Tuesday, April 29, 2025

स्वरोजगार से बदलेगा जीवन

 

डॉ. सौरभ मालवीय 
बेरोजगारी अनेक समस्याओं की जड़ है। बेरोजगार युवा मानसिक तनाव की चपेट में आ जाते हैं। बहुत से युवा हताशा में नशे की लत के आदी बन जाते हैं। अकसर युवा भटक भी जाते हैं। कई बार वे आपराधिक दलदल में फंस जाते हैं। इसके कारण उनका जीवन तो नष्ट होता ही है, साथ ही परिवार की प्रतिष्ठा पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। बेरोजगार युवकों द्वारा आत्महत्या करने के समाचार भी सुनने को मिलते रहते हैं।  
 
बरोजगारी के कारण
देश में बेरोजगारी के अनेक कारण हैं। इनमें निरंतर बढ़ती जनसंख्या प्रमुख है। इसके अतिरिक्त घटती कृषि भूमि, कुटीर उद्योंगों का निरंतर समाप्त होना, युवाओं का अपने पैतृक कार्यों से मोहभंग होना तथा राजकीय नौकरी पाने की इच्छा आदि भी बेरोजगारी में वृद्धि होने के कारण हैं। यदि हम स्वतंत्रता से पूर्व के परिदृश्य पर दृष्टि डालें, तो उस समय लोग स्वरोगार में ही लगे थे। किन्तु  स्वतंत्रता के पश्चात् जिस गति से जनसंख्या में वृद्धि हुई, उससे तीव्र गति से रोजगार में गिरावट आई। शिक्षा प्राप्त करने का उद्देश्य केवल राजकीय नौकरी प्राप्त करना हो गया। जिस गति से जनसंख्या में वृद्धि हुई उस गति से रोजगार के अवसर सृजित नहीं हुए। परिणामस्वरूप बेरोजगारी की समस्या दिन- प्रतिदिन बढ़ने लगी।   
 
युवाओं को प्रशिक्षण
नि:संदेह जीवनयापन के लिए रोजगार अत्यंत आवश्यक है। रोजगार प्राप्त करने के लिए कुशल होना अति आवश्यक है। बेरोजगारी के साथ-साथ अकुशलता भी एक चुनौती बनी हुई है। जो युवा कुशल हैं, उन्हें कहीं न कहीं रोजगार मिल जाता है। किन्तु जो युवा अकुशल हैं, उन्हें रोजगार प्राप्त करने के लिए अनेक कठिनाइयों का सामना करना पड़ता है। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने युवाओं की इस समस्या को समझा। इसलिए उन्होंने युवाओं को कुशल करने के लिए दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना प्रारंभ की। उन्होंने 25 सितंबर 2014 को इसका शुभारंभ किया था।
 
इस योजना का उद्देश्य गरीब ग्रामीण युवाओं को नौकरियों में नियमित रूप से न्यूनतम पारिश्रमिक के समान या उससे अधिक मासिक पारिश्रमिक प्रदान करना है। यह योजना ग्रामीण विकास मंत्रालय द्वारा ग्रामीण आजीविका को बढ़ावा देने के लिए की क्रियान्वित की जा रही है। यह आजीविका प्रदान करने तथा निर्धनता कम करने का एक अभियान है, जो राष्ट्रीय ग्रामीण आजीविका मिशन का एक भाग है। इससे ऐसे गरीब ग्रामीण युवा लाभान्वित हो रहे हैं, जो कुशल होना चाहते हैं। इसकी संरचना प्रधानमंत्री के अभियान 'मेक इन इंडिया' के लिए एक प्रमुख योगदानकर्ता के रूप में की गई है।
 
रोजगार के अवसर
भारतीय जनता पार्टी द्वारा जारी लोकसभा चुनाव 2024 के घोषणा पत्र ‘भाजपा का संकल्प मोदी की गारंटी 2024’ में कहा गया है कि पिछले दस वर्षों में 25 करोड़ लोग गरीबी से बाहर निकले हैं तथा 14 करोड़ से अधिक युवाओं को प्रधानमंत्री कौशल विकास योजना के अंतर्गत कौशल प्रशिक्षण से कुशल बनाया गया है। भारत को दुनिया के तीसरे सबसे बड़े स्टार्टअप इको सिस्टम के रूप में स्थापित किया गया है। प्रधानमंत्री श्री नरेंद्र मोदी ने वादा किया है कि वे स्टार्टअप का और अधिक विस्तार टियर-2 और टियर-3 शहरों में करेंगे। इसके अतिरिक्त देश को पर्यटन और सर्विसेज का वैश्विक केंद्र बनाएंगे, जिससे पूरे देश में रोजगार के अवसर सृजित होंगे।       
 
