है। इन्हीं महान परंपराओं और वीरता को स्मरण करने के लिए हर वर्ष 15 नवम्बर को “जनजातीय गौरव दिवस” मनाया जाता है।
भारत सरकार ने वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में यह घोषणा की कि 15 नवम्बर को "जनजातीय गौरव दिवस" के रूप में मनाया जाएगा। यह दिन भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती है — जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और आदिवासी नायक थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनजातीय समाज को संगठित कर “उलगुलान” (महान विद्रोह) का नेतृत्व किया।
भगवान बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखंड के उलिहातू गाँव में हुआ था। उन्होंने जनजातीय समाज को सामाजिक बुराइयों, अंधविश्वास और शोषण से मुक्त करने का प्रयास किया। अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ उन्होंने हथियार उठाए और जनजातीय लोगों को “अबुआ डिसुम, अबुआ राज” (अपना देश, अपना राज) का संदेश दिया।
सिर्फ 25 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने अदम्य साहस और बलिदान से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी।
यह दिवस हमें जनजातीय समाज के संघर्ष, परिश्रम, संस्कृति और परंपरा की याद दिलाता है।
देशभर के लोगों को आदिवासी नायकों के योगदान से परिचित कराना।
जनजातीय समाज की संस्कृति, कला, नृत्य, लोकगीत, और जीवनशैली का सम्मान करना।
आधुनिक भारत में जनजातीय समुदायों के समग्र विकास को बढ़ावा देना। आज की जरूरत है.
भारत सरकार ने वर्ष 2021 में प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी जी के नेतृत्व में यह घोषणा की कि 15 नवम्बर को "जनजातीय गौरव दिवस" के रूप में मनाया जाएगा। यह दिन भगवान बिरसा मुंडा जी की जयंती है — जो एक महान स्वतंत्रता सेनानी, समाज सुधारक और आदिवासी नायक थे। उन्होंने ब्रिटिश शासन के खिलाफ जनजातीय समाज को संगठित कर “उलगुलान” (महान विद्रोह) का नेतृत्व किया।
भगवान बिरसा मुंडा
बिरसा मुंडा का जन्म 15 नवम्बर 1875 को झारखंड के उलिहातू गाँव में हुआ था। उन्होंने जनजातीय समाज को सामाजिक बुराइयों, अंधविश्वास और शोषण से मुक्त करने का प्रयास किया। अंग्रेजों के अन्याय के खिलाफ उन्होंने हथियार उठाए और जनजातीय लोगों को “अबुआ डिसुम, अबुआ राज” (अपना देश, अपना राज) का संदेश दिया।
सिर्फ 25 वर्ष की आयु में उन्होंने अपने अदम्य साहस और बलिदान से भारतीय स्वतंत्रता आंदोलन को नई दिशा दी।
यह दिवस हमें जनजातीय समाज के संघर्ष, परिश्रम, संस्कृति और परंपरा की याद दिलाता है।
देशभर के लोगों को आदिवासी नायकों के योगदान से परिचित कराना।
जनजातीय समाज की संस्कृति, कला, नृत्य, लोकगीत, और जीवनशैली का सम्मान करना।
आधुनिक भारत में जनजातीय समुदायों के समग्र विकास को बढ़ावा देना। आज की जरूरत है.
Wednesday, November 12, 2025
अमृतकाल में भारत और मीडिया
'अमृतकाल में भारत और मीडिया'
सम्पादक - डॉ. साधना श्रीवास्तव
प्रकाशक - पार्थ प्रकाशन, देहरादून
बधाई और आभार!!
Sunday, November 9, 2025
Saturday, November 8, 2025
पुस्तक भेंट
एलएनसीटी यूनिवर्सिटी - भोपाल
कुलपति, प्रो.नरेंद्र कुमार थापक जी
पत्रकारिता विभाग की अध्यक्ष डॉ. अनु श्रीवास्तव जी
शोध छात्रा अंकिता द्विवेदी
इस अवसर पर अपनी पुस्तक 'भारतीय राजनीति के महानायक नरेन्द्र मोदी' भेंट की.
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