स्वरोजगार की महत्ता
स्वरोजगार का जीवन में महत्वपूर्ण स्थान है। ऐसे अनेक मामले देखने में आए हैं, जब उच्च पदों पर आसीन व्यक्तियों ने अपनी नौकरी से त्याग पत्र देकर अपना व्यवसाय प्रारंभ किया। नौकरी में सीमित आय होती है, जबकि व्यवसाय के माध्यम से व्यक्ति अपार संपत्ति अर्जित कर सकता है। देश के अनेक लोग व्यवसाय के माध्यम से ही निर्धनता से निकलकर धनवान बने हैं।

वास्तव में स्वरोजगार से जहां एक ओर बेरोजगार युवा को रोजगार मिलता है, वहीं दूसरी ओर उसके परिवार के अन्य सदस्यों को भी रोजगार प्राप्त होता है। इससे उन्हें नियमित रूप से काम मिलता है। उनका रोजगार स्थायी होता है, तो इससे उनकी आर्थिक स्थिति भी सुदृढ़ होती है। इससे निर्धनता कम करने में भी सहायता मिलती है।
वास्तव में निर्धनों को आर्थिक अवसरों की अत्यंत आवश्यकता है। इसलिए उनके कार्य क्षमताओं को विकसित करने के संबंध में भी अपार अवसर हैं। देश के जनसांख्यिकीय अधिशेष को एक लाभांश में विकसित करने के लिए सामाजिक एकजुटता के साथ ही मजबूत संस्थानों के एक नेटवर्क का होना अति आवश्यक है। भारतीय और वैश्विक नियोक्ता के लिए ग्रामीण निर्धनों को वांछनीय बनाने के लिए कौशल्य के वितरण के लिए गुणवत्ता और मानक सर्वोपरि हैं। इस योजना के अंतर्गत कई कार्य किए जाते हैं, जिनमें  कौशल्य एवं नियोजन, अवसर पर समुदाय के भीतर जागरूकता पैदा करना, निर्धन ग्रामीण युवाओं की पहचान करना, परिक्षण व कार्य में रुचि रखने वाले ग्रामीण युवाओं को एकत्रित करना, युवाओं और उनके माता-पिता की काउंसिलिंग तथा योग्यता के आधार पर उनका चयन करना, रोजगार के अवसर को बढ़ाने के लिए ज्ञान, उद्योगों से जुड़े कौशल और मनोदृष्टि प्रदान करना, ऐसी नौकरियां प्रदान करना, जिनका सत्यापन स्वतंत्र जांच करने की विधियों से किया जा सके और जो न्यूनतम पारिश्रमिक से अधिक भुगतान करती हों आदि सम्मिलित है। यह नियुक्ति के बाद कार्यरत व्यक्ति को स्थिरता के लिए सहायक भी है।

दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना युवाओं को प्रशिक्षण देगी, जिससे उनके करियर में प्रगति होगी। युवाओं का विकास होगा। बेरोजगारी के कारण होने वाले पलायन में कमी आएगी। यह राज्यों को कौशल्य परियोजनाओं का पूर्ण स्वामित्व लेने के लिए सक्षम बनाती है। इस योजना के कई विशेष घटक हैं। इसके अंतर्गत सामाजिक रूप से वंचित समूह के अनिवार्य कवरेज द्वारा उम्मीदवारों का पूर्ण सामाजिक समावेश सुनिश्चित किया जाता है। धन का 50 प्रतिशत अनुसूचित जातियों और अनुसूचित जनजातियों, 15 प्रतिशत अल्पसंख्यकों के लिए और तीन प्रतिशत विकलांग व्यक्तियों के लिए निर्धारित करने का प्रावधान है। उम्मीदवारों में एक तिहाई संख्या महिलाओं की होनी चाहिए।

इस योजना के अंतर्गत एक त्रिस्तरीय कार्यान्वयन प्रतिरूप है। नीति निर्माण, तकनीकी सहायता और सरलीकरण एजेंसी के रूप में दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना राष्ट्रीय यूनिट ग्रामीण विकास मंत्रालय में कार्य करती है। यह योजना के राज्य मिशन कार्यान्वयन को समर्थन प्रदान करती है और परियोजना की कार्यान्वयन एजेंसियां कौशल्य और नियोजन परियोजनाओं के माध्यम से कार्यक्रम को लागू करती है।

यह योजना बाजार की मांग के समाधान के लिए नियोजन से जुड़ी कौशल्य परियोजनाओं के लिए 25,696 रुपये से लेकर एक लाख रुपये प्रति व्यक्ति तक की वित्तीय सहायता प्रदान करती है, जो परियोजना की अवधि और परियोजना के आवासीय या गैर आवासीय होने पर निर्भर करता है। योजना तीन महीने से लेकर 12 महीने तक के प्रशिक्षण अवधि की परियोजनाओं को वित्तीय सहायता प्रदान करती है। इस योजना के अंतर्गत अनुदान के घटक दीन दयाल उपाध्याय ग्रामीण कौशल्य योजना 250 से अधिक व्यापार क्षेत्रों जैसे खुदरा, आतिथ्य, स्वास्थ्य, निर्माण, मोटर वाहन, चमड़ा, विद्युत, पाइप लाइन, रत्न और आभूषण आदि को अनुदान प्रदान करता है। इसका एकमात्र अधिदेश है कि कौशल प्रशिक्षण मांग आधारित होना चाहिए और कम से कम 75 प्रतिशत प्रशिक्षुओं की नियुक्ति होनी चाहिए।
ऐसे में कुशल युवकों के लिए रोजगार के द्वार खुल जाएंगे। इस योजना का प्रचार-प्रसार भी होना चाहिए, ताकि अधिक से अधिक युवा इसका लाभ उठा सकें।

प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी का कहना है कि विकसित भारत के निर्माण के जिस संकल्प को लेकर हम आगे बढ़ रहे हैं, युवा उसके महत्वपूर्ण स्तंभ हैं। हमारा दृष्टिकोण ऐसा विकसित भारत बनाना है जहां प्रत्येक युवा अपने श्रम एवं कौशल क्षमता का पूरा उपयोग कर सके। हम युवाओं को सीखते हुए कमाने के अवसर देने के लिए एनईपी के अंतर्गत एकीकृत शिक्षा प्रणाली विकसित करेंगे। हम युवाओं को एनईपी और अन्य योजनाओं के माध्यम से गुणवत्तापूर्ण शिक्षा, विश्व स्तरीय खेल सुविधाएं, रोजगार और उद्यमिता के अवसरों की गारंटी देते हैं।
(लेखक- राजनीतिक विश्लेषक हैं )

संस्कारयुक्त शिक्षा ही विद्याभारती का लक्ष्य : डॉ.सौरभ मालवीय

 


संस्कारयुक्त शिक्षा विद्याभारती का लक्ष्य : डॉ.सौरभ मालवीय





सिद्धार्थ नगर (तेतरी बाजार)। गुणवत्ता परक शिक्षा से ही हम विद्या भारती के लक्ष्यों को प्राप्त कर सकते है। यह तभी संभव है जब हम अपने विद्यालयों में संस्कारक्षम वातावरण व योजना के अनुरूप गुणवत्ता परक शिक्षा की व्यवस्था सुनिश्चित करें। राष्ट्रीय शिक्षा नीति के अनुपालन और भारतीय ज्ञान परम्परा के आलोक में शिक्षण पद्धती को हम सफलता पूर्वक लागू करने के दिशा में आगे बढ़ रहे है।

उक्त बातें विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के मंत्री डॉ. सौरभ मालवीय ने कही। डॉ मालवीय शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत द्वारा रघुवर प्रसाद जायसवाल सरस्वती शिशु मंदिर इंटर कॉलेज तेतरी बाजार  में  प्रधानाचार्य वार्षिक कार्य योजना बैठक के उद्घाटन सत्र में बतौर मुख्य अतिथि संबोधित कर रहे थे।

 उन्होंने कहा कि पंच प्राण, छात्र, आचार्य, अभिभावक, पूर्व छात्र तथा प्रबंध समिति के सहयोग तथा उनके विचारों को समायोजित करते हुए जब विद्यालय की कार्य योजना बनती है, तभी विद्यालयों का समुत्कर्ष होता है।
  विद्या भारती 1952 में गोरखपुर के पक्की बाग से प्रारंभ होकर आज भारत के हर क्षेत्र में विद्या भारती का कार्य प्रारंभ हो चुका है।  विद्या भारती अपने प्रारंभ काल से ही चिंतन व प्रयास से समाज जीवन के सभी क्षेत्रों में अभिनव प्रयोग कर रही है, जिसमें हमारे प्रधानाचार्य केंद्रीय भूमिका में होते हैं। प्रधानाचार्य व विद्यालय अर्थात संस्था व परिवेश दोनों एक दूसरे के पूरक हैं। कोई विद्यालय अपने उत्कर्ष के आधार पर परिवेश को भी बदलने की क्षमता रखता है। इन सभी का आधार एक पुष्ट व सफल योजना का निर्माण है। अपनी योजना का केंद्रीय भाग भारतीयता है। सामजिक समरसता का प्रवाह ही समाज को उचित दिशा दे सकता है।

इसके पूर्व शिशु शिक्षा समिति गोरक्ष प्रांत के प्रदेश निरीक्षक श्री राम सिंह जी ने कार्यक्रम की प्रस्ताविकी रखते हुए कहा हजारों वर्षों की गुलामी के बाद भारत का व्यक्ति स्व के भाव को खो चुका था, हमारी गुरुकुल को समाप्त कर अंग्रेजी शिक्षा थोप दी गई उसको पुनः स्थापित करने के लिए नानाजी देशमुख जैसे विचारशील  चिंतकों ने संपूर्ण धरा को अपना मानकर भारत माता की जय बोलने वाले कार्यकर्ताओं के माध्यम से गोरखपुर के पक्की बाग में एक छोटे विद्यालय की स्थापना की जो आज पूरे भारत के कोने-कोने में फैल चुका है। इस नई बेला में कमर कसकर हमें और आगे बढ़ाने की आवश्यकता है।

उक्त अवसर पर विद्या भारती गोरक्ष प्रांत के मंत्री श्री रामनाथ गुप्ता जी,  संभाग निरीक्षक श्री कन्हैया चौबे व संस्कृति बोध परियोजना के प्रांत संयोजक श्री दिवाकर जी समेत पूरे प्रांत के दस जनपदों के प्रधानाचार्यों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

Friday, April 25, 2025

डॉ. सौरभ मालवीय की किताब का लोकार्पण


पुस्तकें हमारे चित्त को तृप्त करती है : प्रो.कीर्ति पाण्डेय
धम्मौर, अमेठी. भागदौड़ के समय में संतों के विषय में पढ़कर मन को शांति प्राप्त होती है।  हमारे पास संतों की शिक्षाओं एवं उनके उपदेशों के रूप में ज्ञान का अपार भंडार है। भारतीय ज्ञान परम्परा भारत का जीवन दर्शन है। हमारे संत हमारे पथप्रदर्शक है। 

भारत में अनेक संत हुए हैं, जिन्होंने विश्व को मानवता का संदेश दिया। संतों की शिक्षाएं आज भी उतनी ही प्रासंगिक हैं, जितनी उस समय थीं जब उन्होंने उपदेश दिए थे। आज जब लोग पश्चिमी सभ्यता के पीछे भाग रहे हैं तथा जीवन मूल्यों को भूल रहे हैं, ऐसी परिस्थिति में संतों की शिक्षाओं का प्रचार-प्रसार अत्यंत आवश्यक हो जाता है। विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्रीय साधारण सभा की  धम्मोर बैठक में उक्त बातें उत्तर प्रदेश शिक्षा सेवा चयन आयोग की अध्यक्ष प्रो.कीर्ति पाण्डेय ने डॉ.सौरभ मालवीय द्वारा लिखित पुस्तक भारतीय संत परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप के लोकार्पण के अवसर पर कही।

 इस पुस्तक में 16 संतों के जीवन एवं उनके उपदेशों को प्रस्तुत  किया गया है, जिनमें रामचरित मानस के रचयिता गोस्वामी तुलसीदास, महान कृष्ण भक्त सूरदास, महान भक्त कवि रसखान, कबीर, रैदास, मीराबाई, नामदेव, गोरखनाथ, तुकाराम, मलूकदास, धनी धरमदास, धरनीदास, दूलनदास, भीखा साहब एवं चरणदास सम्मिलित हैं। इन सभी संतों ने देश में भक्ति की गंगा प्रवाहित की। इनकी रचनाओं ने लोगों में भक्ति का संचार किया। इसमें ऐसे भी संत हैं, जिन्होंने गृहस्थ जीवन में रहकर ईश्वर की भक्ति की। उन्होंने अपने परिवार एवं परिवारजनों के प्रति अपने सभी दायित्वों का निर्वाह किया। इनमें ऐसे भी संत हैं, जिन्होंने सांसारिक संबंधों से नाता तोड़कर अपना संपूर्ण जीवन प्रभु की भक्ति में व्यतीत कर दिया।“ संतों ने कभी किसी को अपने पारिवारिक कर्तव्यों से विमुख होने के लिए नहीं कहा, अपितु अपने संपूर्ण कर्तव्यों का पालन करते हुए ईश्वर की साधना करने का संदेश दिया। डॉक्टर मालवीय की यह पुस्तक उपयोगी सिद्ध होगी।

इस अवसर पर विद्या भारती के क्षेत्रीय संगठन मंत्री हेमचंद्र जी, डॉ. राममनोहर जी, डॉ.जय प्रताप सिंह, राजबहादुर दीक्षित समेत अनेक लोग उपस्थित थे।

पुस्तक भेंट


सान्निध्य सुख ! पुस्तक भेंट !
भारतीय ज्ञान परम्परा : धर्मदीप से राष्ट्रदीप
प्रो.आलोक राय
मा.कुलपति 
लखनऊ विश्वविद्यालय, लखनऊ

Thursday, April 24, 2025

पदीय गरिमा के अनुरुप हो हमारा कार्य : डॉ. सौरभ मालवीय





विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश क्षेत्र के अन्तर्गत जन शिक्षा समिति-अवध प्रदेश(उत्तर प्रदेश)द्वारा 21 से 24 अप्रैल 2025 तक आयोजित प्रान्तीय वार्षिक कार्य योजना बैठक सरदार गनपत राय सरस्वती विद्या मन्दिर रानोपाली अयोध्या मे सम्पन्न हो रही है।

 विद्या भारती के क्षेत्रीय मंत्री डा•सौरभ मालवीय जी ने जिला व संकुल प्रमुख प्रधानाचार्यो के साथ पदीय दायित्व विषय पर चर्चा वार्ता करते हुए कहा कि हमारा संस्थान समाज पोषित है इसलिए समाज के अधिक से अधिक लोगो को जोड़ना तथा अपने पदीय गरिमा की रक्षा करते हुए सभी को सम्मान प्रदान करना।

क्षेत्रीय मंत्री जी ने सभी जिला व संकुल प्रमुखों से अपने कार्य क्षेत्र मे आने वाले विद्यालयों मे निरन्तर प्रवास करने,प्रवास के दौरान आयी समस्याओं को अपने स्तर से दूर करवाने का प्रयास करने तथा अपने जिला व संकुल के विद्यालयो के विकास हेतु बिन्दुओ का एजेण्डा नोट कर जिला तथा संकुल के प्रधानाचार्यो की बैठक आहूत करना तथा बैठक मे अपने प्रदेश निरीक्षक जी व सम्भाग निरीक्षक जी की भी उपस्थिति सुनिश्चित कराना श्रेष्ठतम रहेगा। उक्त अवसर पर श्री योगेश जी , प्रदेश निरीक्षक श्री मिथिलेश अवस्थी जी की विशेष उपस्थिति रही।
विद्या भारती पूर्वी उत्तर प्रदेश
जन शिक्षा समिति-अवध

स्वरोजगार से बदलेगा जीवन

  डॉ. सौरभ मालवीय  बेरोजगारी अनेक समस्याओं की जड़ है। बेरोजगार युवा मानसिक तनाव की चपेट में आ जाते हैं। बहुत से युवा हताशा में नशे की लत के आ...